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लाइफस्टाइल : धरती पर इंसान इकलौता एक प्राणी है, जो अपनी भावनाएं व्यक्त करता है। हम सभी हालातों के अनुसार अपनी भावनाएं व्यक्त करते हैं। दुख-सुख और उत्साह सभी मानवीय भावनाएं हैं, जिसे व्यक्ति समय-समय पर जाहिर करता है। गुस्सा भी ऐसी ही एक भावना है, जिसे लोग कई सारी हालातों में व्यक्त करते हैं। कई लोग जहां बहुत जल्दी गुस्सा हो जाते हैं, तो वहीं कुछ ऐसे भी हैं, जो अपने गुस्से पर काबू कर लेते हैं। अब हाल ही में इसे लेकर एक ताजा स्टडी सामने आई है।
एक नए अध्ययन में पाया गया है कि सिर्फ कुछ मिनटों के लिए भी किया गया गुस्सा आपकी सेहत को काफी नुकसान पहुंचा सकता है। स्टडी के मुताबिक कुछ मिनट के लिए गुस्सा करने से रक्त वाहिकाओं की कार्यप्रणाली बदल सकती है, जिससे दिल के दौरे और स्ट्रोक की संभावना ज्यादा हो सकती है। आइए जानते हैं इस स्टडी के बारे में विस्तार में-
क्या कहती है स्टडी?
अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के जर्नल में प्रकाशित अध्ययन से पता चलता है कि तेज गुस्से और दिल के दौरे के बढ़ते जोखिम के बीच एक संबंध है। इससे पता चलता है कि थोड़े समय का गुस्सा भी दिल की सेहत को खराब कर सकता है और हार्ट डिजीज, दिल के दौरे और स्ट्रोक का कारण बन सकता है। यह अध्ययन कोलंबिया यूनिवर्सिटी इरविंग मेडिकल सेंटर, येल स्कूल ऑफ मेडिसिन, न्यूयॉर्क में सेंट जॉन यूनिवर्सिटी और अन्य संस्थानों के शोधकर्ताओं द्वारा किया गया।
इन लोगों पर किया गया अध्ययन
इस स्टडी में उन्होंने 280 स्वस्थ वयस्कों को शामिल किया और उन्हें चार समूहों में बांटकर क्रोधित, दुखी या चिंतित करने वाली घटनाओं को याद करने को कहा। इसके बाद शोधकर्ताओं ने समूह के सभी सदस्यों के ब्लड सैंपल का परीक्षण किया और अध्ययन से पहले और बाद में ब्लड फ्लो और प्रेशर को मापा। उन्होंने पाया कि गुस्सा करने वाले लोगों के ब्लड वेसल्स के फैलने की क्षमता गुस्सा कंट्रोल करने वाले लोगों की तुलना में काफी कम हो गई थी। इसके अलावा, उदासी और चिंता वाले लोगों की रक्त वाहिका के फैलाव पर कोई असर नहीं पड़ा।
हानिकारक है सिर्फ 8 मिनट का गुस्सा
स्टडी में पता चला कि सिर्फ आठ मिनट का गुस्सा 40 मिनट तक आपकी नसों को प्रभावित करता है। अगर आप ऐसे व्यक्ति हैं, जो जल्दी और बार-बार गुस्सा करते हैं, तो इससे आपकी धमनियों को स्थायी नुकसान पहुंच सकता है। अमेरिका के वाशिंगटन के कोलंबिया यूनिवर्सिटी के इरविंग मेडिकल सेंटर में मेडिसिन के प्रोफेसर डॉ. दाइची शिम्बो कहते हैं कि अध्ययन में सामने आया है कि मानसिक स्वास्थ्य किसी व्यक्ति के हार्ट डिजीज और स्ट्रोक के जोखिम कारकों को प्रभावित कर सकता है।
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Apurva Srivastav
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