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बेटियां पिता की आंखों का तारा होती हैं. पिता और पुत्री का रिश्ता अब काफ़ी बदल चुका है. दोनों अब अपनी ज़िंदगी का बहुत कुछ शेयर करने लगे हैं. फ़ादर्स डे पर आइए जानें पिता क्या कहना चाहते हैं अपनी बेटी को. प्रस्तुत है फ़ेमिना फ़ादर्स डे स्पेशल की तीसरी कड़ी.
हर पिता अपनी पत्नी की रिस्पेक्ट करे
-बिजय आनंद, अभिनेता-योग टीचर
‘‘जैसे एक पौधे को खाद-पानी देते हैं, उसकी देखभाल करते हैं, उसी तरह पिता अपने बच्चे को वैल्यूज़ के खाद-पानी से पोषित करता है. उन्हें दुनिया की अच्छाई को स्वीकारने और बुराई का मुक़ाबला करने की ताक़त, हिम्मत देता है. वहीं एक बेटी का पिता होने का मतलब है कि आपको यह सारा काम कोमलता के साथ करना है.
‘‘हमारे देश में यौन हिंसा के मामले दिन प्रतिदिन बढ़ते ही जा रहे हैं. यह सब देखकर डर लगता है, पर साथ ही साथ क्रोध भी पैदा होता है. न्याय की धीमी प्रक्रिया बेचैनी पैदा करती है. मेरा मानना है कि ऐसे मामलों में सज़ा और सख़्त करने की ज़रूरत है. ऐसा नहीं है कि यह कोई नया ट्रेंड है. मामले इसलिए ज़्यादा सामने आ रहे हैं, क्योंकि लड़कियों में अपने साथ होने वाली घटनाओं के ख़िलाफ़ बोलने का आत्मविश्वास बढ़ा है. महिलाओं के प्रति पुरुषों के मन में वासना की भावना हमेशा से रही है. हां, बस हाल के दिनों में उन्हें ऑब्जेक्ट की तरह देखने का चलन बढ़ा है. मुझे ऐसी कोई आशा नहीं है कि हालात पूरी तरह ठीक होंगे, क्योंकि यह एक इंसानी फ़ितरत है. पर हां, इसे कम करने के कई तरीक़े हैं, एक तो लॉ ऐंड ऑर्डर मशीनरी को दुरुस्त किए जाने की ज़रूरत है. सबसे अहम् यह है कि हमें अपनी बच्चियों को और ज़्यादा होशियार बनाना होगा. उन्हें शिक्षा के साथ-साथ समझदारी भी देनी होगी. उन्हें शुरू से ही सही-ग़लत की सीख देनी होगी. मैं पैरेंट्स से बच्चों को आत्मरक्षा के तरीक़े सिखाने का आग्रह करूंगा, क्योंकि आप समाज और सिस्टम पर नियंत्रण नहीं कर सकते, पर अपने हाथ में जो भी है, वो ज़रूर करें.
‘‘हमें बेटों को भी सही संस्कार सिखाना चाहिए. उन्हें महिलाओं की इज़्ज़त करने की सीख देना सबसे ज़रूरी है. नेताओं को चाहिए कि ऐसे केसेस में वे किसी भी तरह से आरोपी/अपराधी का बचाव न करें. सकारात्मक माहौल बनाने में पिता की बड़ी भूमिका है. सबसे पहले घर का माहौल ख़ुशनुमा और स्वस्थ रखे. पिता को चाहिए कि अपनी पत्नी की रिस्पेक्ट करें, क्योंकि बच्चे आपके आपसी व्यवहार को ग़ौर से देखते हैं.
‘‘मेरी बेटी आठ साल की थी, जब उसने पूछा था,‘रेप क्या होता है?’ उस समय हमने यही बताया कि एक आदमी जब एक अपरिचित, अनजान महिला को शारीरिक रूप से, ग़लत ढंग से छूता है तो उसे रेप कहते हैं. मैंने और मेरी पत्नी ने फ़ैसला लिया है कि उसके सवालों के जवाब ज़रूर देना है, फिर चाहे वो असहज कर देनेवाले ही क्यों न हों.
‘‘सनाया को मैं हमेशा कहता हूं कि ज़िंदगी में केवल पैसे कमाना या सफल होना ही ज़रूरी नहीं है. ज़रूरी है कि आप ख़ुश रहें. दूसरी बात यह कि केवल किताबी ज्ञान ज़रूरी नहीं है. सबसे महत्वपूर्ण यह है कि आपको प्रैक्टिकल ज्ञान कितना है. अपने दोस्त बहुत सोच-समझकर चुनने हैं. ख़ूब घूमें, क्योंकि ज़िंदगी के प्रति हमारी समझ ट्रैवलिंग से ही विकसित होती है. मेरी बेटी अभी 10 साल की है, मगर दुनिया के 15 देश घूम चुकी है.’’
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