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बढ़ता प्रदूषण भी कई बीमारियों का कारण बनता है। वायु प्रदूषण फेफड़े के कैंसर का खतरा बढ़ा सकता है। यह कैंसर किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकता है। शोध में भी इस बात का खुलासा हुआ है
बढ़ता प्रदूषण भी कई बीमारियों का कारण बनता है। वायु प्रदूषण फेफड़े के कैंसर का खतरा बढ़ा सकता है। यह कैंसर किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकता है। शोध में भी इस बात का खुलासा हुआ है कि वायु प्रदूषण फेफड़े के कैंसर का कारण बन सकता है। वैज्ञानिकों के द्वारा किए गए अध्ययन में वायु प्रदूषण फेफड़े के कैंसर के साथ-साथ कई प्रकार के कैंसर के कारण मृत्यु दर के जोखिम को भी बढ़ा सकता है। तो चलिए आपको बताते हैं फेफड़े के कैंसर के शुरुआती लक्षण...
बढ़ता है फेफड़ों के कैंसर का खतरा
शोध के अनुसार, वैज्ञानिकों ने वायुजनित प्रदूषकों के लिए एक नए तंत्र की खोज की है जो धूम्रपान न करने वालों में भी फेफड़ों के कैंसर का कारण बन सकता है। शोध में यह पाया गया कि जलवायु में बदलाव से जुड़े कण भी वायुमार्ग की कोशिकाओं में घातक परिवर्तन को प्रेरित कर सकते हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि कार के एक्सॉस्ट और फॉसिल ईंधन के धुएं में मौजूद कण छोटे सेल फेफड़ों के कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकते हैं। जिसमें स्मोकिंग की तुलना में वायु प्रदूषण फेफड़ों के कैंसर का कारण बन सकता है। इसलिए मानव को अपने स्वास्थ्य में सुधार लाने के लिए जलवायु पर भी खास ध्यान देना होगा।
कैंसर के लक्षण
बहुत से देशों में फेफड़ों का कैंसर कैंसर से होने वाली मृत्यु को कारण बना हुआ है। ऐसे कैंसर की शुरुआत फेफड़ों से शुरु होकर शरीर के बाकी हिस्सों में फैलती है। इस कैंसर के लक्षण पर अक्सर लोग ध्यान नहीं देते, परंतु जितना जल्दी इसका पता चले इलाज करवाना आसान हो सकता है। फेफड़ों का कैंसर होने पर शुरुआत में यह लक्षण दिख सकते हैं...
खांसी बिगड़ जाना
. खांसी में से बलगम आना
. घरघराहट
. कमजोरी
. भूख न लगना
. वजन कम होना
. श्वासनप्रणाली में इंफेक्शन होना
. सांस लेते समय सीने में दर्द बढ़ना
आखिरी स्टेज में दिखते हैं ऐसे लक्षण
. हड्डियों में दर्द महसूस होना
. सिर दर्द
. चक्कर आना
. संतुलन में दिक्कत होना
. हाथों और पैरों में झुनझुनाहट होना
. पीलिया
. कंधों में दर्द होना
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