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आचार्य चाणक्य के अनुसार माता-पिता की इन आदतों का बच्चों पर पड़ता है बुरा प्रभाव

Gulabi
12 Jan 2022 2:04 PM GMT
आचार्य चाणक्य के अनुसार माता-पिता की इन आदतों का बच्चों पर पड़ता है बुरा प्रभाव
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आचार्य चाणक्य के अनुसार बच्चों को योग्य बनाने के लिए माता-पिता को कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए
Chanakya Niti In Hindi : चाणक्य नीति के अनुसार माता-पिता को संतान की शिक्षा, संस्कार और सेहत को लेकर सदैव गंभीर रहना चाहिए. बच्चों के लिए उनके माता-पिता ही पहले शिक्षक होते हैं. बच्चे पर माता-पिता का सबसे अधिक प्रभाव देखने को मिलता है.
आचार्य चाणक्य के अनुसार बच्चों को योग्य बनाने के लिए माता-पिता को कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए. ध्यान रहें बच्चें जहां माता-पिता की अच्छी आदतों को ग्रहण करते हैं, वहीं गलत आदतों से भी बहुत जल्द प्रभावित होते हैं. इसलिए बच्चों के मामले में चाणक्य की इन बातों को नहीं भूलना चाहिए-
आपस में मधुरता से बात करें- चाणक्य नीति कहती है कि व्यक्ति की भाषा और बोली जब मधुर होती है तो वो सभी का प्रिय होता है. ऐसे लोग दूसरों से बड़े से बड़े कार्य लेने और कराने में सक्षम होते हैं. संतान की भाषा-बोली जितनी मधुर और प्रभावशाली होगी, उसकी सफलता की संभावना उतनी ही अधिक होती है. मधुरता सभी को प्रिय है. इसलिए माता-पिता को आपस में मधुरता से वार्तालाप करनी चाहिए. शब्दों के चयन पर ध्यान देना चाहिए. ताकि बच्चे इन्हें सुनें तो इनका प्रभाव सकारात्मक पड़े. जो माता-पिता इस बात का ध्यान नहीं रखते हैं उनकी संतान को सफलता पाने के लिए संघर्ष करना पड़ता है.
घर का माहौल- चाणक्य नीति के अनुसार घर के माहौल का सबसे अधिक प्रभाव बच्चों पर पड़ता है. आरंभ से ही यदि इस बात का ध्यान रखा जाए तो संतान की योग्य बनने की संभावना काफी हद तक बढ़ जाती है. घर का माहौल आर्दश बनाने की जिम्मेदारी माता पिता की है. घर में माता-पिता को बच्चों के सामने गलत बर्ताब नहीं करना चाहिए. लड़ाई-झगड़ा आदि नहीं करना चाहिए. घर का माहौल शांत होना चाहिए. इसका प्रभाव बच्चों पर सकारात्मक पड़ता है. और वे जीवन में अपने लक्ष्य को आसानी से प्राप्त करते हैं.
बच्चे को प्रोत्साहित करते रहें- चाणक्य नीति कहती है कि माता-पिता को अपने बच्चे की प्रतिभा को निखारने का प्रयास करना चाहिए. हर बच्चे में कोई न कोई खास प्रतिभा अवश्य होती है. इसकी पहचान करने का प्रयास करना चाहिए. बच्चों की तुलना नहीं करनी चाहिए. उन पर दबाव नहीं बनाना चाहिए. उन्हें महापुरुषों के बारे में जानकारी देनी चाहिए. उनसे प्रेरणा लेने के लिए प्रेरित करना चाहिए.
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