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बेबी एलर्जी और उनसे निपटने के तरीके

Shantanu Roy
24 Nov 2021 3:17 PM GMT
बेबी एलर्जी और उनसे निपटने के तरीके
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आज के समय में हमारा सामना अनगिनत बीमारियों से होता रहता है और एलर्जी एक बहुत ही आम बात है। पर हर एलर्जी खतरनाक नहीं होती है। ना केवल बड़े बल्कि नन्हे बच्चे भी एलर्जी के शिकार हो सकते हैं।

जनता से रिश्ता। आज के समय में हमारा सामना अनगिनत बीमारियों से होता रहता है और एलर्जी एक बहुत ही आम बात है। पर हर एलर्जी खतरनाक नहीं होती है। ना केवल बड़े बल्कि नन्हे बच्चे भी एलर्जी के शिकार हो सकते हैं। बच्चों में फूड एलर्जी आमतौर पर सबसे अधिक देखी जाती है। शिशुओं में कई तरह की चीजों से एलर्जी हो सकती है और आपको कई प्रकार की एलर्जी के सबसे आम कारणों के प्रति जागरूक होना और उन्हें संभालने के तरीके की जानकारी होना जरूरी है।

एलर्जी क्या होती है?
'एलर्जी' आमतौर पर इस्तेमाल किया जाने वाला एक शब्द है, जिसके माध्यम से किसी पदार्थ के प्रति होने वाले असामान्य रिएक्शन को दर्शाया जाता है। शरीर कुछ खास पदार्थों के प्रति हाइपरसेंसेटिव हो जाता है। इस ट्रिगर के प्रति शरीर में होने वाला रिएक्शन एलर्जिक रिएक्शन कहलाता है।
शिशु दूध, अंडे, गेहूं और मछली जैसे कुछ खाद्य पदार्थों के प्रति एलर्जिक हो सकते हैं। एलर्जिक रिएक्शन से उनमें रैश, सांस लेने में कठिनाई और लगातार छींकने जैसे लक्षण दिख सकते हैं।
बेबी में एलर्जी कितनी आम होती है?
छोटे बच्चे नाजुक होते हैं और उनका इम्यून सिस्टम अभी भी विकसित हो रहा होता है। इसलिए शिशुओं को एलर्जी का खतरा अधिक होता है। बच्चे खाने के साथ-साथ अन्य बाहरी पदार्थों के प्रति भी एलर्जिक हो सकते हैं।
एलर्जी होने का खतरा किसे होता है?
एलर्जी के किसी एक ट्रिगर को पहचानना कठिन होता है। इसलिए आपके बच्चे को एलर्जी होगी या नहीं यह समझ पाना आसान नहीं है। किसी व्यक्ति को किसी खास पदार्थ के प्रति एलर्जी होने के पीछे आनुवंशिक संबंध हो सकते हैं। अगर परिवार में ऐसा चला आ रहा है, तो उन्हीं चीजों के प्रति आपके बच्चे को एलर्जी होने की संभावना भी अधिक होती है। कभी-कभी इसके पीछे एक ही एलर्जेन (एलर्जी पैदा करने वाला पदार्थ) हो, ऐसा जरूरी नहीं है। बल्कि किसी बिल्कुल नई चीज से भी एलर्जिक रिएक्शन हो सकते हैं। चूंकि शिशु का इम्यून सिस्टम पूरी तरह से विकसित नहीं होता है, ऐसे में उन्हें इनका खतरा अधिक होता है।
एलर्जी बनाम जुकाम
अक्सर एलर्जी को आम सर्दी जुकाम समझ लिया जाता है, क्योंकि इसके कुछ लक्षण बिल्कुल एक जैसे होते हैं। बल्कि कुछ लोगों को इन दोनों के बीच के अंतर की जानकारी होती ही नहीं है।
आम सर्दी-जुकाम एक वायरस से होता है और यह संक्रामक होता है। जब आपको जुकाम होता है, तब शरीर का इम्यून सिस्टम काउंटर अटैक करता है। जिसके नतीजे के कारण आपको खांसी, जुकाम, बुखार, बदन दर्द, सिर दर्द आदि होते हैं। इसमें कई दिन लग सकते हैं और इसे ठीक करने के लिए आपको कुछ दवाइयां भी लेनी पड़ सकती हैं।
वहीं दूसरी ओर जब शरीर का इम्यून सिस्टम अधिक सेंसिटिव होता है, तब एलर्जी होती है। आपका शरीर आमतौर पर नुकसान रहित चीजों को बाहरी वस्तु समझ लेता है और उन पर हमला करने लगता है। इससे रैश या छींकने जैसे एलर्जिक रिएक्शन हो सकते हैं। दूध, सोया, मछली, पोलें, गेहूं, नट्स और धूल आदि कुछ आम एलर्जेन हैं। आम सर्दी-जुकाम के विपरीत एलर्जी जल्दी नहीं जाती हैं और ये बार-बार आती रहती हैं। ये संक्रामक नहीं हैं।
कुछ संकेत जिनसे आप यह समझ सकती हैं कि आपके बच्चे को एलर्जी हुई है जुकाम नहीं
अगर आपका बच्चा लंबे समय तक चिड़चिड़ा रहता है और उसकी नाक बंद रहती है, तो हो सकता है कि बच्चे को किसी चीज से एलर्जी हुई हो। एक एलर्जिक रिएक्शन तुरंत दिखता है, वहीं जुकाम देर से दिखता है। अगर आप यह महसूस करती हैं, कि आपका बच्चा नाक बंद होने के कारण या शरीर पर रैश होने के कारण सो नहीं पा रहा है, तो बहुत अधिक संभावना है, कि उसे जुकाम नहीं बल्कि एलर्जी हुई हो।
बच्चों को एलर्जी कैसे होती है?
ज्यादातर एलर्जी अनुवांशिक होती हैं और परिवार के लोगों में आम होती हैं। ऐसी एलर्जी ज्यादातर खाने से संबंधित होती हैं। बच्चे को पालतू जानवरों, माइट्स और पोलेन से भी एलर्जी हो सकती है। एक बच्चे को जीवन में कभी भी और कहीं से भी एलर्जी हो सकती है।
बच्चों में एलर्जी की पहचान
आमतौर पर एलर्जिक रिएक्शन एलर्जी के संपर्क में आने के बाद तुरंत नजर आते हैं। इसका सबसे पहला लक्षण होता है, बहुत सारी छींके आना, बंद नाक और आंखों से पानी निकलना। हर बार एलर्जेन के संपर्क में आने पर बच्चे में ऐसे लक्षण दिखते हैं।
अलग-अलग एलर्जी के लिए कई तरह के टेस्ट होते हैं। लेकिन इसे जानने का सबसे अच्छा तरीका होता है, इस पर ध्यान देना और एलर्जी को पहचानना।
छोटे और बड़े बच्चों में एलर्जी सबसे अधिक क्यों देखी जाती है?
शिशुओं और बच्चों में एलर्जी सबसे अधिक क्यों देखी जाती है, इसका कोई विशेष कारण नहीं है। बढ़ते हुए प्रदूषण के कारण हम घर के बाहर के प्रदूषण के खतरे में अधिक होते हैं। आमतौर पर ऐसा माना जाता है, कि घर के अंदर साफ माहौल और नुकसान रहित कीटाणुओं से कम संपर्क होने से एलर्जी की घटनाएं बढ़ती हैं। क्योंकि बच्चे के शरीर को ऐसे वातावरण के प्रति डिफेंस मेकैनिज्म तैयार करने का मौका नहीं मिल पाता है। कभी-कभार बच्चों का सामना गंदगी से भी होना चाहिए। जरूरत से ज्यादा सुरक्षित रखने से बच्चों को फायदे से ज्यादा नुकसान हो सकता है।
एलर्जिक रिएक्शन क्या है और इस दौरान क्या होता है?
जब हमारा संपर्क किसी एलर्जेन से होता है, तो हमारा शरीर इन एलर्जेन से लड़ने के लिए एंटीबॉडीज रिलीज करता है और ये एंटीबॉडीज हिस्टामाइनस कहलाते हैं। इन हिस्टामाइनस के कारण ब्लड वेसल में सूजन आ जाती है। जिसके कारण रैश, बंद नाक, छींक और आंखों में खुजली जैसे लक्षण दिखते हैं और सांस लेने में कठिनाई होने लगती है। आश्चर्य की बात यह है, कि एक प्रकार का हिस्टामाइन केवल एक ही प्रकार की एलर्जी पर हमला करता है। उदाहरण के लिए किसी को अंडे से एलर्जी हो सकती है, लेकिन हो सकता है कि उसे मूंगफली से एलर्जी न हो।


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