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इस समय महसूस होती है गर्भ में पल रहे बच्चे की हलचल

Ritisha Jaiswal
7 Sep 2022 1:25 PM GMT
इस समय महसूस होती है गर्भ में पल रहे बच्चे की हलचल
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गर्भावस्था महिलाओं के लिए बहुत ही नाजुक दौर होता है। इस दौरान उनके शरीर में भी कई तरह के बदलाव होते हैं

गर्भावस्था महिलाओं के लिए बहुत ही नाजुक दौर होता है। इस दौरान उनके शरीर में भी कई तरह के बदलाव होते हैं। जैसे-जैसे समय बितता जाता है शरीर में आने वाले बदलाव भी मुख्य रुप से महसूस होने लगते हैं। इन्हीं सारे बदलावों में से एक है, शिशु की हलचल। समय के साथ मां को गर्भ में बच्चे की हलचल भी महसूस होने लगती है। लेकिन शिशु की गर्भ में हलचल कितनी बार महसूस होनी चाहिए, इस सवाल को लेकर भी महिलाओं के मन में कई तरह के सवाल उठते हैं। तो चलिए आपको बताते हैं कि शिशु की हलचल कितने समय तक महसूस होती है।

हलचल की कोई संख्या नहीं है
हालांकि आपका शिशु कितनी बार हलचल कर रहा है इसकी कोई संख्या नहीं है। हर शिशु अलग-अलग होते हैं, उनकी हलचल का तरीका भी सामान्य नहीं होता। इसलिए यदि आपके गर्भ में पल रहे शिशु की हलचल में किसी भी तरह की समस्या आती है तो घबराएं नहीं। बच्चे की हलचल दिन में कई बार महसूस होनी चाहिए। इस बात का भी विशेष ध्यान रखें कि शिशु के हिलने-डुलने का सामान्य तरीका क्या होता है।
शिशु के रोजमर्रा के बदलावों से पहचानें
यदि बच्चे की रोजमर्रा की आदतों बदलाव दिख रहा है तो इसे पहचानें। यह भी जरुरी नहीं है कि बच्चा हर समय हिलता-ढुलता रहे, किसी समय बच्चा सो भी रहा होगा और कभी वह क्रियाशील और सक्रिय होगा। हो सकता है शिशु दिन में निश्चित समय पर ज्यादा हिलता-डुलता है जैसे दोपहर या शाम के समय में। गर्भ में पल रहे बच्चे की हलचल को लेकर अक्सर महिलाओं के मन में कई तरह के सवाल आते हैं। लेकिन हो सकता है आपको बच्चे की हलचल महसूस न हो।
आराम करते समय दें शिशु की हलचल पर ध्यान
जब भी आप आराम कर रही हैं तो शिशु की हलचल पर ध्यान दे सकती हैं। चलने-फिरने पर हो सकता है शिशु सो जाए लेकिन जब आप बैठे जो वह जाग जाए। अगर आपको काफी लंबे समय तक बच्चे की कोई हरकत महसूस नहीं होती तो आप उसे हिलने-डुलने के लिए प्रेरित भी कर सकती हैं। इसके अलावा बहुत सी महिलाओं को यह भी लगता है कि ठंडा पानी-पीने से, मीठा खाने से या तेज संगीत बजाने से भी शिशु की प्रतिक्रिया आ सकती है। वहीं दूसरो ओर कुछ लोगों का कहना है कि करवट लेकर लेटे रहने से या शिशु की हलचल पर ध्यान देने से भी उसके हिलने-डुलने का पता लग सकता है।
दूसरे या फिर तीसरे महीने की शुरुआत में
वैसे शिशु नियमित तौर पर हिलना-डुलना पैर चलाना जारी रखता है लेकिन उसकी बहुत सी हलचल इतनी हल्की हो सकती है कि आपको पता भी नहीं लगता। शुरुआत में पहचान में आने वाली हलचल काफी कम होगी और हो सकता है थोड़ी-थोड़ी देर में भी महसूस होती रहती है। यह भी हो सकता है कि आपको दिन में बहुत सारी हलचल महसूस हो और अगले दिन कोई हरकत भी न महसूस हो।

दूसरे महीने के अंत में या फिर तीसरे महीने की शुरुआत में
दूसरे महीने के अंत और तीसरे महीने की शुरुआत में आपके बच्चे का हिलना-ढूलना ज्यादा तेज और नियमित तौर पर हो सकता है। इस दौरान आप उसकी हलचल को और भी आसानी से पहचान पाएंगी। हिलना-डुलना आपके पेट पर भी दिख सकता है।
डिलीवरी की तारीख पास आने पर
जैसे-जैसे बच्चा पड़ा होना शुरु हो जाएगा और उसके पास गर्भ में हिलने-डुलने की भी ज्यादा जगह नहीं होगी।वह काफी क्रियाशील रहेगा, लेकिन जैसे आप बच्चे की पहली हलचल महसूस करती थी, उसमें काफी बदलाव महसूस होता है। इस दौरान शिशु ज्यादा उलट-पुलट भी नहीं करता। उसके हलचल मुड़ने या कलवट लेने जैसी हो सकती है। शिशु की हलचल धीमी मगर काफी प्रबल महसूस भी हो सकती है।
बदलाव लगने पर करें डॉक्टर को संपर्क
यदि आपको लग रहा है कि बच्चा सामान्य तौर से थोड़ा कम हिल-डुल रहा है या आपको उसकी हलचल में कोई महसूस लगे तो आप डॉक्टर को जरुर संपर्क करें। आधी रात के समय में भी बिल्कुल न हिचकिचाएं गर्भ में पल रहे बच्चे की जांच जरुर करवाएं। शिशु की धड़कन सुनने के कभी भी अपने आप से हाथ से चलने वाले डॉप्लर या फीटल मॉनिटरिंग एप का इस्तेमाल भी न करें। यह एप शिशु के स्वास्थ्य को लेकर गलत सूचना भी आपको दे सकते हैं। शिशु के दिल की धड़कन की जांच करने के लिए आप डॉक्टर से ही संपर्क करें।


Ritisha Jaiswal

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