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लाइफ स्टाइल
क्या आप भी कर रहे हैं लिव इन रिलेशनशिप में आने की प्लानिंग, रखें इन बातों का ख्याल
SANTOSI TANDI
30 Sep 2023 10:53 AM GMT
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रिलेशनशिप में आने की प्लानिंग, रखें इन बातों का ख्याल
आजकल की ख़बरों में आत्महत्या या सुसाइड के मामले बहुत देखने को मिल रहे हैं जिसके पीछे का मुख्य कारण अवसाद अर्थात डिप्रेशन बन रहा हैं। डिप्रेशन एक गंभीर समस्या है। इन दिनों कम उम्र में ही लोग डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, वर्तमान में डिप्रेशन के साथ रहने वाले 300 मिलियन लोगों में से 50 प्रतिशत लोगों का इलाज नहीं किया जाता है। कुछ लोग इसके लक्षणों को समझने ही नहीं पाते और मन ही मन घुटते रहते हैं। ऐसे में कई बार वह गलत कदम भी उठा लेते हैं। इसलिए आज इस कड़ी में हम आपको कुछ ऐसे लक्षणों के बारे में बताने जा रहे हैं जो डिप्रेशन का इशारा करते हैं। अपनों के व्यवहार में आए इन बदलावों को देखकर आप उनकी मदद कर सकते हैं और किसी भी तरह की अप्रिय घटना को होने से रोक सकते हैं।
भ्रम और अनिश्चितता
हर कदम पर भ्रमित होने की प्रवृत्ति, धीमी सोच, और बार-बार भूलने भी डिप्रेशन के सूक्ष्म संकेत साबित हो सकते है। हालांकि, यह सच है कि निर्णय लेने में असमर्थता एक सामान्य मानव विशेषता है, लेकिन कई बार यह चिंताजनक साबित हो सकती है। यह जानना महत्वपूर्ण है कि कोई संज्ञानात्मक तरीके से कैसे काम कर रहा है। हालांकि, कोई अवसाद के भी बिना अनिश्चित हो सकता है, फिर भी हर छोटी घटना पर अचानक निराशा हो जाना धीरे धीरे डिप्रेशन का कारण बन सकता है।
चिंता और तनाव
एंजाइटी के दौरान आपको घबराहट, बेचैनी, या तनाव महसूस करना बेहद आम हो जाता है। एंजाइटी के लक्षणों में खतरे, घबराहट या डर की भावना महसूस होती है। हृदय गति तेज हो जाती है। तेजी से सांस लेना, खूब पसीना आना, कांपना या मांसपेशियों में मरोड़ होना। जिस चीज के बारे में आप चिंतित हैं, उसके अलावा किसी और चीज के बारे में स्पष्ट रूप से ध्यान केंद्रित करने या सोचने में परेशानी होना इसके लक्षण हैं।
सामाजिक वापसी और अभिव्यक्ति
यदि व्यक्ति, जो पहले अत्यधिक सामाजिक रहे हैं और किसी भी कामों से अपने आप को वापस खींचना शुरू करते हैं, यह एक तरह का अलार्म हैं। अलगाव और सामाजिक वापसी अत्यधिक आम अवसादग्रस्त लक्षण हैं। डिप्रेशन के दौरान, सामाजिक तौर पर अलग होना बीमारी को और बढ़ाता है। आप जिन चीज़ों से प्यार करते हैं उनसे धीरे-धीरे दूरी बनाना। पहले आप जिस काम को करके आनंदित महसूस करते थे चाहे खेल हो या दोस्तों के साथ बाहर जाना। लेकिन अब इन कामों में आपकी रुचि का कम होना या पीछे हटना अवसाद का एक और स्पष्ट संकेत है।
भूख में अनियमितता
डिप्रेशन के दौरान भूख बढ़ जाती है या कम हो जाती है यह आम बात है। यह एक व्यक्ति से दूसरे में भिन्न होता है।जबकि कुछ का वजन कम होने लगता है और कुछ का बढ़ने लगता है। जबकि कुछ स्थितियों में कई लोग पूरी तरह से भोजन से परहेज करते हैं, अन्य लोग पूरे दिन कुछ खाते रहते हैं। खासतौर पर उन खाद्य पदार्थों पर जो चीनी और वसा में उच्च होते हैं। डिप्रेशन के दौरान, सामाजिक तौर पर अलग होना बीमारी को और बढ़ाता है। अवसाद वाले लोगों के लिए वजन और भूख में उतार-चढ़ाव हो सकता है। यह अनुभव प्रत्येक व्यक्ति के लिए अलग हो सकता है। कुछ लोगों को भूख बढ़ेगी और वजन बढ़ेगा, जबकि अन्य को भूख नहीं लगेगी और वजन कम हो जाएगा।
गुस्सा
बिना किसी वैध कारण के अत्यधिक गुस्सा भी मानसिक स्वास्थ्य गिरने का एक बड़ा संकेत होता है। एक साथी, सहकर्मियों, परिवार और मित्र, या यहां तक कि अजनबियों में निरंतर स्नैपिंग भी एक संकेत है। चिड़चिड़ापन या क्रोध भी आधे से अधिक लोगों के लिए एक गंभीर और दीर्घकालिक अवसाद का सामना करने का एक लक्षण है। इसके अलावा, अनैच्छिक जिद्दीपर एक और संकेत है, जो वयस्कों और बच्चों दोनों में देखा जा सकता है।
सोशल मीडिया की लत
विशेष रूप से सोशल मीडिया अपडेट के लिए लगातार देखना, इस उम्र और समय में सामान्य चीज़ की तरह लग सकती है। यह एक प्रमुख नकारात्मक पक्ष है। बगैर रुके सोशल मीडिया में रहना एक कारण है जो अनियंत्रित डिप्रेशन को बढ़ाता है। आज के समय को ध्यान में रखते हुए, यह दिखाई देता है कि हर बार जब कोई चीज़ अपडेट होती है तो एक निश्चित स्थिती पैदा होती है। हर किसी के लिए यह समझना महत्वपूर्ण है कि इन आदतों को सीमा में रखने में ही फायदा है और इससे चिंता को टाला जा सकता है।
सोने का तरीक़ा
नींद के दौरान होने वाली कठिनाई डिप्रेशन का लक्षण है। नींद में कठिनाई, रात के दौरान बेचैनी और सुबह उठने की इच्छा नही होना शांतिपूर्ण दिमाग के लिए रोडब्लॉक हैं। निराश मरीजों के बीच अनिद्रा बहुत आम है। कई मामलों से पता चलता है कि अनिद्रा वाले लोगों के पास अच्छी तरह सोते लोगों की तुलना में अवसाद होने की दस गुना संभावना होती है। इसलिए किसी के नींद के पैटर्न पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है।
मृत्यु की इच्छा
अवसाद कभी-कभी आत्महत्या से जुड़ा होता है। क्योंकि इस दौरान व्यक्ति कहीं और ध्यान केंद्रित नहीं कर पाता और उसके जीने की इच्छा खत्म होने लगती है। आत्महत्या से मरने वाले लोग आमतौर पर पहले लक्षण दिखाते हैं। अक्सर लोग अपने जीवन को समाप्त करने में सफल होने से पहले इसके बारे में बात करेंगे या पहला प्रयास करेंगे। ऐसे में अगर आप किसी ऐसे व्यक्ति को जानते हैं जो इस परिस्थिती से जूझ रहा है तो आप उसकी मदद कर सकते हैं।एक रिलेशनशिप की शुरुआत करना बेहद आसान होता है, लेकिन उसे सच्चे मन से निभाना बेहद मुश्किल होता है। दो लोगों के बीच का रिश्ता बहुत ही प्यार भरा होना चाहिए। वरना एक रिश्ता दो लोगों के लिए प्यार की जगह बोझ बनकर रह जाता है। आजकल लोग लिव इन रिलेशनशिप में रहने लगे हैं। लिव इन रिलेशनशिप में एक अविवाहित जोड़ा जैसे गर्लफ्रेंड और बॉयफ्रेंड एकसाथ एक ही घर में रहते हैं। दोनों पार्टनर एकसाथ सभी जिम्मेदारियों को उठाते हैं। लेकिन कई बार लिव इन रिलेशनशिप में रहने का फैसला भारी पड़ जाता हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि आप अपने पार्टनर को सही तरीके से समझने में गलती कर देते हैं। तो आपको लिव इन रिलेशनशिप में आने के इस फैसले पर पहुंचने से पहले कुछ बातों पर ध्यान रखने की जरूरत हैं। आइये जानते हैं इनके बारे में...
फाइनैंशल सपोर्ट है जरूरी
जब आप लिव इन रिलेशनशिप में होते हैं, तो आपको एक पूरा घर बसाने की जरूरत होती है। ऐसे में आपको आर्थिक तौर पर तैयार होना होगा। इसके बिना आपका लिव इन रिलेशनशिप में रहना आसान नहीं है। फाइनैंशल सपोर्ट दोनों पार्टनर्स की ओर से होना भी बहुत जरूरी है, वरना कुछ ही वक्त में आपका रिश्ता बोझ बन सकता है। आप दोनों के बीच फाइनैंशल सपोर्ट को लेकर मनमुटाव भी पैदा हो सकता है। ऐसे में पहले से तैयार रहें।
कमिटमेंट का रखें ध्यान
रिलेशन में आने से पहले ये बात जरूर जान लें कि आपका पार्टनर कमिटमेंट को लेकर कितना पक्के है? कई लोग कमिटमेंट को लेकर बिलकुल भी सीरियस नहीं रहते है। वे लोग आपको कह सकते हैं कि फ्यूचर का सोचकर वर्तमान क्यों खराब करना, बाद की बाद में देखेंगे। ऐसा कहने वाले लोग आपको बाद में दिक्कत दे सकते हैं। जो फ्यूचर के बारे में नहीं सोचता है वो रिलेशनशिप को लेकर सच में क्या सीरियस होगा?
एक-दूसरे का कमियों को एक्सेप्ट करें
लिव इन रिलेशनशिप में आने के बाद आपको अपने पार्टनर की इच्छाओं और कमियों को स्वीकार करना होगा। आप उन्हें अलग नहीं समझ सकते। ऐसे में आपको एक-दूसरे से अपनी हर बात कहनी होगी। इसके साथ ही एक-दूसरे को अच्छे से समझने की कोशिश करनी होगी। तभी आपका ये रिश्ता मजबूत होगा।
पर्सनल स्पेस
अक्सर साथ रहने के कारण कपल में बोन्डिंग बढ़ने के साथ-साथ लड़ाई-झगड़े भी बढ़ जाते हैं। इसका एक कारण यह भी होता है कि आप खुद के लिए एक पर्सनल स्पेस नहीं रख पा रहे हैं। बता दें कि आज के टाइम में कामकाज का स्ट्रेस और जिम्मेदारियों के बाद हर दूसरे इंसान को पर्सनल स्पेस की आवश्कता होती है और कई बार हमारा पार्टनर इस बात को गलत तरीके से समझ लेते हैं। इसलिए कोशिश करें कि सही शब्दों का इस्तेमाल करके अपने पार्टनर को समझाएं और अपने लिए पर्सनल स्पेस जरूर निकालें।
टॉक्सिक रिलेशनशिप पर दे ध्यान
अगर आप दोनों का रिश्ता पहले से ही अच्छा नहीं चल रहा या कहें टॉक्सिक है तो एकसाथ लिव-इन रिलेशनशिप में रहना सही फैसला नहीं है। टॉक्सिक रिलेशनशिप में आपसी समझ की कमी होती है जिससे एक पल तो आप खुश रहते हैं लेकिन अगले ही पल सोचने लगते हैं कि इस व्यक्ति से आपको प्यार क्यों है।
अपनी पहचान को न भूलें
कई बार नए-नए रिश्ते की एक्साइटमेंट में आकर हम अपने पार्टनर की गलत बातों को भी नजरअंदाज कर देते हैं और दूसरे इन्सान की भावनाओं को ठेस न पहुंचे। इसके लिए आप अपने मन की बात नहीं कह पाते हैं। बता दें कि यही चीजें मन में इकट्ठी हो जाती हैं और बाद में लड़ाई-झगड़े के समय सामने आती है, जिसके कारण कभी-कभी छोटी सी बात ही काफी बड़ी बन जाती है।
सीमा न लांघना
लिव-इन रिलेशनशिप में दोनों लोगों को एक-दूसरे की सीमा का अंदाजा होना चाहिए और उसे लांघने का प्रयास नहीं करना चाहिए। आप एक साथ रहते हैं, इसका मतलब यह नहीं कि पर्सनल स्पेस जैसी कोई चीज़ नहीं होनी चाहिए। हर व्यक्ति की अपनी एक निजी जिंदगी होती है। एक पर्सनल स्पेस होता है। पार्टनर को उस स्पेस का ख्याल रखना चाहिए। आप रिलेशनशिप में हैं इसका मतलब ये बिल्कुल भी नहीं कि आप दायरा लांघ जाए और अपने पार्टनर की बातों का सम्मान न करें। अगर आपका पार्टनर इस बात का ख्याल रखता है तो आप लिव-इन के बारे में सोच सकते हैं।
लिव-इन में हमेशा के लिए न रहें
कपल्स को साथ रहने की समय-सीमा तय करनी चाहिए। यदि यह एक लंबा समय रहा है, तो उनमें से एक उम्मीद करना शुरू कर सकता है और सोच सकता है कि शादी का फैसला अभी तक क्यों नहीं आया। यह देखते हुए कि रिश्ते के लिए आपके इरादे स्पष्ट हैं, कोई भी शादीशुदा जोड़े के लेबल के बिना नहीं रह सकता। लेकिन जो लोग उसी तरह रहने में सहज हैं, उनके लिए समाज और आंख उठाने वालों का सामना करने के लिए तैयार रहें।
अपनों से संपर्क बनाए रखना
लिव-इन में आने के बाद या अगर आप अभी रह रहे हों तो इसका मतलब यह नहीं कि अपनों से बातचीत बंद कर दी जाए। या बाहरी दुनिया से संपर्क एकदम खत्म कर लिया जाए। अपने दोस्तों या फैमिली के नजदीकी मेंबर से हमेशा अपनी तकलीफें बताते रहें, ताकि उन्हें आपकी स्थिति के बारे में मालूम हो और वह आपकी बुरे वक्त में मदद कर सकें।
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