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भगवान शिव का प्रिय माह सावन चल रहा है। इस महीने में भगवान भोल के भक्त अलग-अलग तरीकों से उनकी पूजा-अराधना करते हैं। शिवालयों और शिव मंदिरों में जाकर उनकी प्रिय वस्तुएं चढ़ाते हैं जिससे भगवान खुश होकर उनपर अपनी कृपा बनाएं रखें। भगवान शिव की एक ऐसी ही प्रिय चीज है बेल पत्र। बताते हैं कि शिवजी की पूजा बिना बेलपत्र के अधूरी है। जिसका जिक्र कई ग्रंथों में भी किया गया है। शिव महापुराण में तो खासतौर से इसका महत्व बताया गया है।
बेलपत्र में होता है विष निवारक गुम
पौराणिक कथा के मुताबिक, समुद्र मंथन के दौरान भगवान शिव ने जब विष पान किया था तो उनके गले में जलन हो रही थी। बेलपत्र में विष काटने के गुण होते हैं इस वजह से शिव जी को बेलपत्र चढ़ाया गया जिससे जहर का असर कम हो सके। मान्यता है कि तभी से भोलेनाथ को बेलपत्र चढ़ाने की परंपरा शुरु हुई।
एक दूसरी कथा के अनुसार बेलपत्र की तीन पत्तियां भगवान शिव के तीन नेत्रों का प्रतीक है यानी कि ये शिव जी का ही रूप है इसलिए बेलपत्र को अत्यंत्र पवित्र माना जाता है।
बेलपत्र में पाया जाता है पेंटिन्स और मार्मेलोशिन
सावन माह में शिवालयों में भगवान को हजारों की संख्या में बेलपत्र चढ़ाए जाते हैं और अगले दिन उसे विसर्जित कर दिया जाता है, लेकिन अगर बेलपत्र को ऐसे ही विसर्जित करने की जगह उसका उपयोग प्रसाद के रूप में किया जाए तो ये कई मायनों में फायदेमंद है। इन पत्तों में ऐसे कई गुण होते हैं जो शरीर को स्वस्थ रखते हैं।