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Buttermilk For Cancer Patients: घर पर बनाए छाछ, कैंसर रोगियों के लिए भी है फायदामंद, जानें बनाने की विधि

Tulsi Rao
13 Sep 2021 7:19 AM GMT
Buttermilk For Cancer Patients: घर पर बनाए छाछ,  कैंसर रोगियों के लिए भी है फायदामंद, जानें बनाने की विधि
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छाछ पचने में आसान और कसैले गुण रखता है. ये पाचन को सुधारता है और प्राकृतिक रूप से सूजन, जलन के खिलाफ काम करता है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। Buttermilk For Cancer Patients: छाछ पचने में आसान और कसैले गुण रखता है. ये पाचन को सुधारता है और प्राकृतिक रूप से सूजन, जलन के खिलाफ काम करता है. छाछ का इस्तेमाल एनीमिया और भूख की कमी में भी मदद कर सकता है. उसमें प्रोटीन्स, कार्बोहाइड्रेट्स, विटामिन और जरूरी एंजाइम्स होते हैं. उसका इस्तेमाल रोजाना किया जा सकता है. छाछ का 90 फीसद हिस्सा पानी होता है. उसका सेवन शरीर के पानी संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है. किसी दूसरे सुगंधित पेय या सादा पानी के मुकाबले छाछ का पीना बेहतर है. खमीरयुक्त छाछ स्वाद में खट्टा होता है लेकिन जैविक रूप से शरीर और टिश्यू के लिए बहुत पौष्टिक है.

कैंसर के मरीजों को छाछ से कैसे हो सकता है फायदा?
संतुलित डाइट कैंसर रोगियों के लिए महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है, इलाज के दौरान और इलाज के बाद. कैंसर का इलाज एक शख्स को कमजोर बनाता है और अक्सर उसे रोजाना के काम करने में अक्षम छोड़ देता है. ऐसे में कैंसर रोगी के लिए छाछ एक खास भूमिका में आता है और इस तरह फायदे पहुंचाता है.
डायरिया
कैंसर का इलाज और दवाएं डायरिया पैदा कर सकता है और रोगियों के मल को ढीला करता है. बेकाबू डायरिया से डिहाइड्रेशन, भूख की कमी और कमजोरी हो सकता है. छाछ शानदार विकल्प है क्योंकि उसकी एसिड तत्व कीटाणुओं से लड़ते हैं, और पेट साफ करने में मदद करता है. छाछ असुविधा को आसान करता है, और पाचन आंत को ठीक करता है क्योंकि ये गुड बैक्टीरिया से भरा होता है.
डिहाइ़ड्रेशन
डिहाइ़ड्रेशन कैंसर इलाज का एक आम साइड इफेक्ट है. कीमोथेरेपी और रेडिएशन का इलाज डिहाइड्रेशन की वजह बन सकता है. ये साइड इफेक्ट्स जैसे बुखार, उल्टी, डायरिटा या अत्यधिक पेशाब के कारण होता है. छाछ डिहाइड्रेशन रोकने के लिए एक शानदार ड्रिंक है, क्योंकि ये इलेक्ट्रोलाइट्स विशेषकर पोटैशियम से पैक होता है और ड्रिंक का 90 फीसद पानी होता है.
खास प्रकार के कैंसर और उसका इलाज आपके स्वाद और गंध को बदल सकते हैं. आम कारणों में ब्रेन और गले का ट्यूमर शामिल है. ये फैक्टर रोगी को खाने पर स्वाद की कमी का अनुभव करा सकता है या फूड को बहुत मीठा, नमकीन पा सकता है. आम तौर से ये बदलाव अस्थायी होते हैं और वक्त के साथ ठीक हो जाते हैं. लेकिन, कैंसर रोगियों के लिए लीन प्रोटीन्स, फल, सब्जियों, साबुत अनाज के साथ संतुलित डाइट का पालन भी अच्छा है. इसलिए, कैंसर की बीमारी में या इलाज के बाद छाछ के साथ अपनी डाइट को सप्लीमेंट करें.


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