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40 के बाद महिलाएं जरूर कराएं ये मेडिकल टेस्ट, फॉलो करें ये टिप्स
Bhumika Sahu
24 July 2021 6:10 AM GMT
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40 वर्ष की आयु वो मार्किंग पॉइंट है, जिसके बाद महिलाओं की रिप्रोडक्टिव सिस्टम और हॉर्मोनल हेल्थ ढलान की ओर बढ़नी शुरू होती है. लेकिन आज मेडिकल साइंस ने इतनी प्रगति कर ली है कि बीमारी होने से पहले ही उसका पता लगाकर उससे छुटकारा पाया जा सकता है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। डियर वुमन, अगर आपकी उम्र 40 साल या उससे ज्यादा है तो ये आर्टिकल खासतौर पर आपके लिए है. अगर आप 35 के ऊपर हैं, तब भी आपको ये जरूर पढ़ना चाहिए और इसमें लिखी बातों को याद रखना चाहिए. 40 के बाद उम्र ढलान की ओर बढ़ना शुरू करता है. खासतौर पर महिलाओं का रिप्रोडक्टिव सिस्टम और हॉर्मोनल साइकल की ढलान 40 के बाद शुरू हो जाती है. इसलिए स्त्री रोग विशेषज्ञ ये सलाह देते हैं कि सभी महिलाओं को 40 साल के बाद यह टेस्ट जरूर करवाने चाहिए.
ये आर्टिकल स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. शिवानी चतुर्वेदी के साथ बातचीत पर आधारित है. डॉ. शिवानी हमें बता रही हैं कि वो कौन से बेहद जरूरी मेडिकल टेस्ट हैं, जो 40 के बाद हर महिला को जरूर करवाने चाहिए. अभी तक अगर आप अपने स्वास्थ्य को लेकर लापरवाही भी बरतती रही हैं तो ये वक्त है कि आप चेत जाएं और अपनी सेहत को बहुत गंभीरता से लेना शुरू करें.
आइए जानते हैं उन पांच मेडिकल टेस्ट के बारे में.
पेल्विक परीक्षण और पेप स्मीयर –
यह एक बहुत आसानी से होने वाला, लेकिन बहुत जरूरी टेस्ट है, जो सरवाइकल कैंसर की जांच के लिए किया जाता है. इसमें सर्विक्स (गर्भाशय का अग्रभाग) एरिया के एक मामूली हिस्से को लेकर जांच की जाती है कि कहीं वहां कैंसर तो नहीं है. इस जांच की सबसे विशेष बात ये है कि यदि कैंसर नहीं भी है और भविष्य में होने की संभावना है तो ये टेस्ट उसे भी पकड़ सकता है. भारत में बड़ी संख्या में महिलाओं की मौत सरवाइकल कैंसर के कारण होती है. बदलती हुई जीवन शैली के कारण भी यह जांच बहुत जरूरी हो गई है क्योंकि मल्टीपल सेक्सुअल पार्टनर सरवाइकल कैंसर की संभावना को बढ़ा देते हैं. मेडिकल साइंस ने इसका टीका भी खोज लिया है, लेकिन यह टीका सेक्सुअली एक्टिव होने से पहले लेना होता है. एक उम्र तक सेक्सुअली एक्टिव रहने के बाद इस टीके का कोई असर नहीं होता.
ब्रेस्ट परीक्षण या मैमोग्राम
सरवाइकल कैंसर के बाद भारत में महिलाओं की सबसे ज्यादा मौत ब्रेस्ट कैंसर के कारण होती है. लेकिन यहां इस बात को समझना जरूरी है कि ये मौतें सिर्फ ब्रेस्ट कैंसर हो जाने भर से नहीं होतीं. ये इसलिए होती हैं क्योंकि अधिकांश मामलों में कैंसी का पता बहुत देरी से चलता है. जब तक यह कैंसर पकड़ में आता है, जब तक बहुत देर हो चुकी होती है और कैंसर अपने आखिरी स्टेज में पहुंच चुका होता है. यदि एकदम शुरुआत में ही कैंसर का पता चल जाए तो तुरंत ब्रेस्ट को रिमूव करके उसे फैलने से बचाया जा सकता है. ब्रेस्ट शरीर का ऐसा अनिवार्य हिस्सा नहीं है, जिसके बगैर शरीर की सामान्य प्रक्रिया बाधित हो. इसलिए 40 के बाद मैमोग्राम टेस्ट करवाकर यह पता कर लेना चाहिए कि कहीं ब्रेस्ट कैंसर का कोई मामूली लक्षण भी नहीं है.
साथ ही सेल्फ एक्जामिनेशन (खुद से परीक्षण) भी लगातार करते रहना चाहिए. इसके लिए 40 साल तक होने का इंतजार करने की जरूरत नहीं है. 20 साल की उम्र से ही लड़कियों और महिलाओं को खुद से छूकर और जांचकर यह देखते रहना चाहिए कि कहीं ब्रेस्ट में कोई गांठ तो नहीं बन रही है.
ब्लड प्रेशर और शुगर –
40 के बाद महिलाओं को अपने ब्लड प्रेशर और शुगर की नियमित तौर पर जांच करवानी चाहिए. एक समय के बाद शरीर की ये सारी प्राकृतिक क्रियाएं सुस्त होने लगती हैं. ब्लड प्रेशर बढ़ता है, डायबिटीज हो सकती है. इसलिए स्पेशल गाइनिक टेस्ट के साथ-साथ ये टेस्ट करवाना भी बहुत जरूरी है.
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