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स्टडी के अनुसार: मानसिक रोगों से जूझ रहे लोगों को कम उम्र में ही कार्डियोवस्कुलर डिजीज का खतरा

Kajal Dubey
12 March 2022 2:50 AM GMT
स्टडी के अनुसार: मानसिक रोगों से जूझ रहे लोगों को कम उम्र में ही कार्डियोवस्कुलर डिजीज का खतरा
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मानसिक रोगों से जूझ रहे लोगों को अपनी डेली लाइफ में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। मानसिक रोगों से जूझ रहे लोगों को अपनी डेली लाइफ में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इसलिए उनकी देखभाल करने वालों को भी ज्यादा अलर्ट रहना होता है. अमेरिकी वैज्ञानिकों द्वारा की गई एक स्टडी में सामने आया है कि बाइपोलर डिसऑर्डर (bipolar disorder), सिजोफ्रेंनिया (schizophrenia) या उससे जुड़े सीरियस मेंटल डिसऑर्डर से ग्रस्त लोगों को कम उम्र में ही कार्डियोवस्कुलर डिजीज (हार्ट और ऑट्री से जुड़ी) के रिस्क का ज्यादा सामना करना पड़ता है. करीब 6 लाख लोगों पर हुई इस स्टडी का निष्कर्ष 'जर्नल ऑफ द अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (Journal of the American Heart Association)' में प्रकाशित किया गया है. अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट आफ मेंटल हेल्थ (National Institute of Mental Health) के अनुसार, बाइपोलर डिसआर्डर एक ऐसी मानसिक बीमारी है, जिसमें पीड़ित व्यक्ति के मूड, एनर्जी, एक्टिविटी, ध्यान और डेली एक्टिविटी में अचानक ही बदलाव होता है.

जबकि सिजोफ्रेनिया पीडि़त व्यक्ति वास्तविकता से दूर रहता है, जिससे वह खुद के साथ ही परिवार और दोस्तों के लिए संकट पैदा करता है. सिजोअफेक्टिव डिसऑर्डर (schizoaffective disorder) में लगातार बीमार होने के कारण सिजोफ्रेनिया जैसी स्थिति बन जाती है.
क्या कहते हैं जानकार
मिनियापोलिस के हेल्थ पार्टनर्स इंस्टीट्यूट (HealthPartners Institute) के सेंटर फॉर क्रॉनिक केयर इनोवेशन में चीफ रिसर्चर और इस स्टडी की मेन राइटर रेबेका सी. रोसम (Dr. Rebecca C. Rossom ) ने बताया कि पहले की स्टडी में इस बात के संकेत मिल चुके हैं कि गंभीर मानसिक रोगों (serious mental illnesses) से ग्रस्त लोगों की मौत सामान्य लोगों की तुलना में 10-20 साल पहले हो जाती है. इन मौतों के लिए हार्ट से जुड़ी बीमारी एक बड़ा कारण होता है. उन्होंने बताया कि इसलिए हमने अपनी स्टडी का फोकस इस पर रखा कि इन मानसिक रोगियों में कार्डियोवस्कुलर रिस्क फैक्टर में ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल, ब्लड शुगर, बीएमए यानी बॉडी मास इंडेक्स का क्या योगदान होता है.
कैसे हुई स्टडी
स्टडी में शामिल किए गए 6 लाख लोगों की उम्र 18-75 साल थी. इनमें से लगभग 2% लोग गंभीर मानसिक बीमारी से पीड़ित थे. इनमें से 70% बाइपोलर डिसआर्डर, 18% सिजोअफेक्टिव डिसआर्डर और 12% सिजोफ्रेनिया से पीडि़त थे.
स्टडी के नतीजे
स्टडी के नतीजों की मानें तो किसी भी गंभीर मानसिक रोग से ग्रस्त लोगों में 10 साल की समीक्षा अवधि में कार्डियोवस्कुलर डिजीज के रिस्क का लेवल 9.5% था, जबकि सामान्य लोगों में ये 8% था. वहीं 30 साल के लिए अनुमानित कार्डियोवस्कुलर डिजीज का रिस्क गंभीर मानसिक रोगियों के लिए 25% रहा, जबकि सामान्य लोगों के लिए महज 11% जोखिम था. 18-34 साल वाली कैटेगरी के मानसिक रोगियों में भी हार्ट डिजीज का रिस्क ज्यादा था.
स्मोकिंग और बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) भी गंभीर मानसिक बीमारियों से ग्रस्त लोगों में सामान्य से तीन गुना ज्यादा जोखिम (36%) होता है. मोटापा भी 50% जोखिम बढ़ाता है. मानसिक रोगियों में डायबिटीज (टाइप 1 या टाइप 2) का खतरा सामान्य की तुलना में दोगुना (क्रमश: 14 और 7%) होता है. मानसिक रोगियों में 15% वयस्क हाई ब्लड प्रेशर से पीडि़त रहे, जबकि सामान्य व्यक्तियों में यह आंकड़ा 13% ही रहा.


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