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लाइफ स्टाइल
किस उम्र में लड़कियों को वैक्सिंग, थ्रेडिंग और प्लकिंग शुरू करना चाहिए?
Kajal Dubey
9 May 2023 1:21 PM GMT

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आजकल लड़कियां अर्ली टीनएज में ही अपने लुक्स को लेकर बेहद सचेत हो जाती हैं. वैक्सिंग, थ्रेडिंग और प्लकिंग जैसे तरीक़ों की मदद लेने लगती हैं. इस बात से सबसे अधिक चिंता होती है उनकी मम्मियों को. यह छोटा-सा आर्टिकल उन सभी मम्मियों के लिए, जो जानना चाहती हैं कि उनकी बेटी अपनी आई ब्रोज़ को सही शेप में रखने के लिए वैक्सिंग की शुरुआत कब से कर सकती है?
सबसे पहले पता करें कि आपकी टीनएजर बेटी ऐसा क्यों करना चाहती है?
ज़्यादातर टीनएजर्स हेयर रिमूवल की शुरुआत के लिए कहती हैं,‘हमारी उम्र की सभी लड़कियां ऐसा करती हैं.’ पर यह कोई अच्छा बहाना नहीं है. देखा जाए तो टीनएज में पहुंचते ही लड़कियां अपने लुक्स को लेकर बेहद सजग हो जाती हैं. अपने अपने लुक्स और शरीर की तुलना अपनी क्लासमेट्स और सहेलियों से करने लगती हैं. जब उन्हें अपने और उनके लुक्स में बहुत ज़्यादा फ़र्क़ नज़र आता है तब वे असहज हो जाती हैं. भले ही यह फ़र्क़ बहुत ज़्यादा न हो, पर उनके दिमाग़ में यह बात घर कर जाती है. वह ख़ुद को अलग और अजीब महसूस करने लगती हैं. तो सबसे पहले आप अपनी बेटी के साथ इत्मीनान से बैठ जाएं और उसके द्वारा अचानक बॉडी हेयर रिमूवल कराने या आई ब्रो को शेप कराने की ज़िद या आग्रह को समझने की कोशिश करें. अगर वह कहे कि उसके बालों की ग्रोथ बहुत ज़्यादा है या वह ऐसा हाइजीनिक कारणों के चलते करना चाहती है तो हमें लगता है कि 13 से 16 की उम्र एक टीनएजर के लिए पहला वैक्सिंग या थ्रेडिंग अनुभव लेने के लिहाज़ से सही है.
अगर बेटी की मांग सही लगे तो उसके बाद इसके विकल्पों पर चर्चा करें
जब एक बार आपने बच्ची को हेयर रिमूवल कराने की सहमति दे दी है तब आपको इसके विकल्पों के बारे में सोचना शुरू करना चाहिए. शरीर के बालों से छुटकारा पाने के तरीक़ों में केवल वैक्सिंग ही एकमात्र नहीं है. शेविंग, डेपिलेटरी क्रीम्स, एपिलेटर्स जैसे दूसरे कम दर्द वाले विकल्प भी उसके पास हैं. अगर आपकी बेटी की त्वचा बेहद संवेदनशील है तब वैक्सिंग से उससे न केवल दर्द होगा, बल्कि जलन भी हो सकती है. घर पर वैक्सिंग न ट्राय करें, क्योंकि हर किसी के बालों की ग्रोथ अलग-अलग होती है. इसलिए बेटी की वैक्सिंग की ज़िम्मेदारी आपको एक्सपर्ट पर छोड़ देनी चाहिए.
Skin Care
इसका इस्तेमाल आपसी प्यार बढ़ाने के लिए करें
बेटी होने का सबसे बड़ा फ़ायदा यह है कि आप दोनों सलून में एक साथ जाकर वहां मदर-डॉटर टाइम बिता सकती हैं. अपने व्यस्त शेड्यूल से समय निकालकर अपनी बेटी के साथ समय बिताना मज़ेदार साबित हो सकता है. इसलिए आगे बढ़ें और बेटी के साथ सलून डे प्लान करें. ऐसा करके आप कुछ समय के लिए ही सही फ़ोन की दुनिया से बाहर लाकर, उसे असल दुनिया से जोड़ सकेंगी.
सर्दियों के दिनों में होनेवाली खुजली आपके लिए परेशानी की वजह बन रही है? क्या आपको समझ नहीं आ रहा है कि ये क्यों हो रही है? चलिए हम आपको बता देते हैं, यह खुजली अक्सर ठंड की वजह से होनेवाली ख़ुश्की और गर्म कपड़ों की वजह से होती है. ठंड में त्वचा अपनी प्राकृतिक नमी बहुत जल्दी खो देती है, ऐसे में जब ऊन से बने कपड़े त्वचा को स्पर्श करते हैं, तो खुजली महसूस होती है. इस खुजली से बचने के लिए आपको सबसे पहले अपनी त्वचा को मॉइस्चराइज़ करना होगा और साथ ही ऊन से बने कपड़ों पर भी थोड़ा ध्यान देना होगा.
बहुत अधिक गर्म पानी से ना नहाएं
त्वचा की नमी बनाएं रखने के लिए सबसे पहला और ज़रूरी काम है कि आप बहुत अधिक गर्म पानी से नहाना बंद कर दें. गर्म पानी से त्वचा अपनी नमी खो देती है और यह भी ख़ुश्की के कई कारणों में से एक है. अगर बहुत ज़रूरी है, तो ठंडा और गर्म पानी को एक साथ मिक्स करके नहाएं.
सरसों से तेल से मसाज करें
प्राकृतिक रूप से त्वचा की देखभाल करने वाला सरसों का तेल आपकी त्वचा में नमी भरने का काम करता है. नहाने से पहले अगर सप्ताह में दो से तीन बार आप सरसों के तेल से अपनी त्वचा को अच्छी तरह मालिश करें. आप दूसरे तेल भी अपना सकती हैं, लेकिन नमी के मामले में सरसों के तेल का कोई तोड़ नहीं. सरसों के तेल में ऐंटी-बैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं, जो रैशेज़, खुजली और कई परेशानियों से छुटकारा पाने में मदद करते हैं.
नहाने के बाद लोशन लगाएं
नहाने के बाद शरीर पर लोशन लगाना नहीं भूलें. यह आपकी त्वचा को मॉइस्चराइज़ रखने के लिए ज़रूरी है. अगर हो सके तो लोशन लगाने के तुरंत कपड़े ना पहनें, क्योंकि लोशन की सारी नमी त्वचा की जगह कपड़े सोख लेगें.
ऊन से बने कपड़ों का त्वचा से सीध संपर्क
अगर आप ऊन से बने स्वेटर और दूसरे आउटफ़िट्स का त्वचा से सीधा संपर्क हो रहा है, तो यह भी खुजली का कारण बन सकता है. इसलिए स्टवेटर या ऊन से बने दूसरे आउटफ़िट्स पहनने से पहले नीचे कॉटन के आउटफ़िट्स की एक लेयरिंग ज़रूर पहनें.
ऊन के कपड़ों को सही ढंग से धोएं
अगर आप ऊन से बने कपड़ों को धोने के लिए माइल्ड डिर्टेंज़ट का इस्तेमाल करें. इससे ऊन कड़े नहीं होगें और त्वचा को कोई नुक़सान नहीं पहुंचेगा.
शरीर के तमाम अंगों में त्वचा ही है, जिसे सबसे पहले धूप, हवा, ठंडी, गर्मी, उमस और प्रदूषण को सहन करना पड़ता है और जिसकी वजह से सनटैनिंग, सनबर्न, डार्क पैचेस, ब्लैकहेड्स, पिंपल्स, एक्ने, रैशेज़, ड्राईनेस या स्किन-सेंसिटिविटी जैसी समस्याएं पैदा होती हैं. वहीं कुछ आम स्किनकेयर गलतियां भी इन समस्याओं को बढ़ाने का काम करती हैं.
त्वचा की देखभाल का सही नियम तो स्किन टाइप और मौसम के हिसाब से होना चाहिए. उदाहरण के तौर पर, गर्मियों में त्वचा को ऐसे टोनर और रिफ्रेशर की ज़रूरत होती है, जो रोमछिद्रों को बंद करने, पसीने की वजह से जमा गंदगी को हटाने और स्किन को ताज़गी देने का काम करें. दूसरी ओर, सर्दियों में त्वचा को मॉइस्चराइज़र और इमोलिएंट्स की ज़रूरत होती है. हालांकि, सर्दियों में ऑयली स्किन पर हैवी क्रीम लगाना भी परेशानी भरा हो सकता है.
ज़्यादातर ऑयली स्किन वाले लोग ऑयली लुक को कम करने के लिए चेहरे को साबुन और पानी से दिनभर में कई बार धोते हैं. पर वास्तव में यह एक बड़ी ग़लती साबित हो सकती है. हो सकता है कि साबुन में अल्कलाईन की मात्रा अधिक हो और उसके बार-बार इस्तेमाल से त्वचा की नॉर्मल एसिड-अल्कलाईन (पीएच) बैलेंस को नुक़सान पहुंचे. यह त्वचा पर पिंपल्स और मुंहासों का भी कारण बन सकते हैं.
सैलून में भी, ऑयली यहां तक कॉम्बिनेशन स्किन को भी किसी ऑयली क्रीम से मसाज़ नहीं देनी चाहिए. हो सकता है कि यह ऑयल ग्लैंड्स को एक्टिव कर दें, जो रोमछिद्रों को बंद करने व पिंपल्स और एक्ने का कारण बन जाए. नॉर्मल से लेकर ऑयली स्किन वाले लोगों का फ़ेशियल ट्रीटमेंट करते समय सैलून्स को डीप पोर्स क्लींज़िंग, एक्सफ़ॉलिएशन के साथ स्क्रब या क्लीज़िंग ग्रेन्स, टोनिंग, आयुर्वेदिक मास्क और दूसरे प्रॉडक्ट्स आदि का इस्तेमाल करना चाहिए. चेहरे पर पिंपल्स, एक्ने और रैशेज़ हैं तो स्क्रब और ग्रेनी प्रॉडक्ट्स का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. अगर ऑयली स्किन वाले क्लाइंट की तरफ़ से फ़ेशियल मसाज़ की रिक्वेस्ट भी की जाती है तब भी ब्यूटी थेरेपिस्ट को चाहिए कि वह उससे जुड़ी समस्याओं के बारे में समझाए और सही ट्रीटमेंट देने की कोशिश करे.
जिसकी त्वचा ऑयली हो उसे ऑयल फ्री प्रॉडक्ट्स का इस्तेमाल करना चाहिए, जैसे ऑयल-फ्री मैट मॉइस्चराइज़र और जेल-बेस्ड सन स्क्रीन.
एक और बड़ी आम-सी ग़लती है कि रात के समय त्वचा पर लगाई गई क्रीम को पूरी रात छोड़ने की सलाह दी जाती. सबसे पहली बात तो यह कि, नॉर्मल से लेकर ऑयली स्किन वालों को नरेशिंग क्रीम लगाने से बचना चाहिए. यहां तक कि नॉर्मल से लेकर ड्राई स्किन पर भी क्रीम लगाकर पूरी रात छोड़ने से कोई अधिक फ़ायदा नहीं मिलेगा. असल में अगर चेहरे पर क्रीम नहीं रहेगा, तो पोर्स फ्री रहेंगे और त्वचा को भी सांस लेने का मौक़ा मिलेगा. चाहे गर्मी हो या फिर सर्दी, आंखों के आसपास क्रीम लगाकर छोड़ने से बचें. यह आंखों के सूजन का एक कारण हो सकता है. क्रीम लगाने के 15 मिनट बाद एक गीले कपड़े या वाइप्स की मदद से आंखों के आसपास के क्रीम को हल्के हाथों से पोंछ दें.
ऑयली स्किन पर हार्श एस्ट्रिन्जेंट लोशन लगाने से बचना चाहिए. यह त्वचा की नॉर्मल पीएच लेवल को नुक़सान पहुंचा सकते हैं. एक एस्ट्रिन्जेंट ऑयली स्किन के लिए गर्मियों दिनों में कारगर साबित हो सकता है, क्योंकि यह फ़ेस से ऑयलनेस कम करने और पोर्स को बंद होने से रोकता है. अगर एस्ट्रिन्जेंट लोशन बहुत हार्श है तो उसमें गुलाब जल की बराबर मात्रा मिलाएं औरएक एयर टाइट कंटेनर में भरकर फ्रिज़ में रख दें. उसके बाद लगाएं.
स्विमिंग पूल और समुद्र में स्विमिंग करने के लिए उतरने से पहले एक वॉटरप्रूफ़, बोर्ड स्पेक्ट्रम सनस्क्रीन लोशन लगाना नहीं भूलें. एक घंटे बाद इसे दोबारा लगाएं. स्विमिंग के बाद शॉवर लेना नहीं भूलें. चेहरे को भी धोएं. इससे आपको स्विमिंग पूल के पानी में पाए जानेवाले क्लोरीन और अन्य केमिकल से छुटकारा मिलेगा.
यदि स्किन ऑयली है, तो धूल और प्रदूषण चेहरे पर अधिक चिपकते हैं. चेहरे पर बार-बार हाथ ना लगाएं. असल में हाथों पर अधिक जर्म्स और बैक्टिरिया होते हैं, जो त्वचा तक पहुंच जाते हैं और समस्याओं का कारण बनते हैं. अगर चेहरे पर मुंहासे हैं, तो छूने से और बढ़ सकते हैं.
तो, थोड़ी-सी जागरूकता और मौसम के हिसाब से त्वचा की देखभाल करके आप अपनी त्वचा को स्वस्थ और बेदाग़ रख सकती हैं.
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