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आखिर क्यों कभी नहीं खोला जाता कुतुब मीनार का दरवाजा? यहां मौजूद लोहे का खंबा इसलिए माना जाता है जादुई

SANTOSI TANDI
29 Sep 2023 9:51 AM GMT
आखिर क्यों कभी नहीं खोला जाता कुतुब मीनार का दरवाजा? यहां मौजूद लोहे का खंबा इसलिए माना जाता है जादुई
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यहां मौजूद लोहे का खंबा इसलिए माना जाता है जादुई
दिल्ली के महरौली जिले में स्थित एक ऐतिहासिक स्मारक, कुतुब मिनार। साउथ दिल्ली के पॉश इलाके में मौजूद कुतुब कॉम्प्लेक्स को UNESCO वर्ल्ड हेरिटेज साइट की लिस्ट में शामिल है। दिल्ली के इतिहास की कहानी कहती यह मिनार सदियों से यहां खड़ी है। अगर मौसम अच्छा हो तब तो कुतुब मिनार को घूमना बहुत ही अच्छा लगता है। यह दुनिया की सबसे ऊंची ईंट से बनी हुई मीनार है। कुतुब कॉम्प्लेक्स में इसे देखना बहुत अच्छा लगता है।
अब अगर यह इतनी पुरानी मीनार है, तो यकीनन इतिहास से जुड़ी कुछ बातें भी इससे जुड़ी होंगी। कुतुब मीनार के बारे में आज भी हम आपको ऐसी ही रोचक जानकारी देने जा रहे हैं।
क्यों जादुई माना जाता है कुतुब मीनार का कीर्ति स्तंभ?
क्या आपने फिल्म 'चीनी कम' देखी है? इस फिल्म के आखिरी सीन में अमिताभ बच्चन कीर्ति स्तंभ के पास खड़े होकर मन्नत मांग रहे होते हैं। उस फिल्म में दिखाया गया है कि अगर कोई इंसान कीर्ति स्तंभ के डायामीटर को अपनी बाहों के बीच भर लेता है, तो उसकी मन्नत पूरी होती है। अब यहां एक पेंच है कि आपको सामने से नहीं बल्कि पीठ के पीछे हाथ ले जाकर यह काम करना है। यानी कीर्ति स्तंभ से पीठ सटाकर खड़े हो जाना है और अपने दोनों हाथों को पीछे ले जाते हुए कीर्ति स्तंभ के दूसरी ओर मिलाना है।
अब जाहिर सी बात है कि यह करना आसान नहीं है इसलिए ही इसे मन्नत से जोड़कर देखा जाता है।
माना जाता है कि यह स्तंभ चंद्रगुप्त-II के जमाने में मध्यप्रदेश में बनाया गया था और फिर उसे अलग से दिल्ली लाया गया। मान्यता तो यह भी है कि इसे विष्णु मंदिर की ध्वज फहराने के लिए बनाया गया था, लेकिन इसे फिर कुतुब मीनार के पास लाया गया। 1600 सालों से यह खड़ा है, लेकिन इसमें जंग नहीं लगती है। इस स्तंभ का डायामीटर 48 cm है और इसमें लिखे गए वाक्य ब्राह्मी लिपि में लिखे गए हैं।
क्यों कुतुब मीनार के दरवाजों को कर दिया गया बंद?
आपको शायद इसके बारे में ना पता हो, लेकिन पहले कुतुब मीनार के दरवाजे खुले होते थे और यहां जाने वाले लोग उसके अंदर जाकर झरोखे की मदद से दिल्ली का नजारा देख सकते थे। पर इसके दरवाजे एक हादसे के बाद पूरी तरह से बंद कर दिए गए।
कुतुब मीनार में 4 दिसंबर 1981 को कुतुब मीनार में एक हादसा हुआ था। उस दौरान कुतुब मीनार देखने के लिए बहुत से लोग पहुंच गए थे। एक साथ लगभग 300-400 लोग मीनार के दरवाजे से अंदर चले गए। इसके बाद वहां भगदड़ मच गई।
दरअसल, मौसम खराब होने की वजह से सीढ़ियों में लगी लाइटिंग फेल हो गई और रिपोर्ट के मुताबिक वहां किसी लड़की के साथ कुछ लड़कों ने छेड़खानी कर दी। लड़की ने नीचे की ओर भागना शुरू किया और मीनार में अफवाह फैल गई कि वह गिरने वाली है।
फिर क्या था, लोगों ने दरवाजे की तरफ भागना शुरू कर दिया। वहां झरोखों से रोशनी आती थी, लेकिन लोग ज्यादा होने के कारण झरोखे बंद हो गए।
कुतुब मीनार के दरवाजे अंदर की तरफ खुलते थे और ऐसे में जब लोग ज्यादा हुए तो अंदर की तरफ से दरवाजे बंद हो गए जिसकी वजह से लोग बाहर नहीं आ पाए और बचाव कर्मी अंदर नहीं जा पाए। इसके बाद किसी तरह से इमरजेंसी डोर से अंदर फंसे हुए लोगों को निकाला गया, लेकिन तब तक काफी कुछ हो चुका था। करीब 45 लोगों की इस दौरान मृत्यु हो गई थी और कई लोग घायल थे। इसमें से अधिकतर स्कूल जाने वाले बच्चे थे जो पिकनिक मनाने कुतुब मीनार आए हुए थे।
इसके बाद से कुतुब मीनार के अंदर जाकर उसे घूमने का पूरा सिस्टम बंद कर दिया गया। घायलों का नजदीकी अस्पताल में इलाज करवाया गया और कई दिनों तक यहां सन्नाटा पसरा रहा। आज भी 4 दिसंबर को कुतुब मीनार के इतिहास में काले दिन के रूप में गिना जाता है।
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