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लाइफ स्टाइल
प्रेग्नेंसी से जुड़े उन सभी सवालों के जवाब, जो आपके मन में आते हैं
Kajal Dubey
29 April 2023 1:16 PM GMT

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क्या यह आपकी पहली प्रेग्नेंसी है? ज़ाहिर है आप बेहद एक्साइटेड होंगी, पर साथ ही साथ आपको नर्वसनेस ने भी घेर रखा होगा. कारण-आपके मन में प्रेग्नेंसी से जुड़े कई तरह के सवाल चल रहे होंगे. आख़िरकार आपके शरीर में कई सारे बदलाव भी तो चल रहे हैं. हार्मोनल उठा-पटक के चलते मूड भी ऊपर-नीचे होते रहता है. हमने डॉ माधुरी बुरांडे लाहा, कंसल्टेंट आब्स्टेट्रीशियन ऐंड गायनाकोलॉजिस्ट, मदरहुड हॉस्पिटल, खराडी से बातचीत करके आपके मन में आनेवाले सभी सवालों के जवाब तलाशने की कोशिश की.
प्रेग्नेंसी क्रेविंग कब से शुरू होती है?
प्रेग्नेंसी क्रेविंग्स के शुरू होने का कोई तय समय नहीं होता. हर महिला में यह अलग-अलग टाइम पर शुरू होता है. कई महिलाओं को तो क्रेविंग जैसा कुछ अनुभव नहीं होता. वैसे ज़्यादातर महिलाओं में यह दूसरे ट्रायमिस्टर से शुरू होता है और तीसरे ट्रायमिस्टर तक ठीक भी हो जाता है. कुछ महिलाएं पहले ट्रायमिस्टर में भी क्रेविंग्स का अनुभव करती हैं. आमतौर पर महिलाओं को प्रेग्नेंसी के दौरा खट्टी चीज़ें, आइस क्रीम्स और चिप्स जैसी चटर-पटर चीज़ों की क्रेविंग होती है. पर आपको अपने मन पर थोड़ा कंट्रोल करना होगा, क्योंकि ये चीज़ें सेहत की दृष्टि से ठीक नहीं समझी जाती हैं. अगर आपको अनहेल्दी फ़ूड्स खाने की इच्छा कुछ ज़्यादा ही हो रही हो तो अपने डॉक्टर से सलाह ज़रूर लें.
प्रेग्नेंसी के दौरान वज़न कितने किलो तक बढ़ना चाहिए?
फिर वही बात वज़न कितना बढ़ना बढ़ता है, यह व्यक्ति-व्यक्ति पर निर्भर करता है. यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि प्रेग्नेंट होने के पहले आपका औसत वज़न कितना हुआ करता था. अगर प्रेग्नेंसी के पहले आप अंडर वेट हुआ करती थीं तब आपका वज़न 18 से 20 किलो तक बढ़ना चाहिए. वहीं अगर प्रेग्नेंट होने के पहले आप ओवरवेट हुआ करती थीं तो आपको कोशिश करनी चाहिए कि आपका प्रेग्नेंसी वेट 5 से 7 किलो तक ही बढ़े. यह मिथक है कि सेहतमंद बच्चे के लिए हर प्रेग्नेंट महिला को दो लोगों जितना खाना खाना चाहिए. आपको अपना खानपान नियंत्रित ही रखना चाहिए और पौष्टिक चीज़ें खानी चाहिए.
प्रेग्नेंसी में फ़िट कैसे रहा जा सकता है?
आपको प्रॉपर फ़िटनेस रूटीन का पालन करना होगा, जिसमें आपके डॉक्टर की सलाह पर हल्के-फुल्के व्यायाम भी शामिल होते हैं. आप यह सुनिश्चित करें कि आप किसी विशेषज्ञ के मार्गदर्शन में ही एक्सरसाइज़ करें. ज़रूरत से अधिक यानी हैवी एक्सरसाइज़ इस समय नहीं करनी चाहिए. आप वॉकिंग, योग, एरोबिक्स, पिलाटे जैसी एक्सरसाइज़ टेक्नीक्स की मदद लें. स्ट्रेस-फ्री रहने के लिए मेडिटेशन की मदद लें. एक्सरसाइज़ के पहले वॉर्मअप करना बहुत ज़रूरी है और बाद में कूलिंग डाउन की प्रक्रिया भी उतनी ही अहम है. एक और ज़रूरी बात ख़ुद को हाइड्रेटेड रखें और पीठ के बल बहुत देर तक न सोएं. घुड़सवारी, जिमनैस्टिक्स, हैवीवेट ट्रेनिंग और रनिंग जैसी गतिविधियों से बचना ज़रूरी है. टेनिस, मार्शल आर्ट्स और स्क्वैश जैसे खेलों से भी दूरी बना लें.
प्रेग्नेंसी के दौरान किन विटामिन्स की ज़रूरत होती है?
अपनी डायट में सभी प्रमुख विटामिन्स और मिनरल्स शामिल करें. साथ ही आप अपने डॉक्टर की सलाह पर फ़ॉलिक एसिड सप्लिमेंट्स भी लेना शुरू कर दें. डॉक्टर की सलाह पर ही विटामिन डी सप्लिमेंट्स भी शुरू करें, क्योंकि इससे हड्डियां और मसल्स हेल्दी बने रहते हैं. अगर विटामिन बी12 की कमी हो तो उसके सप्लिमेंट्स भी ज़रूरी हो जाते हैं. बहुत ज़्यादा विटामिन ए न लें, क्योंकि यह आपके बच्चे की वृद्धि के लिए नुक़सानदेह हो सकता है. फ़िश लिवर ऑयल बिल्कुल भी न लें, क्योंकि इसमें विटामिन ए की अधिकता होती है.
प्रेग्नेंसी में सोने की सबसे सही पोज़िशन कौन-सी होती है?
पहले ट्रायमिस्टर तक सोने की किसी भी पोज़िशन से कोई दिक़्क़त नहीं होती, चाहे पीठ के बल सोने की बात हो या पेट के बल, पर जैसे ही आपकी प्रेग्नेंसी दूसरे ट्रायमिस्टर में प्रवेश करती है, आपका बेबी बम्प बड़ा होने लगता है. तब आपको बाईं करवट लेकर सोना शुरू कर देना चाहिए. ऐसा करने से आपके बच्चे को पर्याप्त ब्लड सप्लाई मिलती रहेगी. दूसरे ट्रायमिस्टर से कभी भी पेट के बल सोने की ग़लती न करें. एक तरफ़ करवट लेकर सोएं और अपने घुटनों को थोड़ा-सा मोड़ लें, ताकि आपके यूटरस पर किसी तरह का दबाव न पड़े और आपको सांस लेने में भी तक़लीफ़ न हो. अगर नींद में आप पीठ के बल सो गईं या दाहिनी ओर करवट लेकर लेट गईं तो बहुत ज़्यादा चिंता मत कीजिए.
क्या मुझे प्रीनेटल क्लासेस जॉइन करना चाहिए?
प्रीनेटल या अंटीनेटल क्लासेस यानी गर्भवती महिलाओं को बच्चे को जन्म देने, लेबर पेन और पैरेंटिंग आदि के बारे में जानकारी दी जाती है, अमूमन प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए फ़ायदेमंद साबित होती हैं. इससे आपके मन से कई डर और ग़लतफ़हमियों को दूर होने में मदद मिलती है. आपको एक्सरसाइज़, डायट, डिलिवरी के तरीक़ों, प्रेग्नेंसी रिलैक्सेशन, नवजात बच्चों की देखभाल से जुड़ी प्रामाणिक जानकारियां मिलती हैं. इससे होता यह कि आपकी डिलिवरी तुलनात्मक रूप से आसान हो जाती है और मां बनने के बाद के शारीरिक और इमोशनल दिक़्क़तों से निपटने में मदद मिलती है.
क्या गर्भवती महिलाएं फ़्लू वैक्सीन लगवा सकती हैं?
बिल्कुल. प्रेग्नेंसी के दौरान फ़्लू वैक्सीन लेने से मां और बच्चे पर किसी भी तरह का नकारात्मक असर नहीं होता. एक तरह से यह सुरक्षित भी होता है, क्योंकि प्रेग्नेंसी के दौरान फ़्लू होने के बहुत सारे गंभीर कॉम्प्लिकेशन्स होते हैं. इसलिए प्रेग्नेंसी के दौरान अपने गायनाकोलॉजिस्ट द्वारा सुझाए गए सभी टीके ज़रूर लें.
क्या बच्चों के लिए ब्रेस्टफ़ीडिंग ही सर्वश्रेष्ठ विकल्प होता है?
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