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लाइफ स्टाइल
मां बनने के लिए IVF के अलावा IUI भी है ऑप्शन, जानें इसकी प्रक्रिया और फायदे
Deepa Sahu
20 March 2021 2:04 PM GMT
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कई महिलाएं नैचुरली कंसीव नहीं कर पाती हैं
जनता से रिश्ता वेबडेस्क : कई महिलाएं नैचुरली कंसीव नहीं कर पाती हैं और मां बनने के लिए उन्हें फर्टिलिटी ट्रीटमेंट की मदद लेनी पड़ती है। मेडिकल क्षेत्र में काफी विकास हो जाने की वजह से अब ऐसी कई फर्टिलिटी ट्रीटमेंट मौजूद हैं जो महिलाओं को मां बनने में मदद करती हैं। इस लिस्ट में सबसे ऊपर आईवीएफ का नाम आता है। इसके अलावा और भी कई फर्टिलिटी ट्रीटमेंट हैं जिनमें आईयूआई भी शामिल है। इंट्रा यूटेराइन इनसेमिनेशन को आईयूआई कहते हैं और इसकी मदद से भी महिलाएं मां बन सकती हैं।
क्या है आईयूआई
आईयूआई एक फर्टिलिटी ट्रीटमेंट है जिसमें स्पर्म को महिला के गर्भाशय में सीधा डाला जाता है। नॉर्मल कंसीव करने की प्रक्रिया में स्पर्म गर्भाशय ग्रीवा के जरिए योनि में पहुंचता है और फिर फैलोपियन ट्यूबों की मदद से गर्भाशय तक आता है।
लेकिन नैचुरली यह प्रक्रिया नहीं हो पाती है तो इस स्थिति में आईयूआई की मदद से स्पर्म को सीधा एग के नजदीक गर्भाशय में डाला जाता है। इस प्रक्रिया से महिला के मां बनने की संभावना बढ़ जाती है।
किसे पड़ती है आईयूआई की जरूरत
जब दवा और ओवुलेशन के समय पर सेक्स करने पर कंसीव नहीं हो पाता है तो सबसे पहले आईयूआई की मदद ली जाती है। यदि स्पर्म काउंट या इनकी गतिशीलता में हल्की सी कमी हो या एंडोमेट्रियोसिस के हल्के मामलों में आईयूआई की सलाह दी जाती है।
जो महिलाएं नियमित रूप से ओवुलेट नहीं कर पाती हैं, उन्हें आईयूआई के साथ ओवुलेशन शुरू करवाया जा सकता है। वहीं जिन कपल्स में इनफर्टिलिटी का कारण समझ नहीं आता है, उन्हें भी आईयूआई की सलाह दी जा सकती है।
कैसे होती है प्रक्रिया
मासिक धर्म से 2 या तीन दिन में 5 से 10 दिन के लिए महिलाओं को गोनाडोट्रोपिन दवा या इंजेक्शन दिए जाते हैं। इसके बाद हर तीसरे या चौथे दिन पर सोनोग्राफी की मदद से मॉनिटर किया जाता है।
फॉलिकल्स के सही साइज में होने पर एचसीजी के इंजेक्शन से ओवुलेशन की प्रक्रिया को ट्रिगर किया जाता है और लगभग 36 घंटे के अंदर आईयूआई प्रक्रिया की जाती है।
आईयूआई ट्रीटमेंट के दिन मेल पार्टनर को अपने वीर्य का सैंपल देना होता है। वीर्य के सैंप को लैब में प्रोसेस किया जाता है और फिर महिला के गर्भाशय में इसे डाल दिया जाता है।
इसके बाद 14 दिनों तक महिला को दवा दी जा सकती है जिसके बाद एचसीजी टेस्ट से प्रेग्नेंसी को कंफर्म किया जाता है।
जोखिम और सफलता
इंट्रा यूटेरानइन इनसेमिनेशन एक आसान और सुरक्षित प्रक्रिया है और इसके कुछ जोखिम कारक होते हैं, जैसे कि :
प्रक्रिया की वजह से इंफेक्शन होने का खतरा रहता है।
कई बार गर्भाशय में कैथेटर नगाने पर योनि से हल्की ब्लीडिंग हो सकती है। इसका प्रेग्नेंसी के चांसेस पर कोई असर नहीं पड़ता है।
यदि ओवुलेशन करने वाली दवाओं के साथ आईयूआई ली जाए तो जुड़वा, तीन या इससे ज्यादा बच्चे होने की उम्मीद रहती है।
बात करें आईयूआई ट्रीटमेंट के सक्सेस रेट की तो विश्व स्तर पर इसका सक्सेस रेट 15 पर्सेंट है और आईयूआई की लगभग पहली तीन साइकिल में 80 पर्सेंट महिलाएं गर्भधारण कर लेती हैं।
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