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बच्चों को तेजी से अपना शिकार बना रहा ब्रेन मलेरिया, पांच से सात दिन में हो जाती है मौत!
लगातार कई दिन बारिश होने के बाद अब अस्पतालों में ब्रेन मलेरिया के मरीज लगातार इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। गौर करने वाली बात यह है कि इन मरीजों में बच्चों की संख्या अधिक है।
लगातार कई दिन बारिश होने के बाद अब अस्पतालों में ब्रेन मलेरिया के मरीज लगातार इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। गौर करने वाली बात यह है कि इन मरीजों में बच्चों की संख्या अधिक है। ऐसे में इस दिमागी बुखार से बचने के लिए इसके बारे में पूरी जानकारी होना बेहद जरूरी है। आइए जानते हैं आखिर क्या है ब्रेन मलेरिया, इसके लक्षण और बचाव का तरीका। इसके अलावा यह भी जानेंगे कि आखिर ये दिमागी बुखार साधारण मलेरिया से कैसे अलग होता है।
दिमागी मलेरिया(ब्रेन मलेरिया) नॉर्मल मलेरिया से कैसे है अलग-
आमतौर पर मलेरिया मादा एनाफिलीज मच्छर के काटने से फैलता है। लेकिन जब इसका प्रभाव बढ़ता रहता है तो यह वाइवेक्स का रूप ले लेता है। जिसके बाद यह लीवर और शरीर के कई अन्य अंगों को नुकसान पहुंचाता है। दवाओं की उपलब्धता शरीर में पूरी न होने के कारण यह दिमाग तक पहुंच जाता है। उसके बाद ठंड लगने के साथ तेज बुखार आता है। पीड़ित व्यक्ति बेहोशी की हालत में आ जाता है। बीपी बढ़ जाता है और व्यक्ति कोमा में चला जाता है। उसके पांच से सात दिन में व्यक्ति की मौत हो जाती है।
क्या है ब्रेन मलेरिया-
समान्य रूप से यह माना जाता है कि यह बीमारी मादा एनाफिलीज मच्छर द्वारा काटने से फैलती है। मच्छर द्वारा प्लॅस्मोडियम नामक पैरासाइट मनुष्य के शरीर में रक्त द्वारा प्रवेश कर इस रोग का कारण बनता है।
ब्रेन मलेरिया का कारण-
डॉक्टरों को माने तो बरसात के बाद गंदगी व दूषित पानी के कारण ब्रेन मलेरिया का प्रकोप बढ़ रहा है। इस संक्रमण वाले मलेरिया को ब्रेन मलेरिया या एमटी मलेरिया कहते हैं। शहर से लेकर गांव तक बीमारी फैल रही है। डॉक्टरों के अनुसार अगर समय से इलाज नहीं हुआ तो इन मरीजों की मौत भी हो सकती है। बच्चों में ब्रेन मलेरिया का प्रकोप अधिक देखा जा रहा है।