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हमें इंग्लिश जीवनशैली से रूबरू कराने के लिए मुकुल पटवर्धन अपनी पत्नी राधिका के साथ लंदन से इन्वरनेस (उत्तर-पूर्वी स्कॉटलैंड का एक शहर) तक सड़क के रास्ते गए. प्रस्तुत है उनके इस रोड ट्रिप की कुछ झलकियां.
पहला दिन: यात्रा की शुरुआत
हमने लंदन से इस यात्रा की शुरुआत अपने यात्रा साथी टॉमटॉम जीपीएस के साथ की. हम सबसे पहले ऑक्सफ़ोर्ड रुके और शहर की सुंदर वास्तुकला को जीभर निहारा. हमारा अगला पड़ाव था स्ट्रैटफ़ोर्ड-अपॉन-एवन, जो कि विलियम शेक्सपियर का जन्मस्थल है. जब हम वहां पहुंचे, तब हाउस के बंद होने का समय था, लेकिन हमने इसके बैकड्रॉप में एक सेल्फ़ी ले ही ली.
दिन की हाइलाइट: हमने एवन नदी के किनारे स्कॉन (एक तरह की रोटी) के साथ चाय पी. हमने नदी में बत्तखों को गुज़रते हुए भी देखा.
दूसरा दिन: एक दूसरे ही युग में
हम कोवेंट्री ट्रांस्पोर्ट म्यूज़ियम गए थे, जहां विश्व में ब्रिटिश गाड़ियों का सबसे बड़ा कलेक्शन है. यहां आपको बहुत कुछ देखने मिलेगा, जैसे बीते ज़माने की अजीबोग़रीब ढंग से डिज़ाइन की हुई बाइसिकल से लेकर आनेवाले कल की गाड़ियों के डिज़ाइन्स तक. यानी एक ही छत के नीचे आप काफ़ी कुछ देख सकेंगे. उसके बाद हम लोग 500 एकड़ में फैले ख़ूबसूरत कूंब कंट्री पार्क गए.
दिन की हाइलाइट: म्यूज़ियम के बाहर निकलने के बाद हम अपनी यात्रा के सिलसिले को आगे बढ़ाने ही वाले थे कि हमारी गाड़ी स्टार्ट होने में आनाकानी करने लगी. यह हमें बाद में पता चला कि हमने डे टाइम रनिंग लाइट्स बंद कर रखी थी, जो स्विच ऑन होनी चाहिए थी. ख़ैर, हमारे पास सहायता के लिए हाईवे असिस्ट को बुलाने के अलावा कोई दूसरा चारा नहीं था.
तीसरा दिन: बीटल्स मेनिया और बहुत कुछ
हम लोग फिर लिवरपूल के लिए रवाना हुए. वहां पहुंचकर हमने म्यूज़ियम ऑफ़ लिवरपूल में देखा किस प्रकार इस पोर्ट सिटी के लोगों, उनकी सृजनात्मकता और खेल प्रेम ने इस शहर की रूपरेखा तय की थी. आगे चलते हुए हम पहुंचे मैथ्यू स्ट्रीट, जहां बीटल्स अपने शुरुआती दिनों में प्रदर्शन किया करते थे. उसी शाम स्नेक पास (दर्रा) से होते हुए शेफ़ील्ड के लिए निकल गए.
दिन की हाइलाइट: मर्सीसाइड मैरीटाइम (समुद्री) म्यूज़ियम का एक हिस्सा टाइटैनिक को समर्पित है. इस प्रसिद्ध जहाज़ को लिवरपूल में ही बनाया गया था. आपको यहां वो डाइनिंग प्लेट्स मिलेंगी, जिन्हें ज़हाज के मलबे से निकाला गया था.
eचौथा दिन: इतिहास की क्लास
हम शेफ़िल्ड पहुंचने पर चैट्सवर्थ हाउस देखने गए, जिसे मूल रूप से 16वीं शताब्दी में बनाया गया था. हालांकि समय-समय पर इसमें छोटे-मोटे बदलाव किए जाते रहे हैं. कई जानी-मानी हस्तियां यहां रह चुकी हैं. ऐसी ही एक मशहूर शख़्सियत थीं स्कॉटलैंड की रानी मैरी. उन्हें यहां वर्ष 1573 से 1582 के बीच बंदी बनाकर रखा गया था.
दिन की हाइलाइट: यहां 4,000 वर्ष पुरानी कलाकृतियां रखी गई हैं. जिनमें शामिल हैं-प्राचीन इजिप्ट की कलाकृतियां और रेम्ब्रेन्ट, रेनॉल्ड्स और वेरोनीज़ जैसे मशहूर चित्रकारों की पेंटिंग्स.
पांचवां दिन: यॉर्क का भ्रमण
हम पांचवें दिन पहुंचे यॉर्क, जो एक पुराने ढंग का शहर है. पर यहां आपको आधुनिकता की झलक भी दिखेगी. यॉर्क शहर की स्थापना ईस्वी सन 71 में रोमन्स ने की थी. आज भी उस ज़माने की कई चीज़ें मौजूद हैं. हम यॉर्क मिन्स्टर भी गए, जो उत्तरी यूरोप में का सबसे बड़ा गोथिक कैथेड्रल है.
दिन की हाइलाइट: यहां हमने फ़्लाइंग स्कॉट्समैन नामक वह लोकोमोटिव इंजिन भी देखा, जिसने वर्ष 1934 में 100 मील प्रति घंटे से अधिक रफ़्तार से दौड़ लगाते हुए नया रेकॉर्ड बनाया था.
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