लाइफ स्टाइल

ब्रेस्टफीडिंग के जरिए मां और बच्चे के बीच एक इमोशनल बॉन्ड भी बनता है, जानिए कैसे

Rounak Dey
13 July 2023 3:53 PM GMT
ब्रेस्टफीडिंग के जरिए मां और बच्चे के बीच एक इमोशनल बॉन्ड भी बनता है, जानिए कैसे
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लाइफस्टाइल: ब्रेस्‍ट मिल्‍क में मौजूद एंटीबायोटिक बच्‍चे की इम्‍यूनिटी को मजबूत बनाने के साथ पेट से जुड़ी गड़बड़ियों की आशंका का खतरा भी कम करते हैं। इतना ही नहीं ब्रेस्टफीडिंग करवाने से मां और बच्चे दोनों रहते हैं सेहतमंद, मिलते हैं ये गजब के फायदे एक बच्चे के लिए उसकी मां का दूध अमृत के समान माना गया है। मां के दूध में शिशु के विकास और पोषण संबंधी जरूरतों को पूरा करने वाले सभी गुण मौजूद होते हैं। यही वजह है कि नवजात के जन्म लेने के 6 महीने बाद तक उसे सिर्फ स्तनपान पर ही निर्भर रखने की सलाह दी जाती है। ब्रेस्‍ट मिल्‍क में मौजूद एंटीबायोटिक बच्‍चे की इम्‍यूनिटी को मजबूत बनाने के साथ पेट से जुड़ी गड़बड़ियों की आशंका का खतरा भी कम करते हैं। इतना ही नहीं ब्रेस्टफीडिंग के जरिए मां और बच्चे के बीच एक इमोशनल बॉन्ड भी बनता है। मां और नवजात दोनों के लिए ब्रेस्टफीडिंग के इतने फायदे होने के बावजूद डॉ टी जे एंटनी की मानें तो भारत सहित पूरी दुनिया में स्तनपान की दर लगातार घट रही है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के अनुसार भारत में स्तनपान की दर में लगातार गिरावट देखी गई है। पिछले 6 महीने में स्तनपान द्वारा पोषण केवल 41.6 प्रतिशत शिशुओं को ही मिल पाया है।
सर्वे में बताया गया है कि स्तनपान की इस गिरती दर का कारण जागरुकता की कमी, इन्फेंट फार्मूला की होती लगातार मार्केटिंग, स्तनपान कराने वाली मांओं के लिए सपोर्ट और बुनियादी ढांचे की कमी, सांस्कृतिक विश्वास, और आधुनिक जीवनशैली का दबाव हो सकते हैं। डॉ टी जे एंटनी कहते हैं कि स्तनपान को लेकर महिलाओं को अभी जागरुक होने की जरूरत है, ताकि माताएं पूरी जानकारी व भरोसे के साथ इस बारे में सही निर्णय ले सकें। आइए जानते हैं डॉ टी जे एंटनी, डायरेक्टर एंड एचओडी नियोनेटोलॉजी और एनआईसीयू, (मेदांता, गुरुग्राम) से ब्रेस्टफीडिंग करवाने से बच्चे को ही नहीं बल्कि मां को भी मिलते हैं क्या-क्या फायदे। ब्रेस्टफीडिंग का सबसे बड़ा फायदा यह है कि स्तनपान करवाने से शिशुओं को सबसे अच्छा पोषण मिलता है। स्तन में दूध शिशुओं के पोषण की जरूरतों के अनुरूप होता है, इसमें प्रोटीन, फैट, कार्बोहाईड्रेट, और आवश्यक विटामिन एवं मिनरल्स संतुलित मात्रा में मौजूद होते हैं। मां के स्तन से निकला दूध शिशुओं की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करके उन्हें एंटीबॉडी प्रदान करता है, जो भविष्य में उनके शरीर को संक्रमण और बीमारियों से लड़ने की शक्ति देता है। ब्रेस्टफीडिंग करवाने से बच्चों में एलर्जी, अस्थमा, औरएक्जिमा का जोखिम कम हो जाता है, और उनकी श्वसन प्रणाली मजबूत बनती है। स्तनपान करवाने से बच्चों में संज्ञानात्मक विकास बेहतर होता है, जिससे उनके आईक्यू स्कोर का अच्छा विकास होता है।स्तन का दूध पचने में आसान होता है, इसलिए बच्चों में कब्ज और डायरिया जैसी समस्याएं नहीं होती हैं।स्तनपान का फायदा केवल उनकी शिशु अवस्था तक ही सीमित नहीं रहता है, बल्कि बड़े होने पर उन्हें मोटापे, डायबिटीज, और कार्डियोवैस्कुलर हार्ट डिजीज का जोखिम भी कम हो जाता है, जिससे उनके दीर्घकालिक स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। स्तनपान करवाने से मां और बच्चे के बीच एक मजबूत इमोशनल बॉन्ड बनता है।
स्तनपान करवाने से न केवल शिशुओं को लाभ मिलता है, बल्कि माताओं को भी इसका बहुत लाभ मिलता है। स्तनपान कराने से उनके शरीर में ऐसे हार्मोन निकलते हैं, जो मातृत्व के जुड़ाव को मजबूत बनाते हैं, तनाव को कम करते हैं, और पोस्टपार्टम स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करने में मदद करते हैं। स्तनपान करवाने से मां और शिशु के बीच भावनात्मक संबंध मजबूत होता है। डिलीवरी के बाद अचानक बढ़े वजन को नियंत्रित रखने में स्तनपान मदद कर सकता है। यह गर्भावस्था के दौरान शरीर में एकत्रित हुई कैलोरी को बर्न करने में मदद कर सकता है। स्तनपान कराने से स्तन और ओवरीज के कैंसर के होने की संभावना कम हो जाती है।स्तनपान करवाने से मां और शिशु के बीच गहरा भावनात्मक जुड़ाव विकसित होता है, जिससे मां की सेहत व खुशी बढ़ती है। इन सभी फायदों को देखते हुए स्तनपान मां व शिशु दोनों के लिए ही फायदेमंद होता है, जिससे दोनों की सेहत व खुशी में वृद्धि होती है।स्तनपान की गिरती दर का बच्चों के विकास पर गहरा असर होता है। अगर शिशुओं को स्तनपान नहीं करवाया जाता है, तो स्तन के दूध में पाए जाने वाले पोषक तत्वों की कमी की वजह से उनकी वृद्धि और विकास ठीक से नहीं हो पाता है। ऐसे में स्तनपान को लेकर महिलाओं को अभी जागरुक होने की जरूरत है, ताकि माताएं पूरी जानकारी व भरोसे के साथ इस बारे में सही निर्णय ले सकें।
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