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आचार्य चाणक्य
कहा जाता है कि जिस व्यक्ति के पास सुंदरता, विद्या और धन होता है, उसके पास सब कुछ है. लेकिन आचार्य चाणक्य का मानना था कि कुछ विशेष परिस्थितियों में ये तीनों गुण भी व्यर्थ हो जाते हैं. आचार्य चाणक्य बहुत बड़े कूटनीतिज्ञ, राजनीतिज्ञ और ज्ञाता थे. उन्होंने अपने जीवन में कई तरह की परिस्थितियों को बारीकी से समझा और उसके आधार पर लोगों को सही मार्ग दिखाया ताकि वे कठिन हालातों का सामना आसानी से कर सकें. आचार्य ने आम जनमानस तक अपने विचारों को पहुंचाने के लिए चाणक्य नीति नामक ग्रंथ भी लिखा है. उसमें लिखी बातें आज के समय में भी सटीक साबित होती हैं. जानिए सुंदरता, विद्या और धन के मामले में क्या कहती है इस बारे में चाणक्य नीति.
1. आचार्य का कहना था कि संसार में शक्ल और सूरत किसी व्यक्ति को आकर्षित तो कर सकती है, लेकिन उसे रोक कर नहीं रख सकती. इसके लिए आंतरिक खूबसूरती की जरूरत होती है और आंतरिक सुंदरता सदगुणों से आती है. जिस व्यक्ति की खूबसूरती सदगुण रहित है, तो उसे व्यर्थ माना जाना चाहिए.
2. विद्या का कोई न कोई लक्ष्य होता है, इसीलिए व्यक्ति शिक्षा लेता है. लेकिन जिस व्यक्ति की शिक्षा लक्ष्यविहीन है, उसकी शिक्षा को व्यर्थ माना जाना चाहिए.
3. शास्त्रों में धन के लिए कहा गया है कि अर्जित धन का दसवां हिस्सा दान और पुण्य कार्यों में लगाना चाहिए. लेकिन कुछ लोग दान करना ही नहीं चाहते. दान किए बिना अर्जित धन बहुत समय तक नहीं टिक पाता. उसे व्यर्थ माना जाता है और कुछ समय बाद उसका नाश हो जाता है.
4. व्यक्ति के आचरण से उसके व्यक्तित्व का पता चलता है और उसका आचरण उसके कुल के संस्कारों की पहचान कराता है. व्यक्ति चाहे कितने ही बड़े घराने से ताल्लुक रखता हो, लेकिन अगर उसका आचरण ठीक नहीं है, तो उसके कुल का नष्ट होना निश्चित है.
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Gulabi
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