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7 योगासन, जो लोअर बैक पेन से दे सकते हैं राहत

Kajal Dubey
15 May 2023 12:26 PM GMT
7 योगासन, जो लोअर बैक पेन से दे सकते हैं राहत
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अगर हुआ है तो आप मेरी बात को समझ सकते हैं। लोअर बैक बहुत से लोगों के लिए शरीर की सबसे सेंसेटिव जगह होती है। लोअर बैक में दर्द होने का सीधा मतलब सारा कामकाज ठप होने से है। क्योंकि इतने दर्द में काम करना वाकई मुसीबत से कम नहीं होता है।
लोअर बैक में दर्द होने के ढेरों कारण हो सकते हैं। कमजोर कोर और खराब पोश्चर में पूरे दिन बैठना, इन दो वजहों से ही ज्यादातर लोगों को कमर दर्द की शिकायत होती है। ये पता लगाना बहुत जरूरी है कि कमर में दर्द की समस्या हो क्यों रही है? इससे भविष्य में इस समस्या को होने से रोकने में मदद मिलेगी।
लेकिन ज्यादातर परिस्थितियों में, कुछ योगासन करने से कमर की मसल्स मुलायम हो जाती हैं। इससे कमर दर्द में काफी राहत का अनुभव होने लगता है। भारत के महान योग गुरुओं ने इसीलिए तो योग विज्ञान की रचना की थी।
इसीलिए इस आर्टिकल में मैं लोअर बैक के दर्द से राहत दिलाने वाले और पोश्चर सुधारने वाले 7 योगासनों के बारे में जानकारी दूंगा। इन योगासन के अभ्यास से आप भी कमर दर्द से राहत पा सकते हैं।1. बालासन (Balasana / Child Pose)
बालासन, साधारण कठिनाई या बेसिक लेवल का आसन है। इसे विन्यास योग की शैली का आसन माना जाता है। बालासन का अभ्यास 1 से 3 मिनट तक किया जाना चाहिए। इसे करने में किसी किस्म के दोहराव की आवश्यकता नहीं होती है। बालासन से हिप्स, जांघों और टखने में खिंचाव पैदा होता है। जबकि ये कमर, गर्दन और कंधों को मजबूत बनाने में मदद करता है।
बालासन, असल में योग करने के दौरान योगियों द्वारा विश्राम करने की मुद्रा है। इस मुद्रा में योगी का शरीर भ्रूण का स्थिति में चला जाता है। बालासन मूल रूप से जांघों को सुडौल बनाने और कमर दर्द का दूर करने में मदद करता है।
बालासन करने की विधि :
योग मैट पर घुटनों के बल बैठ जाएं।
दोनों टखनों और एड़ियों को आपस में छुआएं।
धीरे-धीरे अपने घुटनों को बाहर की तरफ जितना हो सके फैलाएं।
गहरी सांस खींचकर आगे की तरफ झुकें।
पेट को दोनों जांघों के बीच ले जाएं और सांस छोड़ दें।
कमर के पीछे के हिस्से में त्रिकास्थि/सैक्रम (sacrum) को चौड़ा करें।
अब कूल्हे को सिकोड़ते हुए नाभि की तरफ खींचने की कोशिश करें।
इनर थाइज या भीतर जांघों पर स्थिर हो जाएं।
सिर को गर्दन के थोड़ा पीछे से उठाने की कोशिश करें।
टेलबोन को पेल्विस की तरफ खींचने की कोशिश करें।
हाथों को सामने की तरफ लाएं और उन्हें अपने सामने रख लें।
दोनों हाथ घुटनों की सीध में ही रहेंगे।
दोनों कंधों को फर्श से छुआने की कोशिश करें।
आपके कंधों का खिंचाव शोल्डर ब्लेड से पूरी पीठ में महसूस होना चाहिए।
इसी स्थिति में 30 सेकेंड से लेकर कुछ मिनट तक बने रहें।
धीरे-धीरे फ्रंट टोरसो को खींचते हुए सांस लें।
पेल्विस को नीचे झुकाते हुए टेल बोन को उठाएं और सामान्य हो जाएं।
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बालासन योग करने का सही तरीका, फायदे और सावधानियां
2. बिटिलासन और मार्जयासन
बिटिलासन और मार्जर्यासन दोनों ही विन्यास श्रेणी के आसन हैं। इस आसन में रीढ़ की हड्डी को ऊपर और नीचे किया जाता है। ये आसन गाय और बिल्ली की रीढ़ की हड्डी को मोड़ने की आदत से प्रेरणा पाकर किया जाता है।
अगर इंसानों की बात की जाए तो सेक्स करने के अलावा इंसान को कभी भी स्पाइन या रीढ़ की हड्डी को मोड़ने का मौका नहीं मिल पाता है। इसीलिए ये आसन आपकी कीगल मसल्स को मजबूत बनाने में मदद करता है। इन दोनों ही मूवमेंट से आपकी सेक्स ड्राइव में कई पॉजिटिव बदलाव आते हैं। ये आसन कमर दर्द को दूर करने में बहुत मदद करता है।
बिटिलासन और मार्जर्यासन करने की विधि :
फर्श पर एक योगा मैट को बिछा कर अपने दोनों घुटनों को टेक कर बैठ जाएं।
इस आसन को करने के लिए आप वज्रासन की मुद्रा में भी बैठ सकते हैं।
अब अपने दोनों हाथों को फर्श पर आगे की ओर रखें।
दोनों हाथों पर थोड़ा सा भार डालते हुए अपने हिप्स (कूल्हों) को ऊपर उठायें।
जांघों को ऊपर की ओर सीधा करके पैर के घुटनों पर 90 डिग्री का कोण बनाए।
आपकी छाती फर्श के समान्तर होगी और आप एक बिल्ली के समान दिखाई देगें।
अब आप एक लंबी सांस लें और अपने सिर को पीछे की ओर झुकाएं।
अपनी नाभि को नीचे से ऊपर की तरफ धकेलें।
इसी के साथ टेलबोन (रीढ़ की हड्डी का निचला भाग) को ऊपर उठाएं।
अब अपनी सांस को बाहर छोड़ते हुए अपने सिर को नीचे की ओर झुकाएं।
मुंह की ठुड्डी को अपनी छाती से लगाने का प्रयास करें।
इस स्थिति में अपने घुटनों के बीच की दूरी को देखें।
ध्यान रखें की इस मुद्रा में आपके हाथ झुकने नहीं चाहिए।
अपनी सांस को लम्बी और गहरी रखें।
अपने सिर को पीछे की ओर करें और इस प्रक्रिया को दोहराहएं।
इस क्रिया को आप 10-20 बार दोहराएं।
3. अधोमुख श्वानासन (Adho Mukha Svanasana / Downward Facing Dog Pose)
पारंपरिक रूप से अधोमुख श्वानासन का अभ्यास पूरे शरीर में लचीलापन बढ़ाने और कमर या गर्दन में होने वाले किसी दर्द से राहत पाने के लिए किया जाता है। कमर और गर्दन दोनों ही जगह शरीर में बहुत संवेदनशील मानी जाती हैं।
इस आसन के अभ्यास के दौरान आपके हिप्स हवा में होते हैं। जिससे रक्त का संचार पेल्विस हिस्से में बढ़ जाता है। जबकि सिर नीचा होने के कारण दिमाग ज्यादा उत्तेजित हो जाता है। ये आसन आपकी मसल्स को टोन करके भीतर के कॉन्फिडेंस को बढ़ाने में भी मदद करता है।
अधोमुख श्वानासन करने की विधि
योग मैट पर पेट के बल लेट जाएं।
सांस खींचते हुए पैरों और हाथों के बल शरीर को उठाएं।
टेबल जैसी आकृति बनाएं।
सांस को बाहर निकालते हुए धीरे-धीरे हिप्स को ऊपर की तरफ उठाएं।
कुहनियों और घुटनों को सख्त बनाए रखें।
ये तय करें कि शरीर उल्टे 'V' के आकार में आ जाए।
इस आसन के अभ्यास के दौरान कंधे और हाथ एक सीध में रहें।
पैर हिप्स की सीध में रहेंगे।
इस बात का ध्यान रहे कि आपके टखने बाहर की तरफ रहेंगे।
हाथों को जमीन की तरफ दबाएं और गर्दन को लंबा खींचने की कोशिश करें।
कान आपके हाथों के भीतरी हिस्से को छूते रहें।
अपनी निगाह को नाभि पर केन्द्रित करने की कोशिश करें।
इसी स्थिति में कुछ सेकेंड्स तक रुकें। उसके बाद घुटने जमीन पर टिका दें।
मेज जैसी स्थिति में​ फिर से वापस आ जाएं।
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अधो मुख श्वानासन योग करने का सही तरीका, फायदे और सावधानियां
4. उत्तानासन (Uttanasana / Standing Forward Bend)
उत्तानासन संस्कृत भाषा का शब्द है। इसका शाब्दिक अर्थ होता है, जोर से खिंचाव / स्ट्रेचिंग करने वाला आसन। इस आसन के अभ्यास से शरीर को कुछ गजब के फायदे होते हैं। ये आसन न सिर्फ आपके शरीर को हील करता है बल्कि नई जिंदगी भी देता है।
उत्तानासन के अभ्यास के समय सिर आपके दिल के नीचे होता है। इस वजह से रक्त का प्रवाह पैरों में होने की बजाय सिर की तरफ होने लगता है। इससे दिमाग में रक्त और ऑक्सीजन की अच्छी-खासी मात्रा पहुंचने लगती है।
इसके अलावा, उत्तानासन मध्यम कठिनाई वाला हठ योग की शैली का आसन है। इसे करने की अवधि 15 से 30 सेकेंड के बीच होनी चाहिए। इसमें किसी दोहराव की आवश्यकता नहीं होती है। उत्तानासन के अभ्यास से हिप्स, हैमस्ट्रिंग, और काव्स पर खिंचाव आता है जबकि घुटने और जांघें मजबूत हो जाती हैं।
उत्तानासन योग करने की विधि :
योग मैट पर सीधे खड़े हो जाएं और दोनों हाथ हिप्स पर रख लें।
सांस को भीतर खींचते हुए घुटनों को मुलायम बनाएं।
कमर को मोड़ते हुए आगे की तरफ झुकें।
शरीर को संतुलित करने की कोशिश करें।
हिप्स और टेलबोन को हल्का सा पीछे की ओर ले जाएं।
धीरे-धीरे हिप्स को ऊपर की ओर उठाएं और दबाव ऊपरी जांघों पर आने लगेगा।
अपने हाथों से टखने को पीछे की ओर से पकड़ें।
आपके पैर एक-दूसरे के समानांतर रहेंगे।
आपका सीना पैर के ऊपर छूता रहेगा।
सीने की हड्डियों और प्यूबिस के बीच चौड़ा स्पेस रहेगा।
जांघों को भीतर की तरफ दबाएं और शरीर को एड़ी के बल स्थिर बनाए रखें।
सिर को नीचे की तरफ झुकाएं और टांगों के बीच से झांककर देखते रहें।
इसी स्थिति में 15-30 सेकेंड तक स्थिर बने रहें।
जब आप इस स्थिति को छोड़ना चाहें तो पेट और नीचे के अंगों को सिकोड़ें।
सांस को भीतर की ओर खींचें और हाथों को हिप्स पर रखें।
धीरे-धीरे ऊपर की तरफ उठें और सामान्य होकर खड़े हो जाएं।
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5. भुजंगासन (Bhujangasana / Cobra Pose)
भुजंगासन (Bhujangasana), सूर्य नमस्कार के 12 आसनों में से 8वां है। भुजंगासन को सर्पासन, कोबरा आसन या सर्प मुद्रा भी कहा जाता है। इस मुद्रा में शरीर सांप की आकृति बनाता है। ये आसन जमीन पर लेटकर और पीठ को मोड़कर किया जाता है। जबकि सिर सांप के उठे हुए फन की मुद्रा में होता है।
भुजंगासन के ढेर सारे फायदे हैं। ये हमारी पीठ को मजबूत और रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाता है। ये हमारे पाचन और प्रजनन तंत्र को मजबूत बनाता है। इससे, रीढ़ की हड्डी में मजबूती और लचीलापन बढ़ सकता है। पेट के निचले हिस्से में मौजूद सभी अंगों के काम करने की क्षमता बढ़ सकती है।
भुजंगासन करने की विधि :
पेट के बल जमीन पर लेट जाएं।
दोनों हथेलियों को जांघों के पास जमीन की तरफ करके रखें।
ध्यान रखें कि टखने एक-दूसरे को छूते रहें।
हाथों को कंधे के बराबर लेकर आएं और हथेलियों को फर्श की तरफ करें।
शरीर का वजन अपनी हथेलियों पर डालें, सांस भीतर खींचें।
सिर को उठाकर पीठ की तरफ खींचें।
इस वक्त तक आपकी कुहनी मुड़ी हुई रहेगी।
सिर को पीछे खींचते हुए छाती को भी आगे की तरफ निकालें।
सिर को सांप के फन की तरह खींचकर रखें।
ध्यान दें कि, कंधे कान से दूर रहें और कंधे मजबूत बने रहें।
हिप्स, जांघों और पैरों से फर्श की तरफ दबाव बढ़ाएं।
शरीर को इस स्थिति में करीब 15 से 30 सेकेंड तक रखें।
इस दौरान, सांस की गति सामान्य बनाए रखें।
ऐसा महसूस करें कि आपका पेट फर्श की तरफ दब रहा है।
अभ्यास के बाद इस आसन को 2 मिनट तक भी कर सकते हैं।
मुद्रा को छोड़ने के लिए, धीरे-धीरे अपने हाथों को वापस साइड पर लेकर आएं।
सिर को फर्श पर विश्राम दें। अपने हाथों को सिर के नीचे रखें।
धीरे से सिर को एक तरफ मोड़ लें और धीमी गति से दो मिनट तक सांस लें।
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