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कहा जाता है कि होलिका दहन (Holika Dahan) का चलन भक्त प्रहलाद के समय से शुरू हुआ
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | कहा जाता है कि होलिका दहन (Holika Dahan) का चलन भक्त प्रहलाद के समय से शुरू हुआ,वृंदावन में रहकर उन्होंने अनेक लीलाएं कीं. वे अपने सखाओं के साथ मिलकर राधारानी और उनकी सखियों को परेशान किया करते थे. रंगों की होली का खेल भी इसी से शुरू हुआ, जिसने ब्रजवासियों को बहुत आनंदित किया और बाद में ये परंपरा का हिस्सा बन गया. हर साल होलिका दहन के बाद अगले दिन प्रतिपदा तिथि को रंगों की होली (Holi with Colors) खेली जाती है. इस बार रंगों की होली 18 मार्च को खेली जाएगी. वैसे तो रंगों की होली खेलने का मकसद आपसी मतभेद को भुलाना और प्यार के रंग में रंग जाना है. लेकिन क्या आपको पता है कि इन रंगों के भी अलग अलग मायने होते हैं. इसलिए किसी भी रंग को इस्तेमाल करने से पहले इनके मायने जरूर जान लें.
लाल रंग
लाल रंग होली के दौरान सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है. लाल रंग को शुभता का प्रतीक माना गया है. उगते सूरज का रंग भी लाल ही होता है. ये जोश, उल्लास और ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है. होली के दिन लोगों के बीच काफी हर्ष और उल्लास होता है. इसलिए सबसे ज्यादा लाल रंग का इस्तेमाल किया जाता है.
पीला रंग
पीला रंग समृद्धि और यश का प्रतीक माना जाता है. श्रीकृष्ण जिन्होंने होली का चलन शुरू किया उन्हें भी ये रंग अत्यंत प्रिय है. इस मौसम में अधिकतर पेड़ों पर पीले रंग के फूल वातावरण को खुशनुमा बनाते हैं. इसलिए पीले रंग को काफी पवित्र माना गया है.
हरा रंग
हरा रंग खुशहाली, समृद्धि और शांति का प्रतीक माना जाता है. प्रकृति भी हरे रंग से धरती का शृंगार करती है. हरा रंग संतुलित जीवन, दया और प्यार को दर्शाता है. होली पर हरा रंग आपके जीवन में नया संचार करने का काम करता है.
नीला रंग
नीला रंग तो होली पर कम देखने को मिलता है, लेकिन नीला गुलाल आपको जरूर मिल सकता है. नीला रंग विशालता का प्रतीक माना गया है. आसमान और समुद्र दोनों ही विशाल हैं और उनका रंग नीला है. ये रंग तमाम रंगों को अपने अंदर समाहित कर लेता है. भगवान श्रीकृष्ण में भी सभी को समाहित करने का गुण था, इसलिए उन्हें भी तस्वीरों में अक्सर नीले रंग का दिखाया जाता है. वास्तव में नीला रंग शांति, गंभीर और स्थिरता का रंग है.
सफेद रंग
सफेद रंग को स्वच्छ छवि और आध्यात्मिकता से जोड़कर देखा जाता है. सफेद रंग सब कुछ बाहर की ओर बिखेरता है, कुछ भी पकडक़र नहीं रखता है. इसलिए आपने देखा होगा कि होली वाले दिन तमाम लोग पहले से सफेद रंग को त्वचा पर लगाकर रखते हैं क्योंकि ये रंग किसी और रंग को नहीं चढ़ने देता. इसकी प्रकृति कुछ भी पास रखने की नहीं होती.
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