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आयुर्वेद के अनुसार, पीने के पानी को लंबे समय तक साफ और स्वच्छ रखने के 2 आसान तरीके

Neha Dani
4 Aug 2021 10:53 AM GMT
आयुर्वेद के अनुसार, पीने के पानी को लंबे समय तक साफ और स्वच्छ रखने के 2 आसान तरीके
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जो 20 डिग्री सेल्सियस होता है। इस तापमान पर पानी आपको अधिकतम हाइड्रेशन प्रदान करता है।

अगर पानी से अधिक स्वास्थ्य लाभ लेना चाहते हैं तो इस तरह करें स्टोर मिटटी के बर्तन में साफ रहता है पानी तांबे के बर्तन में रखे पानी को पीने से सेहत को फायदा

इस धरती पर अगर सबसे कीमती चीज की बात की जाए, तो वो पानी है। पानी के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। दुनियाभर के कई हिस्सों में पानी की भारी किल्लत है। पानी को अगर सही तरह न रखा जाए तो वो जल्दी खराब भी हो जाता है।
कई ऐसी जगह हैं, जहां पानी की भारी किल्लत है और वहां के लोगों को पानी को कई-कई दिनों तक स्टोर करके रखना होता है। कई तरीके जिनके जरिये पानी को लंबे समय तक सही तरह रखा जा सकता है। इनमें से एक आयुर्वेदिक तरीका भी है।
आयुर्वेद के अनुसार, अगर पानी से अधिक दिनों तक रखना और अधिकतम स्वास्थ्य लाभ लेना है, तो उसके स्टोर करने के तरीके पर खास ध्यान देना चाहिए। इसमें पानी के कंटेनर का भी अहम रोल है। चलिए जानते हैं कैसे-
आयुर्वेद के अनुसार पानी को लंबे समत तक साफ और स्वच्छ रखने के लिए मिट्टी और तांबे के बर्तनों का इस्तेमाल करना चाहिए। चलिए जानते हैं कि इनमें पानी साफ और स्वच्छ कैसे रह सकता है।
मिट्टी के बर्तन या घड़ा
मिट्टी के बर्तनों में हवा के स्थान होते हैं जो पानी को घंटों तक ताजा और ठंडा रखते हैं। यह एसिडिटी और त्वचा की समस्याओं को कम करने में मदद करता है। इतना ही नहीं, मिट्टी के बर्तन में रखा पानी जीवन शक्ति में सुधार करता है।
हम जो भी खाना खाते हैं उनमें से ज्यादातर शरीर में एसिडिक हो जाते हैं और टॉक्सिन्स पैदा करते हैं। मिटटी प्रकृति में क्षारीय है, जो अम्लीय खाद्य पदार्थों के साथ परस्पर क्रिया करता है और पर्याप्त पीएच संतुलन प्रदान करता है। यह एसिडिटी और गैस्ट्रिक संबंधी समस्याओं को दूर रखने में मदद करता है।
यह पानी किसी भी प्रकार के रसायनों से रहित है और इस प्रकार मिट्टी के बर्तन का पानी पीने से चयापचय को बढ़ावा देने में मदद मिलती है। इस मौसम में मिट्टी के बर्तन से पानी पीना सबसे अच्छा है क्योंकि यह गले पर कोमल होता है और इसका तापमान आदर्श होता है जो किसी की खांसी और सर्दी को नहीं बढ़ाता है।
बर्तन को अधिक टिकाऊ बनाने के लिए, पहली बार उपयोग करने से पहले इसे एक घंटे के लिए पानी में भिगो दें। यदि आप खाना पकाने के लिए मिट्टी के बर्तन का उपयोग कर रहे हैं, तो उन्हें तेज आंच पर इस्तेमाल न करें क्योंकि इससे बर्तन टूट सकता है।
कॉपर या तांबे के बर्तन
आयुर्वेद के अनुसार, मिट्टी के घड़े में पानी रखने से पाचक अग्नि तेज होती है और दोषों का संतुलन बना रहता है। कॉपर एक एंटीऑक्सीडेंट है, जिसका अर्थ है कि यह फ्री रेडिकल्स से लड़ता है और उनके नकारात्मक प्रभावों को रोकता है। फ्री रेडिकल्स और उनके हानिकारक प्रभाव कैंसर का एक प्रमुख कारण रहे हैं। कॉपर हानिकारक यूवी किरणों से भी बचाता है।
कॉपर मानव शरीर में अतिरिक्त वसा जमा को हटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और वजन कम करने में भी मदद करता है। लेकिन खून की कमी होने पर तांबे के बर्तन का प्रयोग नहीं करना चाहिए। तांबे के बर्तन में कोई भी गर्म तरल पदार्थ या भोजन न रखें। आयुर्वेद भी रसोई में केवल गोल बर्तन रखने की सलाह देता है।
पीने के पानी को रखने के लिए सबसे अच्छा तापमान क्या है?
आयुर्वेद के अनुसार, पीने के पानी को लंबे समय तक सही और साफ रखने के लिए सबसे अच्छा तापमान कमरे के तापमान पर होता है, जो 20 डिग्री सेल्सियस होता है। इस तापमान पर पानी आपको अधिकतम हाइड्रेशन प्रदान करता है।

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