लाइफ स्टाइल

होली खेलते समय अस्थमा के मरीज इन बातों का रखे ध्यान

Apurva Srivastav
25 Feb 2023 1:46 PM GMT
होली खेलते समय अस्थमा के मरीज इन बातों का रखे ध्यान
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केमिकल युक्त सूखे और गीले रंगों से आपको जलन हो सकती है

देश में होली का त्योहार बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्योहार हर किसी के जीवन में ढेर सारी खुशियां लेकर आता है। इस साल यह त्योहार 8 मार्च को मनाया जाएगा। त्योहार के जश्न में आपको सेहत भी विशेष ख्याल रखना चाहिए। खासकर जिनलोगों को पहले से अस्थमा की बीमारी है।

दरअसल, होली के दिन चारों तरफ उड़ते रंग-गुलाल अस्थमा के मरीजों के लिए समस्या बढ़ा सकते हैं। ऐसे में आपको सांस लेने में दिक्कत या सांस फूलने की समस्या हो सकती है। आइए जानते हैं, होली के दौरान अस्थमा के रोगी कैसे अपना ख्याल रख सकते हैं।
नेचुरल रंगों का इस्तेमाल करें
केमिकल युक्त सूखे और गीले रंगों से आपको जलन हो सकती है, जिससे एलर्जी, छींक और घरघराहट की समस्या हो सकती है। ज्यादातर अस्थमा के मरीजों को स्किन एलर्जी भी होती है और रंग इसे भी प्रभावित कर सकते हैं। त्योहार के दौरान नेचुरल रंगों का प्रयोग करना चाहिए। एक्सपर्ट के अनुसार, होली खेलते समय अपने इनहेलर को साथ रखें और जितना हो सके सीधे रंग को सूंघने से बचने की कोशिश करें।
अस्थमा के लक्षणों को नज़रअंदाज़ न करें
एक्सपर्ट के अनुसार, अस्थमा का अटैक आने से पहले किसी व्यक्ति को छाती में जकड़न, सांस फूलना, घरघराहट, खांसी और कम ऑक्सीजन स्तर का अनुभव हो सकता है। अगर ऐसे लक्षण नजर आए, तो आपको सतर्क रहने की जरूरत है।
इस स्थिति में आप तुरंत अपने इनहेलर का उपयोग करें। अगर आपके पास इन्हेलर नहीं है, तो नेबुलाइज़र मदद कर सकता है। इसके बाद भी अगर लक्षण कम नहीं होते हैं, तो आपको डॉक्टर से सम्पर्क करना चाहिए।
जिन लोगों को अस्थमा और सांस की एलर्जी है, उन्हें होली के उत्सव के बीच सेहत को लेकर बिल्कुल भी लापरवाही नहीं करनी चाहिए। दरअसल, होली फसल के मौसम के दौरान होती है, और ऐसे में जब सर्दी गर्मी का रास्ता दे रही होती है, बहुत सारे पेड़ और पौधे पराग छोड़ते हैं। इसलिए इस मौसम में एलर्जी, छींक, घरघराहट और अस्थमा के दौरे पड़ते हैं। यह समस्या मार्च के महीने में ज्यादा होती है।
मार्च महीने या होली के त्योहार के दौरान में अस्थमा रोगियों को जितना संभव हो सके घर के अंदर रहने की सलाह दी जाती है। एक्सपर्ट के अनुसार, पराग का स्तर आमतौर पर सुबह और शाम को चरम पर होता है, और इस समय, विशेष रूप से, मरीजों को बाहर जाने से बचना चाहिए।
अगर आप अस्थमा से पीड़ित है, तो बाहर जाते समय अपनी नाक और मुंह को मास्क या नम कपड़े से ढक कर निकल सकते हैं। अस्थमा के हमले को रोकने के लिए अपने पास इनहेलर जरूर रखें।
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