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आजकल अच्छे स्वास्थ्य के लिए लोग व्यायाम के साथ प्राणायाम को भी अपनी दिनचर्या में शामिल करने लगे हैं। प्राणायाम शरीर को स्वस्थ और रोगमुक्त रखता हैं। योग में प्राणायाम का भी अपना विशेष महत्व होता हैं और इस कड़ी में आज हम आपको जिस प्राणायाम की विधि और फायदे बताने जा रहे हैं वो हैं अनुलोम-विलोम प्राणायाम। तो चलिए जानते हैं अनुलोम-विलोम प्राणायाम की विधि और फायदे।
* अनुलोम-विलोम प्राणायाम करने की विधि
किसी भी आरामदायक आसन में बैठ जायें। पद्मासन सबसे उत्तम है, परंतु सिद्धासन या वज्रासन भी ठीक है अगर आप पद्मासन नहीं कर सकते। अगर नीचे बैठना मुमकिन ना हो तो कुर्सी पर भी बैठ सकते हैं।
अपने दाहिने हाथ के अंगूठे के साथ दाहिने नथुने को बंद करें। बाएँ नथुने से श्वास लें। श्वास धीरे-धीरे लें - मन में पाँच तक की गिनती करें। बायाँ हाथ बायें घुटने पर टिका होना चाहिए, इस हाथ से चिन मुद्रा बना कर रखें। अब दाहिने नथुने को छोड़ दें, हाथ की रिंग फिंगर से बायें नथुने को बंद कर लें। पाँच की गिनती करते हुए बायें नथुने से श्वास छोड़ें। यह पूरा हुआ एक तरफ का क्रम। अब बायें नथुने से पाँच तक की गिनती करते हुए श्वास लें। फिर इस नातुने को छोड़ दें और दाहिने नथुने को बंद करें और उस से श्वास छोड़ें। यह पूरा हुआ एक क्रम अनुलोम-विलोम प्राणायाम का। इसे 1 मिनिट हो सके तो 1 मिनिट के लिए करें। ज़्यादा हो सके तो ज़्यादा देर करें। शुरुआत में 2 मिनिट से ज़्यादा ना करें। समय के साथ साथ अवधि और गिनती बढ़ायें। ध्यान रहे की साँस बिल्कुल नहीं रोकनी है। साँस रोकना एक ज़्यादा मुश्किल रूप है प्राणायाम का जो आप शुरुआत में बिल्कुल ना करें।
* अनुलोम-विलोम प्राणायाम करने के फायदे
- अनुलोम विलोम प्राणायाम नाड़ियाँ या प्राणिक चैनलों को साफ कर देता है और प्राण का पूरे शरीर में प्रवाह बना देता है।
- नाड़ियाँ शुद्ध कर देता है। अत: इस प्राणायाम को नाड़ी शोधन प्राणायाम भी कहा जाता है।
- यह शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालता है।
- यह तनाव, अवसाद और दिल से संबंधित समस्याओं के लिए चिकित्सकीय है।
- यह आपकी एकाग्रता में सुधार लाता है।
- त्वचा में दमक को बढ़ाता है।
- यह रक्त परिसंचरण में सुधार लाता है और साथ ही साथ मन को शांत करता है।
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