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आखिर क्यों आ जाती हैं मां-बेटी के अनमोल रिश्ते में दूरियां? यहां जानें इसकी वजह

SANTOSI TANDI
15 Jun 2023 1:10 PM GMT
आखिर क्यों आ जाती हैं मां-बेटी के अनमोल रिश्ते में दूरियां? यहां जानें इसकी वजह
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आखिर क्यों आ जाती हैं मां-बेटी के अनमोल
बेटियां घर की लक्ष्मी होती हैं जिनके आगमन से घर में खुशियां आती हैं। जैसे-जैसे बेटियां बड़ी होती हैं उनका अपने घर वालों से रिश्ता बहुत निखरने लगता हैं। खासतौर से एक बेटी का अपनी मां से रिश्ता बेहद अनोखा होता हैं। बेटियां बड़ी होने के साथ-साथ मां की सहेली भी बन जाती हैं। एक मां में बेटी अपना दोस्त, हमदर्द भी ढूंढ लेती हैं। वहीं, बेटी के रूप में एक मां अपना बचपन दोबारा जी लेती हैं। लेकिन कई बार इस रिश्ते में खटास भी देखी जाती हैं और बेटियां एक समय के बाद अपनी मां से दूरियां बनाने लगती हैं। आज इस कड़ी में हम आपको इसके पीछे के उन कारणों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनकी वजह से मां-बेटी के अनमोल रिश्ते में दूरियां आने लगती हैं। आइये जानते हैं इनके बारे में...
समय से पहले जिम्मेदारी का एहसास करवाना
बेटियों के जब खेलने-कूदने के दिन होते हैं तभी से मां उन्हें जिम्मेदारियों का एहसास कराने लगती हैं। बचपन में ही उनसे कहा जाता है कि अभी से यह सब काम नहीं सीखोगी तो आगे चलकर परेशानी होगी। तुम्हें तो पराए घर जाना है। ऑफिसर बन जाओगी तो भी घर के सारे काम आने चाहिए। ससुराल वाले सिर्फ डिग्री देखकर खुश नहीं होंगे। इन जिम्मेदारियों के बोझ तले बेटियों का बचपन खो जाता है और वे अपनी मां से दूरी बनाने लगती हैं।
बेटी पर विश्वास न करना
कई बार घर वाले बेटियों पर विश्वास नहीं करते लेकिन जब माँ अपनी बेटी पर विश्वास नहीं करती तो बेटियाँ दूरी बना ही लेती हैं। बेटियाँ भी चाहती हैं कि घर के लोग उन पर भरोसा करें और सबसे ज्यादा माँ उन पर भरोसा करें लेकिन अगर ऐसा नहीं होता तो बेटियों का मनोबल टूट जाता है। और ये एक बहुत अहम वजह है कि बेटियाँ अपनी माँ से दूर हो जाती हैं।
कमियां निकालना
कई जगह अपने देखा होगा कि बेटी के हर काम पर उसकी कमियाँ गिनवाई जाती हैं या दूसरों से उसकी तुलना की जाती है। यही व्यवहार बार-बार दोहराने से बेटियों का मन ख़राब हो जाता है और बेटी के मन में माँ के लिए और परिजनों के लिए नफरत जगह लेने लगती है। इस दौरान माँ और बेटी के बीच की दूरियाँ बढ़ जाती है।
कभी प्यार से बात न करना
दो चार पप्पी और प्यार भरी झप्पी की कमी हो तो कोई भी बेटी अपनी माँ से ज्यादा दोस्तों की माँ को पसंद करने लगती है। माँ का स्पर्श कभी कभी बिना किसी कारण के गले लगाना, माथे को चूम लेना ये ज़ाहिर करता है कि माँ बेटी को कितना प्यार करती है। जहाँ स्पर्श का आभाव होता हो वहां वहां बच्चे भी माँ से भावनात्मक रूप से जुड़ नहीं पाते।
हर बात पर रोक-टोक
मां अक्सर हर बात पर बेटी को टोकती रहती हैं। यह रोक-टोक लगभग हर घर की कहानी है। छोटी-छोटी बात पर लड़कियों को टोका जाता है। जबकि बेटों को लगभग हर बात की आजादी रहती है। इस वजह से बेटियां हीन भावना की शिकार हो जाती हैं। उन्हें लगता है कि उनकी मां भी उन्हें नहीं समझतीं। इसलिए वे मां से दूर होने की कोशिश करती हैं, क्योंकि एक बेटी को सबसे ज्यादा उम्मीद अपनी मां से ही होती है।
बेटी और बेटे के बीच तुलना करना
ये अधिकतर घर की कहानी होती है कि बेटे और बेटियों के बीच में तुलना की जाती है और बेटियों को बेटों से कम माना जाता है। और इसी के चलते बेटी के मन में हीनभावना जन्म लेने लगती है। ये वो दौर होता है जब बेटी के मन में अपनी माँ के लिए प्यार नहीं बचता क्योंकि माँ भी इस तुलनात्मक प्रक्रिया में अपनी बेटी का साथ नहीं देती।
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