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लाइफ स्टाइल
क्या आप भी तो नहीं हैं टॉक्सिक पॉजिटिविटी के शिकार, जानें इसके लक्षण
Apurva Srivastav
30 April 2021 5:48 PM GMT
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हम सभी यह जानते हैं कि जीवन में सकारात्मक दृष्टिकोण (Positive Mindset) कितना जरूरी है
हम सभी यह जानते हैं कि जीवन में सकारात्मक दृष्टिकोण (Positive Mindset) कितना जरूरी है. जीवन में सकारात्मकता हमारे मानसिक सेहत (Mental Health) को हेल्दी बनाए रखने के साथ साथ हमें हर परिस्थितियों से उबरना सिखाती है. लेकिन यह भी कठोर सच्चाई है कि जीवन (Life) हमेशा सकारात्मक नहीं हो सकता. हम सभी तमाम तरह की भावनाओं से जूझते हैं जिसमें कई दर्दनाक अनुभव और परिस्थितियां शामिल होती हैं. ऐसे में भावनाओं पर नियंत्रण रखना आसान ही नहीं, नामुमकिन भी है. ऐसी नामुमकिन परिस्थितियों में बहुत जरूरी है कि हम अपनी सच्ची मनोदशा को स्वीकारें और अभिव्यक्त करें
टॉक्सिक पॉजिटिविटी एक विश्वास है जिसमें लोग यह मान बैठते हैं कि कितनी भी बुरी और कठिन परिस्थिति क्यों ना हो, सकारात्मक मानसिकता बनाए रखनी चाहिए. कह सकते हैं कि इस विश्वास का मतलब है "जीवन में केवल और केवल सकारात्मक सोच रखना." वेरीवेल माइंड के मुताबिक, आशावादी होने और सकारात्मक होने के कई लाभ हैं लेकिन जब आप अंदर से दर्द झेल रहे हों और चेहरे पर मुस्कान बनाए रखने की मजबूरी हो या सकारात्मक दिखने की झूठी कोशिश कर रहे हों तो यह आपके अंदर टॉक्सिक पॉजिटिविटी को जन्म देती है जो हर तरह से आपकी सेहत के लिए हानिकारक है
मनोवैज्ञानिकों का यह कहना है कि टॉक्सिक पॉजिटिविटी उन लोगों के लिए नुकसानदेह है जो जीवन में कठिन समय से गुजर रहे हैं. ऐसे में अगर इंसान अपनी सही भावनाओं को लोगों के साथ साझा नहीं कर पाता और लोगों से इमोशन सपोर्ट हासिल नहीं कर पाता तो वह खुद को अकेला और ठुकराया हुआ पाता है. जिसका प्रभाव उस पर बहुत ही बुरा पड़ सकता है. इसके अलावा, जब आप टॉक्सिक पॉजिटिविटी के शिकार होते हैं तो आप भावनाओं को व्यक्त करने में असहज महसूस करते हैं. आपके अंदर यह बात घर कर जाती है कि जो भावनाएं आपके मन में आ रही हैं वो दरअसल नहीं आनी चाहिए थी. यही नहीं, आप इसे गलत मानने लगते है और ऐसा सोचकर आपको खुद पर शर्म आती है. यही नहीं, आपके अंदर इस बात का गिल्ट पलने लगता है कि अगर आप बुरे हालात में अपनी भावनाओं को नियंत्रित नहीं कर सके तो आप कमजोर हैं जो गलत हैं. ये होते हैं लक्षण -अगर आप दुखी होते हैं, उदास रहते हैं या रोना आता है तो आपको खुद पर गुस्सा आता है. -सच्चाई को फेस करने की बजाए आप उसे अस्वीकार करना बेहतर समझते हैं. -अपनी सच्ची भावनाओं को अभिव्यक्त किसी भी हाल में नहीं करते. -लोगों की ऐसी भावनाओं के अभिव्यक्ति का मजाक बनाते हैं. कैसे उबरें इससे? अगर आपमें भी कुछ ऐसे ही लक्षण दिख रहे हैं तो इससे उबरने के लिए सर्पोटिव अप्रोज को फॉलो करें और इन बातों को अपने जीवन में हमेशा याद रखें.- – अपनी नकारात्मक भावनाओं को अस्वीकारें नहीं, बल्कि उसे मैनेज करने की कोशिश करें. – अगर आप तनावपूर्ण स्थिति में हैं तो तनाव होना स्वाभाविक है. डर जैसे माहौल में डरना भी स्वाभाविक है. ऐसे में खुद से ज्यादा एक्सपेक्टेशन रखने की बजाए, खुद का ख्याल रखने पर फोकस करें और परिस्थिति को सम्हालने का प्रयास करें. -अगर कोई अपनी भावनाओं को बताना चाह रहा है तो अपने टॉक्सिक पॉजिटिविटी से उसे चुप ना कराएं. उसे खुद को व्यक्त करने का हौसला दें और अपना सपोर्ट दें. -अपनी सच्ची भावनाओं को अवॉइड करने से बेहतर है कि उन्हें अपने सही रूप में स्वीकार करें. इसकी मदद से आप गलत सिचुएशन में जानें से बच जाएंगे
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