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भारतीय में एक सबसे बड़ी कमी है और वह यह है कि वह अपनी किसी भी बीमारी को लेकर कभी गम्भीर नहीं होते हैं। हाइपर टेंशन अर्थात् हाई ब्लडप्रेशर उन्हीं बीमारियों में एक है। लोग बीपी को गंभीरता से नहीं लेते हैं क्योंकि उनके पास पूरी जानकारी नहीं है। दूसरा, इसके लक्षणों की शुरूआत में पहचान नहीं हो पाती। जिसकी वजह से रोगी समय पर इलाज नहीं करा पाते। हाइपरटेंशन को साइलेंट किलर यूं ही नहीं कहा जाता है। इसका इलाज नहीं है, मैनेजमेंट है और अगर आप इस मैनेजमेंट में चूक जाते हैं तो यह धीरे-धीरे शरीर के दूसरे महत्वपूर्ण अंगों को खराब करने लगता है। इसकी वजह से ब्रेन स्ट्रोक, ब्रेन हेमरेज, किडनी फेल, हार्ट अटैक जैसी गंभीर और जानलेवा समस्याओं का खतरा होता है।
सामान्य रहना चाहिए ब्लडप्रेशर
120/80 मिमी एचजी से कम ब्लड प्रेशर को सामान्य माना जाता है। जबकि 130 से अधिक जाने पर अधिक गंभीर नहीं है। लेकिन 140/90 को हाइपरटेंशन की कंडीशन माना जाता है। एक बार यह समस्या हो जाने पर जीवन भर पीछा नहीं छोड़ती बहुत सारे लोग नियमित दवाओं का सेवन नहीं करते क्योंकि तमाम तरह की भ्रांतियां हैं। ऐसे लोगों को यह समझना चाहिए कि इसे कंट्रोल रखना जरूरी है और मैनेजमेंट करना चाहिए। रोज थोड़ा व्यायाम करें, तनाव मुक्त रहने की कोशिश करें, तंबाकू और शराब से बचें, मोटापा कम करने की कोशिश करें, जंक फूड से बचें, कोल्ड ड्रिंक्स से बचें, नमक और चीनी के अधिक सेवन से बचें।
बुजुर्गों पर होता है ज्यादा असर
उम्रदराज लोगों की परेशानी और भी अधिक है क्योंकि उनमें यह आसानी से नियंत्रित नहीं हो पाता और धीरे-धीरे वे हार्ट और किडनी रोगों की तरफ जाने लगते हैं। इधर युवाओं में भी खराब जीवनशैली और प्रदूषण आदि वजहों से हाइपरटेंशन और फिर हृदय रोग बढ़ रहे हैं। इसकी वजह से मॉर्टलिटी रेट भी बढ़ रहा है। इसलिए जरूरी है कि अगर एक बार आपको ब्लड प्रेशर की समस्या लग गई है तो डॉक्टर की निगरानी में रहें, घर पर नियमित ब्लड प्रेशर को मॉनीटर करते रहें, इसका मैनेजमेंट सही रखें। दवाएं बंद न करें ताकि यह अनियंत्रित होकर शरीर के दूसरे अंगों को प्रभावित न करे।
साइलेंट किलर होता है हाई ब्लड प्रेशर
ज्यादा बीपी एक तरह से शरीर में साइलेंट किलर की तरह काम करता है। ये एक ऐसी मेडिकल कंडिशन है जिसमें खून का प्रेशर नसों में काफी ज्याद बढ़ जाता है। जिसकी वजह से लिवर, किडनी, दिमाग और दिल पर बुरा असर पड़ता है। इसके अलावा आंखें भी हाई बीपी के चलते किसी तकलीफ का शिकार हो सकती हैं।
हाइपरटेंशन के लक्षण
हाइपरटेंशन को जानना बड़ा आसान है। यदि आपको सिर दर्द, सिर का चकराना, थकान, सुस्ती महसूस होती है, इसके अतिरिक्त आपको नींद नहीं आती, दिल की धडक़नें तेज हो जाती हैं या फिर कभी-कभी अचानक से सीने में हल्का-हल्का दर्द महसूस होने लगता है अथवा सांस लेने में तकलीफ होने लगती है तो आपको समझ जाना चाहिए कि आपका ब्लडप्रेशर सही नहीं है। ब्लडप्रेशर सही नहीं होने से कभी-कभी आँखों से धुंधला दिखाई देने लगता है। उस वक्त लोग अपनी आँखों को रगडऩे लगते हैं या कुछ देर आँखें बंद कर लेते हैं।
हाइपर टेंशन के अतिरिक्त प्रभाव
इसका सीधा हमला आपके दिल पर होता है। आपकी सिकुड़ती हुई आट्र्रीज से ब्लड को पंप करने के लिए दिल को ज्यादा ताकत लगानी पड़ती है। इस वजह से दिल कमजोर होने लगता है। दिल से जुड़ी मसल्स कमजोर होने लगती हैं। लंबे समय तक ब्लड प्रेशर ज्यादा बना रहने से दिल की धडक़नें असामान्य होने लगती हैं, जिसकी वजह से हार्ट फेल, अटैक या कोई और दिल का रोग होने की सम्भावना बन जाती है।
हाइपरटेंशन की स्थिति बनी रहने से स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। रक्त प्रवाह के सही तरीके से काम न करने की वजह से मस्तिष्क तक जाने वाली नसों को नुकसान होता है, जिसका परिणाम स्ट्रोक के रूप में सामने आता है।
किडनी पर होता है असर
इसके अतिरिक्त रक्त प्रवाह तेज होने से किडनी पर भी असर होता है। लगातार सामान्य से ज्यादा रहने वाला रक्त प्रवाह (ब्लडप्रेशर) किडनी की नसों को नुकसान पहुँचाता है। जिसके कारण किडनी के फिल्टर करने की क्षमता कम होती जाती है और किडनी फेल होने की सम्भावना बन जाती है।
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Kajal Dubey
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