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लाइफ स्टाइल
क्या आपको भी प्रेज़ेंटेशन के दौरान ग़लती करने का डर सताता है
Kajal Dubey
29 April 2023 5:13 PM GMT
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बिल्कुल सामान्य है ऐसा होना
सबसे पहले तो आप इस बात को दिमाग़ से निकाल दें कि ऐसा आपके साथ ही होता है. ऐसा अच्छे-अच्छों के साथ हो सकता है. होता यह है कि हम अपने प्रेज़ेंटेशन के साथ पूरी तरह तैयार होते हैं, पर मीटिंग या प्रेज़ेंटेशन का समय आते ही हम अनजाने डर से आशंकित हो जाते हैं. मीटिंग में जब इस तरह की मनोस्थिति के साथ पहुंचते हैं, तब मीटिंग बढ़ने के साथ-साथ हमारी यह घबराहट बढ़ने लगती है. हमें लगता है हमसे कुछ न कुछ तो गड़बड़ होनेवाला है.
जब आप दिमाग़ी रूप से किसी अनहोनी की आशंका में परेशान होते हैं, तब उसका असर उस कमरे में भी दिखने लगता है. आप बेवजह की ग़लतियां करने लगते हैं. और सचमुच कुछ न कुछ गड़बड़ हो ही जाता है. बाद में आकलन करने पर आप भी पाते हैं कि आपके पास सबकुछ था, फिर भी उस वक़्त न जाने आत्मविश्वास कहां ग़ायब हो गया था. मानसिक रूप से ख़ुद को बेहद कमज़ोर क्यों समझ रहे थे, पता नहीं.
आप यह सोचकर सुकून का अनुभव कर सकते हैं, कि ऐसा महसूस करनेवाले दुनिया में आप अकेले व्यक्ति नहीं हैं. आप जैसे हज़ारों लोग आख़िरी समय पर पैनिक अटैक का शिकार हो जाते हैं. अब आइए खोजें, इस तरह की पैनिक सिचुएशन से बाहर निकलने का रास्ता.
छोटे-छोटे तरीक़े, जो आपको आत्मविश्वास से भर देंगे
ज़ाहिर है आप बार-बार ऐसा होने के चलते काफ़ी परेशान हैं. महत्वपूर्ण सलाह और सुझाव होते हुए भी आप उन्हें सही जगह पर प्रस्तुत नहीं कर पाते. आख़िर वह मौक़ा होता है, जब आप अपनी छाप छोड़ सकते हैं. कई मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि ऐसा हमारे आत्मविश्वास में कमी के चलते होता है. आत्मविश्वास में यह कमी हमारे पालन-पोषण के तरीक़े और सामाजिक मान्यताओं से जुड़ी होती है. आप इन चीज़ों को बदल तो नहीं सकते, तो आख़िर किया क्या जा सकता है? इसका सामना करने का सबसे सही तरीक़ा है, ख़ुद को सही होने का आत्मविश्वास से भर लेना. मीटिंग में जाते समय यह सोचकर जाना कि इस विषय पर सबसे अधिक तैयारी और रिसर्च आपने किया है. इसलिए सब्जेक्ट पर सबसे अधिक जानकारी आपको है.
दूसरी बात यह क्लीयर कर लें कि आप मीटिंग के दौरान सबके ‘अच्छे फ़ीडबैक’ की उम्मीद नहीं कर सकते. आप लाख अच्छा काम कर लें, पर पूरी दुनिया को एक साथ संतुष्ट कर पाना संभव नहीं है. आप दुनिया को नहीं, ख़ुद को संतुष्ट करने के बारे में सोचें. दिमाग़ में यह बात रखें कि अपनी जानकारी के अनुसार आप वहां बेस्ट परफ़ॉर्म करने जा रहे हैं.
तीसरी बात है बॉडी लैंग्वेज को सही रखना. आप ख़ुद को कॉन्फ़िडेंट साबित करने के लिए प्रेज़ेंटेशन के दौरान दाएं-बाएं झाकने के बजाय बड़े आत्मविश्वास से सामनेवाले की आंखों में देखकर बात करें. अपनी बातों को टू-द-पॉइंट रखें. जब आप यहां-वहां भटकेंगे नहीं, तक आपका प्रदर्शन अपने आप प्रभावशाली हो जाएगा.
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