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आचार्य चाणक्य के अनुसार अगर जीवन में प्रशंसा चाहिए तो इन कामों से करें परहेज
जनता से रिश्ता बेवङेस्क| चाणक्य की गिनती भारत के श्रेष्ठ विद्वानों में की जाती है, चाणक्य को अपने जीवन में सफल होने के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ा. चाणक्य अपनी धुन के पक्के और एक मजबूत इरादों वाले व्यक्ति थे.
चाणक्य को कई विषयों का ज्ञान था. चाणक्य अर्थशास्त्र के विशेषज्ञ थे, इसके साथ ही आचार्य चाणक्य को समाजशास्त्र, शिक्षा शास्त्र, मनोविज्ञान, राजनीति शास्त्र और कूटनीति शास्त्र का भी अच्छा ज्ञान था. चाणक्य ने मनुष्य पर प्रभाव डालने वाली सभी चीजों का गहराई से अध्ययन किया था. चाणक्य का मानना था कि व्यक्ति अपनी प्रशंसा को लेकर अधिक आतुर रहता है. लेकिन असली प्रशंसा वही है जो सामने वाला दवाब में नहीं दिल से करे. इसलिए प्रशंसा प्राप्त करनी है तो कुछ
बातों का ध्यान रखना चाहिए.
दूसरों को नीचा दिखाकर प्रशंसा प्राप्त करने की कोशिश न करें
चाणक्य के अनुसार ऐसे लोगों को समाज में अच्छा नहीं माना जाता है जो दूसरों को कमतर पेश कर स्वयं को श्रेष्ठ प्रस्तुत करने का प्रयास करें. ऐसे लोग आत्ममुग्ध कहलाते हैं, ऐसे लोगों द्वारा किया गया कार्य, दूसरों के लिए नहीं बल्कि स्वयं की छवि को बेहतर बनाने के लिए किया जाता है, ऐसे लोगों से सदैव सचेत रहना चाहिए.
श्रेष्ठ बनने के लिए अच्छे कार्य करो
चाणक्य के अनुसार दूसरों को बुराई करने वाला व्यक्ति कभी महान और श्रेष्ठ नहीं बन सकता है. क्योंकि अच्छाई गुण और उच्च आर्दशों से प्राप्त होती है, जो लोग अच्छा बनने के लिए दूसरों को बुरा बताने में लगे रहते हैं, वे स्वयं को धोखा देते हैं. ऐसा नहीं करना चाहिए. श्रेष्ठ बनाने के लिए श्रेष्ठ कार्य करने चाहिए और लोगों की चिंता करनी चाहिए.
मानवता के लिए सोचें
चाणक्य के अनुसार समाज में सम्मान उसे ही प्राप्त होता है जो मानवता के बारे में चिंतन करता है. श्रेष्ठ व्यक्ति सदैव दूसरों के बारे में सोचते हैं और उनका जीवन कैसे बेहतर हो इसके बारे में प्रयास करते हैं. श्रेष्ठ व्यक्ति का जीवन दूसरों के कल्याण के लिए समर्पित होता है.