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आखिर क्यों शास्त्रों में स्नान को लेकर कही गई है ये बात

SANTOSI TANDI
11 Sep 2023 11:41 AM GMT
आखिर क्यों शास्त्रों में स्नान को लेकर कही गई है ये बात
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लेकर कही गई है ये बात
हमारे शास्त्रों में स्नान को लेकर कई बातें बताई जाती हैं। स्नान का एक निश्चित समय होता है और उसी समय पर स्नान करने से आपके शरीर के सभी चक्रों को नियंत्रित करने में मदद मिलती है।
वहीं शास्त्रों में इससे जुड़े कुछ नियम भी बनाए गए हैं जिनका पालन जरूरी माना जाता है। ऐसे ही नियमों में से हैं निर्वस्त्र स्नान न करना, स्नान करते समय मन में कोई विकार न लाना और स्नान के समय पैरों पर जूते या चप्पल न पहनना।
आपने घर के बड़ों को अक्सर नई नियमों के बारे में बात करते हुए सुना होगा। दरअसल इन सभी नियमों का पालन करने से घर में समृद्धि बनी रहती है और शरीर भी स्वस्थ रहता है। मुख्य रूप से ऐसा कहा जाता है कि आपको स्नान के समय पैरों में चप्पल या जूते नहीं पहनने चाहिए।
इसके पीछे के कारणों के बारे में विस्तार से जानने के लिए हमने ज्योतिषाचार्य डॉ आरती दहिया जी से बात की। आइए उनसे जानें शास्त्रों में लिखी इस बात के बारे में कुछ बातें।
शास्त्रों के अनुसार नंगे पैर स्नान क्यों करना चाहिए
प्राचीन समय से ही नहाते समय पैरों में चप्पल या जूते न पहनने की सलाह दी जाती रही है। ऐसा माना जाता है कि जब हम स्नान करते हैं तब हमारे पैर ऊर्जा को अवशोषित और संचारित करते हैं जिससे शरीर और मन को शांति मिलती है।
इस तरह से स्नान करने से आपके शरीर की कोई भी नकारात्मक ऊर्जा (नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने के उपाय) को दूर करने और पृथ्वी की ऊर्जा के साथ सामंजस्यपूर्ण संबंध बनाए रखने में मदद मिलती है। ज्योतिष में इसे बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है क्योंकि पैरों के माध्यम से पानी की पूरी ऊर्जा व्यक्ति के शरीर में प्रवेश करती है और शरीर को स्वस्थ बने रहने में मदद मिलती है।
नंगे पैर स्नान करने से शरीर को जमीन से मिलती है ऊर्जा
यदि नहाते समय हमारे पैरों के तलवे सीधे जमीन के संपर्क में होते हैं तो जमीन की ऊर्जा भी शरीर में प्रवेश करती है जिसे विज्ञान में ग्राउंडिंग एनर्जी कहा जाता है। जब आप नंगे पैर स्नान करते हैं तो आपके पैर इस ग्राउंडिंग ऊर्जा के प्रति अधिक ग्रहणशील होते हैं जिससे शरीर में भी ऊर्जा फैलती है।
इससे शरीर के सभी केंद्र भी ऊर्जावान होते हैं। शरीर के चक्रों में एक चक्र सुरक्षा, स्थिरता और भौतिक दुनिया से जुड़ाव की भावनाओं से संबंधित होता है। ऐसा माना जाता है कि नंगे पैर स्नान करने से शरीर के मूल चक्र को संतुलित और सक्रिय करने में मदद मिलती है, जिससे पूरे शरीर में ऊर्जा का सामंजस्यपूर्ण प्रवाह होता है।
नंगे पैर स्नान करने से पवित्रता और सफाई बनी रहती है
ऐसा माना जाता है कि नंगे पैर स्नान करने से सफाई को बढ़ावा मिलता है और शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है। अगर हम नहाते समय उन चप्पलों का इस्तेमाल करते हैं जो बाहर भी इस्तेमाल होती हैं तो ये घर के भीतर भी नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह करती है।
चप्पल पृथ्वी की ऊर्जा से जुड़कर शरीर और आभा से नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह करती हैं, वहीं नंगे पैर स्नान करने से विषाक्त पदार्थों और अशुद्धियों को मुक्त करने में मदद मिलती है।
नंगे पैर स्नान करने के लिए क्या है ज्योतिष की राय
ज्योतिष की मानें तो नंगे पैर स्नान करना प्रकृति और परमात्मा से जुड़ने का एक प्रतीकात्मक तरीका माना जाता है। यह पृथ्वी और उसकी ऊर्जाओं के प्रति विनम्रता और सम्मान व्यक्त करने का एक तरीका है।
वहीं जल का संबंध वरुण देवता से होता है और जब आप नंगे पैर स्नान करते हैं तो ये वरुण देव का सम्मान करने के समान माना जाता है। इसे हर तरह के आध्यात्मिक अभ्यास के लिए अनुकूल माना जाता है।
क्या विज्ञान के अनुसार नंगे पैर स्नान करना ठीक है
हमारे पैरों में कई तंत्रिका तंत्र मौजूद होते हैं और वे तापमान और बनावट के प्रति अत्यधिक संवेदनशील होते हैं। नंगे पैर स्नान करने से यह संवेदनशीलता बढ़ सकती है, जिससे आप पानी की संवेदनाओं और पृथ्वी की ऊर्जा का पूरा लाभ उठा पाते हैं।
हालांकि यह आपकी व्यक्तिगत पसंद पर आधारित भी होता है क्योंकि कुछ लोगों का मानना यह भी है कि यदि आप बाथरूम जैसी जगह में स्नान कर रहे हैं और किसी विद्युत उपकरण का इस्तेमाल कर रहे हैं तो आपको पैरों में चप्पल पहननी चाहिए। वहीं पानी और जमीन की पूरी ऊर्जा का प्रवाह शरीर में हो सके इसके लिए नंगे पैर स्नान करने की सलाह दी जाती है।
ज्योतिष और विज्ञान दोनों के अनुसार ही आपको नहाते समय चप्पल या जूते न पहनने की सलाह दी जाती है, जिससे आपको पूर्ण ऊर्जा प्राप्त करने में मादा मिल सके।
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