लाइफ स्टाइल

अलवर के इस किले में छिपे हैं बड़े रहस्य, युद्ध के बाद यहीं रातभर रुका था बाबर

Manish Sahu
1 Sep 2023 5:23 PM GMT
अलवर के इस किले में छिपे हैं बड़े रहस्य, युद्ध के बाद यहीं रातभर रुका था बाबर
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लाइफस्टाइल: राजपुताना और मुगलिया शैली में बना यह प्राचीन किला अपनी खूबसूरती और रहस्‍यों के लिए देशभर में जाना जाता है. दिल्‍ली से महज 150 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह किला अलवर शहर में स्थित है. कहा जाता है कि चीन के बाद सबसे लंबी दीवार राजस्‍थान के कुंभलगढ़ जिले की है और उसके बाद अलवर के इस बाला किला यानी कुंवारा किला का नाम आता है. इस किले में प्रवेश के 4 दरवाजे हैं और यह पहाड़ी की चोटी पर बना है. यहां से शहर और किले को देखना वाकई कमाल का अनुभव कराता है. कहते है कि इस किले में कभी भी युद्ध नहीं हुआ, इस वजह से इसका नाम कुंवारा किला दिया गया.
आप यहां रेल मार्ग और सड़क मार्ग से आसानी से पहुंच सकते हैं. इसके लिए आप दिल्ली के सराय रोहिल्ला, दिल्ली कैंट और पुरानी दिल्ली स्टेशन से अलवर के लिए सीधी ट्रेन ले सकते हैं. इसके अलावा, सराय काले खां बस अड्डे और धौला कुआं से आप बस से भी अलवर पहुंच सकते हैं. आप अपनी कार से भी यहां आसानी से पहुंच सकते हैं. यह किला शहर से 7 किलोमीटर की दूरी पर है जहां आप रिश्‍ता ऑटो से पहुंच सकते है. यहां जंगल सफारी की भी व्‍यवस्‍था है.
इस किले के निर्माण के पीछे काफी कहानियां कही जाती हैं. कहते हैं कि सबसे पहले आमेर नरेश काकिल के द्वितीय पुत्र अलघुरायजी ने संवत 1108 (1049ई) में अलवर की इस पहाड़ी पर छोटी गढ़ी बनाकर किले का निर्माण शुरू किया था. फिर 13वीं सदी में निकुंभों ने गढ़ी में चतुर्भुज देवी के मंदिर का निर्माण कराया. फिर अलावल खान ने 15वीं सदी में में इस गढ़ी की प्राचीर बनवाई और इसे दुर्ग की तरह पहचान मिली. 18वी सदी में भरतपुर के महाराजा सूरजमल ने दुर्ग में जल स्रोत के रूप में सूरजकुंड का निर्माण कराया और 1775 में सीताराम जी का मंदिर बनवाया. 19वी सदी में महाराज बख्तावर सिंह ने दुर्ग पर प्रताप सिंह की छतरी और जनाना महल का निर्माण करवाया. कहते हैं कि खानवा के युद्ध के पश्चात अप्रैल 1927 में मुगल बादशाह बाबर ने किले में रात गुजारी थी. खानवा के युद्ध के पश्चात अप्रैल 1927 में मुगल बादशाह बाबर ने किले में रात्रि विश्राम किया था.
अलवर के इस किले को राजस्थान में सबसे बड़े किलों में गिने जाते हैं. यह किला 5 किलोमीटर के क्षेत्र में फैला है. किले के रास्ते पर 6 प्रवेश द्वार हैं और उनका नाम है चांद पोल, सूरज पोल, कृष्ण पोल, लक्ष्मण पोल, अंधेरी गेट और जय पोल. इन दरवाजों का नाम शासकों के नाम पर रखा गया है. यह किला कई शैलियों में बनाया गया है. किले की दीवारों पर खूबसूरत मूर्तियां और नक्काशियां है जो वाकई आकर्षक हैं. किले में सूरज कुंड, सलीम नगर तलाब, जल महल और निकुंभ महल पैलेस जैसे कई भवन बने हैं और कई मंदिर भी हैं. किले के अंदर 15 बड़े और 51 छोटे टावर बने हुए हैं जो यहां की सुरक्षा को देखते हुए बनाया गया था. इस किले की दीवारों में 446 छेद हैं जिससे गोलियां चलाई जाती थी. इसके अलावा 15 बड़े और 51 छोटे बुर्ज मौजूद हैं.
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