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कर्ज़ लेना आजकल बेहद आम बात हो गई है. घर लेने से लेकर घड़ी तक कर्ज़ यानी लोन पर मिलने लगी है. जहां एक ओर कर्ज़ आपके सपनों को पूरा करने में मदद करता है, तो दूसरी ओर इसकी भी बहुत संभावना है कि आम सैलरीड आदमी कर्ज़ के इस जाल में फंस जाए. आप कर्ज़ लेकर तात्कालिक ज़रूरत तो पूरी कर सकते हैं, लेकिन भविष्य के लिए मुश्क़िलें मोल भी लेते हैं. अगर ऐसे 7 लक्षण दिखने लगें तो समझ लीजिए कि आप लोन के जाल में फंसनेवाले हैं.
1. लोन लेकर गैजेट्स न ख़रीदें
एक्स्पर्ट्स का कहना है कि लोन लेकर गैजेट्स ख़रीदना समझदारी भरा क़दम नहीं है, लेकिन काफ़ी लोग आजकल ऐसा ही कर रहे हैं. आमतौर पर इसकी वजह पियर प्रेशर और सुविधाजनक लोन की उपलब्धता है. सेल और ऑफ़र्स को देखकर अक्सर लोग उन चीज़ों में पैसे ख़र्च देते हैं, जिनकी उन्हें ज़रूरत तक नहीं होती. अब आप सोच रहे होंगे, कि इस एक छोटे से लोन से क्या फ़र्क़ पड़ेगा, लेकिन इसी तरह की कई ईएमआई को जोड़कर देखें तो हो सकता है कि दूसरे बड़े और ज़रूरी लोन के लिए काफ़ी कम पैसे बचें.
2. महीने का केवल 50 % ही हो ईएमआई
एक्स्पर्ट्स का कहना है कि ईएमआई और दूसरे लोन रीपेमेंट्स किसी व्यक्ति की मंथली इनकम के 50 प्रतिशत से ज़्यादा नहीं होने चाहिए. बेहतर घर और कार की चाहत में कई बार हम अपने ऊपर अतिरिक्त दबाव बना लेते हैं और अपनी मासिक सैलरी का आधे से ज़्यादा हिस्सा लोन की ईएमआई भरने में लगा देते हैं. लेकिन इससे हमारी सेविंग्स बुरी तरह प्रभावित होती है.
3. क्रेडिट कार्ड से उधार लेना पड़ सकता है भारी
कोई लोन चुकाने के लिए दूसरा कर्ज़ लेना इस बात का संकेत होता है कि आदमी कर्ज़ के जाल में फंस चुका है. एक सर्वे के मुताबिक़ क़रीब 22 प्रतिशत लोगों ने पिछले सालभर में ऐसा ही किया. रोज़मर्रा के ख़र्च या दूसरे लोन चुकाने के लिए उधार लेना तो ख़राब बात है ही, क्रेडिट कार्ड के ज़रिए ऐसा करना ख़ुद को फंसाने जैसा है. यह तो ख़ुद को कर्ज़ के जाल में फंसाने का नुस्ख़ा है.
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4. तयशुदा ख़र्च बहुत ज़्यादा न हो
ईएमआई तो तयशुदा ख़र्चों का एक हिस्सा भर है. किराया, सोसाइटी मेंटनेंस चार्ज, स्कूल फ़ी आदि के ख़र्चे भी तय हैं. इन सबके बाद आपको अपने भविष्य के लिए, एमर्जेंसी फ़ंड, मेडिकल ख़र्चों आदि के लिए भी पैसे बचाने है. इसलिए शुरुआत में ही हमने बताया कि आपका ईएमआई यदि आपकी सैलरी का 50 प्रतिशत से कम होगा, तब जाकर बाक़ी ख़र्चे पूरे होंगे, वर्ना आपका सारा हिसाब गड़बड़ा जाएगा. और आप अपने मासिक ख़र्चों को पूरा करने के लिए कर्ज़ लेने लगेंगे.
5. लोन चुकाने के लिए दूसरा लोन न लें
लोन रीपेमेंट के लिए कर्ज़ लेना चिंता का विषय है. हां, कम ब्याज पर लोन ऑफ़र करनेवाले बैंक में स्विच करने के लिए ऐसा करने में बुराई नहीं है. लेकिन छोटे-छोटे लोन्स को भरने के लिए कोई बड़ा लोन लेना बिल्कुल ग़लत है.
6. बढ़ती ईएमआई पर कर्ज़ लेना
कई लोग भविष्य में सैलरी इन्क्रिमेंट से बहुत आस लगा लगा लेते हैं. कम सैलरी होने पर तो ठीक-ठाक इन्क्रिमेंट मिल जाता है, लेकिन रिटायर होने तक इन्क्रिमेंट मिलता रहे, इसकी संभावना बहुत कम रहती है. इसलिए होनेवाले इन्क्रिमेंट के दम पर ख़र्च बढ़ा लेना अच्छी बात नहीं है. हो सकता है बैंक आपको सैलरी बढ़ने का हवाला देकर और लोन लेने का लालच दें, लेकिन ऐसा करना आपकी अपनी फ़ाइनैंशियल सेफ़्टी को ख़तरे में डाल सकती है.
7. रोज़मर्रा की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए कर्ज़
अगर आप रोज़मर्रा के ख़र्चों के लिए अक्सर लोन लेते हैं, तो ज़रूरत है अपना वित्तीय प्रबंधन ठीक करने की. यदि आपको किराया, बच्चे की स्कूल फ़ी, आदि के लिए अक्सर लोन लेना पड़ता है, तो आप कर्ज़ के जाल में फंस सकते हैं. अगर साल में तीन बार से ज़्यादा ज़्यादा कर्ज़ लेना पड़ जाए तो यह कर्ज़ के जाल में फंसने का स्पष्ट लक्षण है.
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