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हमेशा ब्लोटेड महसूस करते हैं? हो सकते हैं ये कारण

Kajal Dubey
4 May 2023 2:26 PM GMT
हमेशा ब्लोटेड महसूस करते हैं? हो सकते हैं ये कारण
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आपको खाना खाकर काफ़ी समय हो गया है, लेकिन आपका पेट अब भी भरा हुआ है. ऐसा महसूस हो रहा है कि जींस अचानक सिकुड़ गई है और आपका पेट फट जाएगा. खै़र आपको बता दें आपकी जींस के साथ कुछ नहीं हुआ है, बल्कि यह आपके पेट की कारिस्तानी है-ब्लोटिंग है. ब्लोटिंग आमतौर पर पेट में गड़बड़ी या अधिक एसिडिटी के कारण होती है. है ना परेशानी की बात? आख़िर यह क्यों हो रहा है इसे बताने के लिए आत्मांतन के वेलनेस डायरेक्टर डॉ मनोज कुटेरी हमें कुछ ज़रूरी बातें बता रहे हैं, जो हमारी कई ग़लतफ़हमियों को दूर करने में मदद करेगी.
जाने या अनजाने में हम सब ने कभी न कभी ब्लोटिंग का अनुभव ज़रूर किया होगा. इसकी पहचान पेट में दर्द के साथ बेचैनी, बहुत अधिक भरा हुआ महसूस करना या पेट का सामान्य से अधिक बड़ा नज़र आना हो सकता है. दवाओं की मदद से आप इसे कम कर सकते हैं, लेकिन कुछ मेडिक्लीनिक कंपाउंड्स इसे और अधिक बढ़ा भी सकते हैं. पेट के दर्द और ब्लोटिंग से निपटने का सबसे अच्छा तरीक़ा है कि उन ख़राब आदतों, जिसकी वजह से ब्लोटिंग की समस्या ट्रिगर होती है उनकी खोज करें. साथ ही डेली रूटीन में मूलचूल बदलाव लाकर ही इसे ठीक किया जा सकता है.
इसके अलावा ब्लोटिंग के कई और भी कारण हो सकते हैं, जिसमें फ़ूड एलर्जी सबसे ऊपर है. लेकिन वह ब्लोटिंग का एकमात्र कारण नहीं हो सकता है. अक्सर इस बात की अनदेखी कर दी जाती है, लेकिन नॉन-डायट्री ट्रिगर भी ब्लोटिंग की वजह हो सकते हैं. आइए कुछ कारणों पर एक नज़र डालते हैं.
1. एंज़ाइटी
जितना हम स्वीकार कर सकते हैं, हमारा दिमाग़ और शरीर एक दूसरे से उससे कहीं ज़्यादा जुड़े हुए हैं-दिमाग़ की भाषा शरीर बहुत ही अच्छी तरह से समझता है. स्ट्रेस और एंज़ाइटी हमारे ब्रीदिंग पैटर्न और डायजेस्टिव सिस्टम के तालमेल में अवरोध पैदा करते हैं. एंज़ाइटी की वजह से हम अपने अंदर अधिक हवा ले लेते हैं, जो पेट में जमा हो जाती है और ब्लोटिंग को बढ़ावा देती है. आमतौर पर लोग किसी अहम प्रज़ेंटेशन के पहले पेट में “बटरफ़्लाइज़” उड़ने का अनुभव करते हैं या किसी से तीख़ी नोक-झोक होने पर पेट में कुछ डूबने जैसा अनुभव करते हैं-ये बहुत ही साधारण उदाहरण कि एंज़ाइटी आपके पेट में क्या क्या-क्या कर सकती है. आमतौर पर इस तरह की परेशानी आपके डायजेस्टिव सिस्टम को बाधित करती है. एंज़ाइटी शरीर में हार्मोनल असंतुलन का कारण बनती है, जो आपके पेट के माइक्रोब्स पर नकारात्मक प्रभाव डालती है और उनके कामकाज को बाधित करती है. एंज़ाइटी और स्ट्रेस से निपटने का एक सबसे शानदार तरीक़ा है कि आप रोज़ाना कम से कम 10 मिनट ही सही लेकिन मेडिटेशन को समय दें. बस सोचने के जाल में फंसने के बजाय ख़ुद पर ध्यान दें, गहरी सांस लें, एक्सरसाइज़ करें, जो आपको ध्यान केंद्रित करने में मदद करेंगे.
2. ख़राब पॉश्चर
काम हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, लेकिन वर्क फ्रॉम होम के साथ घर का सबसे विचित्र स्थान हमारा वर्कस्टेशन बन गया है और ख़राब पॉश्चर हमारे वर्क कलिग के तौर पर हमारे साथ रहते हैं. ख़राब पॉश्चर हमारे स्कैटेल फ्रेम के साथ-साथ मांसपेशियों को भी नुक़सान पहुंचाता है. इसके अलावा यह पाचन तंत्र को भी प्रभावित करता है. खाने के दौरान झुककर बैठने से सीधे बैठने की तुलना में पेट में अधिक हवा जाती है, जो ब्लोटिंग को बढ़ावा देती है. पाचन क्रिया को सुचारू रूप से चलाने के लिए भोजन के दौरान सीधे बैठने पर ध्यान रखें. खाने के बाद सीधे लेटने से बचें. हालांकि ठीक तरह से स्टूल पास करने के लिए कुछ मात्रा में गैस आवश्यक होती हैं, लेकिन आपका ग़लत पॉश्चर उन्हें वहां पहुंचा देता है, जहां आवश्यकता नहीं होती है.
3. गट हेल्थ
खानपान और दूसरी अन्य आदतों की ग़लतियों की सजा दिन के अंत तक आपके पेट को ब्लोटिंग के रूप में मिलने लगती है. अनाज और दालों (ये ब्लोटिंग और एसिडिटी को बढ़ा सकते हैं) के साथ सब्ज़ी और फलों जैसे स्वस्थ और घुलनशील फ़ाइबर लें, जो पेट के स्वास्थ्य के लिए ज़रूरी होते हैं. अधिक भोजन से बचें, क्योंकि इसे पचाने में पेट को परेशानी होती है. अपने मील्स को छोटे-छोटे हिस्सों में बांट लें. इसके साथ ही दही जैसे प्राकृतिक प्रोबायोटिक्स लें, जो एंज़ाइम फ़ंक्शन और माइक्रोबिअल गतिविधि को बढ़ाने का काम करते हैं. अंत में, अपने मेटाबॉलिज़्म को बढ़ाने के लिए नियमित रूप से शारीरिक व्यायाम करें.
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