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गुस्सा के बाद होता है पछतावा, तो ऐसे करें कंट्रोल

Ritisha Jaiswal
21 July 2022 3:53 PM GMT
गुस्सा के बाद होता है पछतावा, तो ऐसे करें कंट्रोल
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क्या आपको भी कभी कभी गुस्सा या क्रोध इतना अधिक आ जाता है कि आप अपने होश में ही नहीं रहते हैं.

क्या आपको भी कभी कभी गुस्सा या क्रोध इतना अधिक आ जाता है कि आप अपने होश में ही नहीं रहते हैं. क्या छोटी बातों पर अचानक उखड़ जाते हैं. क्या बाद में मामला शांत होने पर पछतावा भी होता है. यदि इन दोनों प्रश्नों का उत्तर हां में है तो फिर आपको यह लेख जरूर पढ़ना चाहिए. इस लेख में हम उन कारणों को बताएंगे जिनके कारण बेहिसाब क्रोध आता है और यह भी बताएंगे कि कैसे इस पर नियंत्रण कर सकते हैं.

क्रोध एक ऐसी स्थिति जो सभी की उस समय होती है जब हमारी सोच के विपरीत काम होता है. कुछ लोगों में तो इतना भयंकर क्रोध आता है कि उन्हें पता ही नहीं होता है कि क्रोध में कितना नकारात्मक काम कर जाते हैं. क्रोध आते ही सोचने समझने की शक्ति ही खत्म हो जाती है. किसी भी व्यक्ति का स्वभाव उसके व्यक्तित्व निर्धारण में नींव की तरह कार्य करता है. लेख में हम बताएंगे कि आखिर इस क्रोध का ज्योतिषीय कारण क्या है और किस तरीके से इस पर कंट्रोल कर सकते है.
ज्योतिष की दृष्टि से पहला कारण आपकी लग्न जहां जिसमें आपका जन्म हुआ, दूसरा आपकी वाणी जहां से क्रोध प्रकट होगा और तीसरा मस्तिष्क यानी पंचम भाव जिससे सभी चीजें नियंत्रित होती हैं. कुछ क्रोधी लोगों के बारे में कहा जाता है कि उसका दिमाग बहुत गर्म है. क्रोध, ऊर्जा और अग्नि का एक रूप है। जब फायरी प्लैनेट यानी मंगल और सूर्य व्यक्ति के अंदर ऊर्जा बढ़ाते हैं यानी अग्नि तत्व बढ़ाते हैं तो इसी का साइड इफेक्ट क्रोध होता है. मन अर्थात मूड को कंट्रोल करने वाला चंद्रमा जब किसी तरह कुंडली में या अंतरिक्ष में मंगल या सूर्य यानी अग्नि तत्व वाले किसी ग्रह के नजदीक आकर संबंध बना लेता है तो मूड गर्म हो जाता है. जिस तरह से गैस जलाने के बाद उस पर जल का भगौना रख दें तो जल गर्म हो जाता है तो उसी तरह चंद्रमा कुंडली में मंगल या सूर्य के साथ कनेक्ट होने पर क्रोध आने लगता है.चंद्रमा नेचुरल रूप से सभी के मन का कारक है लेकिन अगर किसी की कुंडली में चंद्रमा उसके दिमाग का स्वामी भी हो जाए तो यह स्थिति मीन लग्न और मीन राशि वालों के लिए बन सकती है. वहीं अगर चंद्रमा का संबंध वाणी के घर से हो जाए और मंगल या सूर्य से कनेक्ट हो जाए तो वाणी की सौम्यता और शीतलता खत्म हो जाती है और व्यक्ति क्रोध में आग बबूला होने लगता है, यह स्थिति मिथुन लग्न या मिथुन राशि वालों के लिए बनती है.
वहीं चंद्रमा प्रथम भाव यानी लग्न भाव लग्नेश हो जाए तो व्यक्ति के शरीर अर्थात पर्सनालिटी को रिप्रेजेंट करता है, स्वामी हो जाता है तो फिर क्रोध प्रचंड हो जाता है, छोटी छोटी बातों पर हाथ छोड़ देते हैं. यह स्थिति कर्क लग्न और कर्क राशि वालों की बनती है क्योंकि उसके स्वामी चंद्रमा हैं और चंद्रमा के साथ यदि मंगल की मजबूत स्थिति बन जाए तो चंद्रमा फायरी हो जाता है.
यदि इस चंद्रमा और मंगल के साथ कहीं राहु भी बैठ जाएं तो क्रोध ऐसा आता है जैसे बम ही फट गया हो. राहु किसी भी चीज को प्रोवोक करता है उत्प्रेरक होता है और सबसे खास बात यह है कि बहुत भड़काऊ है, यह बिना बात के आदमी को उकसा कर बात का बतंगड़ बना देता है. दरअसल राहु धमाका कराता है, किसी भी चीज का अचानक विध्वंसक रूप से प्रकट हो जाना राहु के कारक तत्व का एक कारण है. इसलिए राहु की संगत अगर चंद्रमा या मंगल के साथ हो जाए तो क्रोध अधिक आने लगता है.कोई भी ऊर्जा देने वाले ग्रह अगर विस्फोटक ग्रह राहु के साथ आ जाएंगे तो अग्नि अनियंत्रित हो जाएगी और क्रोध भी अग्नि का एक रूप है.
कई प्रकार के होते हैं क्रोध
क्रोध के भी कई रूप या अवस्थाएं होती हैं, जैसे कुछ परिस्थितियों में किसी गलत बात का विरोध करने या किसी व्यक्ति को उसकी गलती पर समझाने में क्रोधित हो जाना. उसे समझाने के लिए क्रोध करना आवश्यक होता है.
सकारात्मक क्रोध - कुंडली में जब मंगल और बृहस्पति का योग हो जाए या उनकी दृष्टि पड़ जाए तो ऐसे में व्यक्ति का क्रोध सकारात्मक रूप में होता है, ऐसे व्यक्ति बहुत आवश्यकता होने पर ही क्रोध करते हैं.
अहम वश क्रोध - सूर्य और मंगल का योग व्यक्ति को अहमवश क्रोध देता है, सूर्य राजसी तत्व है, सूर्य को इस बात का अहम रहता है कि आप नीचे हैं और हम ऊपर हैं.
गुप्त क्रोध - चंद्रमा के साथ केतु का इंवॉल्वमेंट होने पर गुप्त क्रोध होता है. केतु इंट्रोवर्ड है अंतर्मुखी है, यदि क्रोध दिलाने वाला प्लैनेट संपर्क में आ जाए तो ऐसे व्यक्तियों को क्रोध तो आता है किंतु वह क्रोध बाहर नहीं निकल पाता है. व्यक्ति अपने क्रोध को मन में दबाकर रखता है आसानी से क्रोध का प्रदर्शन नहीं कर पाता.
नकारात्मक क्रोध - राहु और मंगल का योग व्यक्ति के क्रोध को विकृत करके विध्वंसात्मक स्थिति में पहुंचा देता है. अतः ऐसा व्यक्ति अपने क्रोध पर बिलकुल नियंत्रण नहीं रख पाता और बहुत बार बड़े गलत निर्णय करके विध्वंसक और हिंसात्मक स्थिति उत्पन्न कर देता है यह क्रोध का नकारात्मक रूप है. यहा विशेष बात यह है कि क्रोध का कारक मंगल को माना गया है परंतु व्यक्ति के क्रोध को विकृत करने या विध्वंसात्मक रूप देने का काम "राहु" ही करता है. क्रोध की प्रचंडता में मंगल के अतिरिक्त मुख्य रूप से राहु की ही होती है.
कैसे करें क्रोध पर कंट्रोल
गणेश स्त्रोत का नियमित पाठ करना चाहिए, मंगलवार के दिन हनुमान जी को लाल रंग का फल जैसे अनार चढ़ाएं, क्योंकि यहां पर हनुमन जी को शांत रखना है. मंगलवार को गुड़ या साबुत लाल मसूर का दान करें. मस्तक पर सफेद चंदन का तिलक लगाना भी उचित रहता है. इससे क्रोध पर कंट्रोल होता है.


Ritisha Jaiswal

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