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आखिर क्या है थाली में परोसे जाने वाले 56 भोग की कहानी? जानें रोचक तथ्य

SANTOSI TANDI
2 Sep 2023 6:17 AM GMT
आखिर क्या है थाली में परोसे जाने वाले 56 भोग की कहानी? जानें रोचक तथ्य
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जानें रोचक तथ्य
जन्माष्टमी का त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। कहा जाता है कि इस दिन कान्हा ने जन्म लिया था और सृष्टि का उद्धार करने के लिए वह धरती पर आए थे। इसलिए बच्चों से लेकर बड़ों तक, हर कोई श्रीकृष्ण के रंग में रंगा नजर आता है और छोटे बच्चे नन्हे कान्हा और राधा बनते हैं।
वहीं, बड़े बड़े श्री कृष्ण की विधि-विधान से पूजा करने की तैयारियों में लगे हैं। इस खास मौके पर घर और मंदिरों को पूरी श्रद्धा और उल्लास के साथ सजाया रहा है। इस दिन लगने वाली श्रीकृष्ण की झांकियां सबका मन मोह लेती हैं। वैसे इस बार की जन्माष्टमी इसलिए खास है, क्योंकि यह दो दिन मनाई जा रही है।
इसमें 56 प्रकार के भोग की विशेष मान्यता है और यह सदियों से चली आ रही है। मगर क्यों थाली में 56 भोग को प्राथमिकता दी जाती है? तो आइए इस लेख में जानने की कोशिश करते हैं।
क्या है छप्पन भोग की मान्यता?
कहा जाता है कि छप्पन भोग से श्रीकृष्ण बहुत प्रसन्न होते हैं। प्रसन्न होने के बाद भक्तों की हर ख्वाहिश पूरी करते हैं। हालांकि, इसके भगवान को 56 भोग चढ़ाए जाने के पीछे एक पौराणिक कथा भी प्रसिद्ध है। इसका अलग महत्व है माना जाता है कि गोकुल धाम में जब नन्हे कान्हा अपनी यशोदा मां के साथ रहते थे। (अब बनेगी फूली-फूली रोटी, बस आजमाएं ये 7 ट्रिक)
इस दौरान उनकी मां हर दिन आठों पहर उन्हें भोजन देती थीं। कान्हा अपनी मां के हाथों से ये भोजन लेते थे। लेकिन इसके बाद गोकुलधाम में एक ऐसी विपदा आई कि कान्हा को लगातार कई दिन तक भूखा रहना पड़ गया था।
लगातार हो रही बारिश से गोकुल वासी परेशान होने लगे। इसपर कृष्ण ने गोकुल वासियों की रक्षा के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी एक उंगली पर उठा लिया और लगातार 7 दिन तक इसी तरह खड़े रहे, जब तक बारिश बंद नहीं हो गई।
ऐसा कहा जाता है कि वो आमतौर पर हर दिन 8 व्यंजन खाते थे। इसलिए, सातवें दिन के अंत में वृन्दावन के लोगों ने 56 व्यंजन पकाए गए और उन्हें प्रसाद के तौर पर परोसा गया था। तभी से 56 थाली परोसने का रिवाज बन गया।
56 भोग में होते हैं ये फूड आइटम्स
भोग की थाली में श्रीकृष्ण के लिए 56 व्यंजन शामिल किए जाते हैं। हर साल जन्माष्टमी की रात को भगवान के पैदा होने की खुशी में भात, परिखा, सौंफ युक्त बिलसारू, लड्डू, साग, सूप, चटनी, कढ़ी, दही शाक की कढ़ी, सिखरन, शरबत, बालका, इक्षु, मठरी, फेनी, पूड़ी, घेवर, मालपुआ, चोला, जलेबी, रसगुल्ला, पगी हुई, महारायता, थूली, लौंग पुरी, खुरमा, दलिया, मोठ, खीर, दही, मक्खन, मलाई, रबड़ी, पापड़ आदि जैसे व्यंजनों को शामिल किया जाता है।
56 भोग में पंजीरी के अलावा अनाज, फल, ड्राई फ्रूट्स, मिठाई, पेय पदार्थ, नमकीन और अचार जैसी अलग-अलग फूड आइटम्स भी शामिल किए जाते हैं। (आपकी थाली का स्वाद दोगुना बढ़ा देंगे सूजी के व्यंजन)
भोग कितने प्रकार के होते हैं?
माना जाता है कि भोग दो प्रकार के उपलब्ध हैं, जिसमें पूर्ण और आंशिक शामिल है। आंशिक भोग में पापों के होने वाली सजा से मुक्ति पाने के लिए भगवान को चढ़ाया जाता है। वहीं, पूर्ण भोग को किसी ख्वाहिश को पूरा करने और पापों से मुक्ति दिलाने के लिए किया जाता है।
भोग में अनाज, फल, मेवा, मिठाई, नमकीन और अचार को शामिल किया जाता है और उन व्यंजन को जिन्हें भगवान पसंद करते हैं।
इन तरह-तरह के व्यंजनों का भगवान को भोग लगाने के बाद ही घर-परिवार के लोग खाना खाते हैं।
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