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दफ्तर लौटने में 83 फीसदी कर्मचारी असहज है ,जानें कब तक बनेगा कोरोना का टीका

Tara Tandi
28 Nov 2020 10:07 AM GMT
दफ्तर लौटने में 83 फीसदी कर्मचारी असहज है ,जानें कब तक बनेगा कोरोना का टीका
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कोरोना टिका 

अक्तूबर में किए गए अध्ययन के मुताबिक 86 फीसदी कर्मचारी सोचते हैं
जनता से रिश्ता बेवङेस्क| कोरोना टीके के बाजार में नहीं आने के कारण भारत के करीब 83 फीसदी कर्मचारी दफ्तर लौटने को लेकर अब भी असहज महसूस कर रहे हैं। यह दावा आईटी कंपनी एटलासियन ने अपने सर्वेक्षण के आधार पर किया है।

देश के 75 फीसदी कर्मचारी ने माना कि उनकी टीम कोरोना महामारी से पहले की तुलना में अब अच्छा काम कर रही है। 88 फीसदी मानते हैं कि उनकी कंपनी दफ्तर में कामकाज शुरू करने को लेकर पहले से ही पूरी तरह तैयार थी।

बगैर कोरोना टीका के दफ्तर लौटने में 83 फीसदी कर्मचारी असहज

कोरोना टीके के बाजार में नहीं आने के कारण भारत के करीब 83 फीसदी कर्मचारी दफ्तर लौटने को लेकर अब भी असहज महसूस कर रहे हैं। यह दावा आईटी कंपनी एटलासियन ने अपने सर्वेक्षण के आधार पर किया है।

देश के 75 फीसदी कर्मचारी ने माना कि उनकी टीम कोरोना महामारी से पहले की तुलना में अब अच्छा काम कर रही है। 88 फीसदी मानते हैं कि उनकी कंपनी दफ्तर में कामकाज शुरू करने को लेकर पहले से ही पूरी तरह तैयार थी।

अक्तूबर में किए गए अध्ययन के मुताबिक 86 फीसदी कर्मचारी सोचते हैं कि उनकी टीम के सहकर्मी इस समय एक-दूसरे के काफी करीब महसूस करते हैं। खास बात यह कि 89 फीसदी कर्मचारियों ने अपनी टीम के साथ एकता का अनुभव साझा किया।

बेंगलुरु में कंपनी की इंजीनियरिंग विभाग के प्रमुख दिनेश अजमेरा ने कहा-अध्ययन में पता चला कि न्यू नॉर्मल किसी तरह भविष्य में काम, संबंधों और सहयोग को प्रभावित करेगा, यह संकट का सामन कर रहे वास्तविक लोगों की राय का विश्लेषण किया गया है।

अध्ययन के लिए कंपनी ने मिलाजुला तरीका अपनाया। जूम एप के जरिये कोरोना को लेकर दूर दराज के कर्मचारियों का विस्तार से इंटरव्यू लिया गया, छह प्रतिभागियों पर दो हफ्ते तक वैश्विक डायरी अध्ययन किया गया, 1400 कर्मचारियों पर 15 मिनट का क्वांटिटेटिव सर्वेक्षण किया। यह अध्ययन प्रथम, द्वितीय और तृतीय श्रेणी के शहरों में किया गया।

नौकरी की सुरक्षा बढ़ी:

50 फीसदी प्रबंधकों ने कहा कि उनकी जॉब सिक्योरिटी कोरोना महामारी से पहले के मुकाबले अब ज्यादा अच्छी है। इसके साथ ही प्रबंधक अब पहले के मुकाबले खुद को कामकाज और उत्पादकता से ज्यादा जुड़ा पा रहे हैं।

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