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विशेषज्ञों की राय, केरल में बच्चों के लिए खतरा हो है मल्टी सिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम
जनता से रिश्ता वेबडेस्क| केरल में कोरोना के साथ ही मल्टी सिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम बच्चों के लिए बड़ा खतरा बनता जा रहा है। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, पिछले पांच महीनों में केरल में लगभग 300 से अधिक बच्चे मल्टी-सिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम-इन चिल्ड्रन (एक प्रकार का पोस्ट-कोविड कॉम्पलीकेशन) से संक्रमित हुए। इनमें से चार की मौत हो गई।
केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने शनिवार को माता-पिता से अपने बच्चों में इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम के लक्षण दिखने पर तत्काल चिकित्सा सहायता लेने को कहा। उन्होंने कहा कि बीमारी का इलाज संभव है, लेकिन अगर इसे अनदेखा किया गया, तो यह मुश्किल हो जाएगा।
विशेषज्ञों ने कहा कि इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम उन बच्चों में पोस्ट कोविड बीमारी है जिनमें कोरोना से उबरने के तीन-चार सप्ताह बाद बुखार, पेट दर्द, आंख लाल होना और मतली के लक्षण सामने आए थे।
राज्य के स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, अब तक कोरोना से संक्रमित सभी राज्य की आबादी में से 10 फीसदी में 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चे शामिल हैं, जबकि अधिकांश इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम संक्रमित मामले 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में हैं। पहला मामला इस साल मार्च में तिरुवनंतपुरम में सरकारी अस्पताल में रिपोर्ट किया गया था।
विशेषज्ञों के अनुसार, ये लक्षण कोरोना से मिलते-जुलते हैं लेकिन आरटीपीसीआर टेस्ट नेगेटिव आता है। कोरोना में जहां संक्रमण फेफड़ों में होता है एमआईएस में ऐसा लगता है कि बीमारी शरीर के एक सिस्टम में नहीं बल्कि सब जगह है, इसलिए इसे मल्टीसिस्टम इंफ्लेमेंट्ररी सिंड्रोम कहा जाता है। ऐसे में जब कोरोना महामारी की तीसरी लहर बच्चों के लिए ज्यादा खतरनाक होने की आशंका जताई जा रही है, इस तरह के लक्षण चिंताजनक हैं। यह एक आपातकालीन स्थिति है बावजूद इसके समय रहते यदि उपचार शुरू हो जाए तो ज्यादा कठिन नहीं है। उपचार को लेकर दिशा-निर्देश तैयार किए जा रहे हैं।