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लाइफ स्टाइल
7 बातें, जो आपको अच्छा बॉस ही नहीं, बेहद ख़ास बना देंगी
Kajal Dubey
29 April 2023 4:26 PM GMT
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आमतौर पर यह माना जाता है कि बॉस का काम होता है अपनी टीम को मैनेज करना. चीज़ों को मैनेज करने के लिए हर संस्थान मैनेजर नियुक्त करते हैं, पर संस्थान को आगे मैनेजर नहीं अच्छे नेतृत्व करनेवाले लोग ले जाते हैं. अगर आप अपने संस्थान में मैनेजर की भूमिका निभा रहे हैं यानी किसी टीम के बॉस हैं तो आपको बॉस नहीं एक नेतृत्व कर्ता के रूप में ख़ुद को रूपांतरित करना होगा. नेतृत्व करनेवाला केवल बॉस नहीं होता, बल्कि अपने कनिष्ठों का पसंदीदा और संस्थान का ख़ास होता है. आइए जानें, एक अच्छे नेतृत्वकर्ता में कौन-से गुण होने चाहिए.
पहला गुण: अच्छा श्रोता ही अच्छा बॉस बन सकता है
जब आप बॉस होते हैं, तब आपको दूसरों की भावनाओं को समझना होता है. ऐसा तभी हो सकता है, जब आप दूसरों की बात को ध्यान से सुनेंगे. और वह भी बिना किसी पूर्वाग्रह के. कई बार लोग दूसरों की बातें सुनते तो हैं, पर सामनेवाले के नज़रिए को समझ नहीं पाते. ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि वे चीज़ों को केवल अपने नज़रिए से देखते हैं. वे चीज़ों को अपनी भावनाओं और अनुभवों के अनुरूप देखते हैं. इस तरह उनका सुनना, न सुनना एक बराबर हो जाता है.
सुनने की योग्यता का सही अर्थ यह है कि सामनेवाली की बात सुनकर स्थिति अथवा समस्या का सही आकलन या अनुमान लगाना. सुनने की योग्यता को बढ़ाने के लिए व्यक्ति में इतना धैर्य चाहिए कि वह दूसरे के विचारों को पूर्ण रूप से समझ सके. यदि मैनेजर या बॉस अधीर अथवा व्याकुल या जल्दबाज़ी से काम करता है तो बहुत-सी अनिवार्य सूचनाएं उससे छूट जाती हैं. मामले की पूरी जानकारी के अभाव में उसके प्रयास निष्फल हो जाएंगे.
दूसरा गुण: सहज उपलब्धता
नेतृत्व करने के लिए सहज उपलब्धता का गुण बहुत आवश्यक है. एक योग्य नेता की यह ज़िम्मेदारी बनती है कि वह जब कभी भी और जहां कहीं भी उसकी आवश्यकता हो, वहां अविलम्ब उपस्थित हो जाए. यहां उपस्थिति या उपलब्धता का अर्थ शारीरिक और मानसिक दोनों प्रकार की उपस्थिति से है. अगर नेतृत्व करने के पास दूसरी ज़िम्मेदारियां है, जिसके चलते वह नहीं पहुंच सकता तो उसे योग्य व्यक्ति को वहां भेजना चाहिए या उस प्रोजेक्ट पर लगाना चाहिए. ऐसा तभी होगा जब वह दूसरे व्यक्तियों को भिन्न-भिन्न ज़िम्मेदारियां निभाने का अधिकार दे दे. यदि नेता अपनी शक्तियां दूसरे योग्य व्यक्तियों को प्रदान नहीं करता तो हर कार्य उसे स्वयं करना पड़ेगा जिससे वह हर समय इतना अधिक व्यस्त हो जाएगा कि आवश्यकता पड़ने पर उस तक पहुंच पाना मुश्क़िल हो जाएगा अर्थात् वह सहज उपलब्ध नहीं हो सकेगा. जबकि नेता की उपलब्धता अनेक महत्त्वपूर्ण निर्णय लेने और लक्ष्य निर्धारित करने के लिए बहुत आवश्यक होती है. यदि कोई व्यक्ति नेतृत्व के लिए उपलब्ध नहीं होता तो इसके कई कारण कहे सकते हैं. एक कारण यह हो सकता है कि वह ऐसे काम निपटाने में बहुत व्यस्त है जो इतने अधिक महत्त्वपूर्ण तो नहीं हैं किन्तु बहुत ज़रूरी होते हैं. दूसरा कारण यह हो सकता है कि नेतृत्व करने वाला व्यक्ति पूर्ण रूप से व्यवस्थित नहीं है. लेकिन नेतृत्व करने वाले व्यक्ति में यदि नम्रता होगी तभी वह अपने साथियों के लिए सहज उपलब्ध हो सकेगा तथा लोगों का विश्वास जीत सकेगा. दूसरों को ज़िम्मेदारियां बांटकर ख़ुद ख़ुश रहेगा और दूसरों को महत्वपूर्ण होने का एहसास कराएगा.
तीसरा गुण: सहन करने की शक्ति
एक नेतृत्वकर्ता की राह में कई तरह की अस्थिरता, जटिलताएं एवं विरोध होते हैं. इन दबावों के बीच रहते सही ढंग से कार्य करने के लिए अत्यधिक सहनशक्ति की आवश्यकता होती है. नेतृत्व करने वाले व्यक्ति में सहनशीलता का गुण होता है. सहन के साथ शक्ति शब्द लगा हुआ है, इसका अर्थ यह है कि व्यक्ति आन्तरिक शक्ति, सहनशक्ति के द्वारा ही ख़राब परिस्थितियों तथा अत्यधिक दबाव को झेलने के योग्य बनता है. नेतृत्व करने वाल व्यक्ति को बहुत-सी भिन्न-भिन्न परिस्थितियों को एक साथ संभालना पड़ता है. इसके लिए उसे अनेक महत्त्वपूर्ण निर्णय लेने पड़ते हैं जिनके लिए वह स्वयं पूर्ण रूप से ज़िम्मेदार होता है. वह बिना आहत हुए. अपनी आलोचना स्वीकार करता है तथा आलोचना सुनकर भारी महसूस नहीं करता. लेकिन जैसे ही नेतृत्व करने वाला व्यक्ति अपनी सहनशक्ति छोड़ देता है वैसे ही उसकी साख गिर जाती है. ऐसी स्थिति में दूसरे व्यक्ति उसके पीछे चलना छोड़ देते हैं. इसलिए अच्छे नेतृत्वकर्ता के लिए सहनशक्ति का होना बहुत ज़रूरी है.
दूसरे शब्दों में सहनशक्ति का अर्थ है कि अंत तक अपना श्रेष्ठ योगदान देते रहना. निंदा-स्तुति को समान भाव से ग्रहण करना सहनशक्ति है. सहनशक्ति की प्राप्ति का आधार प्रेम है. प्रेम के आधार पर ही नेतृत्व करने वाला व्यक्ति लोगों के दिल जीत सकता है और बदले में लोग सदा उसे हर तरह का सहयोग देने के लिए प्रस्तुत रहते हैं.
चौथा गुण: लचीलापन या अनुकूलन क्षमता
नेतृत्व करने वाला अपने लचीले दृष्टिकोण और ख़ुद की समय और परिस्थिति के अनुकूल कर लेने की शक्ति के बल पर ही अपने लक्ष्य तक पहुंच पाता है. जिस तरह एक नदी अनेक विघ्न-बाधाओं के होते हुए भी अपना रास्ता स्वयं ढूंढ़ कर अंत में समुद्र में समा जाती है इसी तरह एक प्रभावी नेता में स्वयं का दूसरों के अनुकूल करने की योग्यता होती है जिसके आधार से वह भिन्न-भिन्न व्यक्तियों और परिस्थितियों के कारण पैदा होने वाले विघ्नों को पार करता हुआ अपने लक्ष्य तक पहुंच जाता है. दूसरों के लिए रास्ता छोड़ने, झुकने और सहन करने के लिए उसे समझदारी से काम लेना होता है. जितनी अधिक व्यक्ति में अनुकूलन क्षमता होती है, उतना ही अधिक दबाव वह झेल सकता है. एक छोटा तिनका भी अपने लचीलेपन के कारण बड़े-बड़े तूफ़ानों को झेल लेता है क्योंकि तूफ़ान आने पर वह झुक जाता है तथा तूफ़ान थम जाने पर वह फिर से सीधा खड़ा हो जाता है. अनुकूलन क्षमता का अर्थ है उसके व्यक्तित्व की पूर्णता. नेतृत्व करने वाले व्यक्ति में इतनी समझ होनी ज़रूरी है कि उसे कब, कहां, कैसे और किस हद तक झुकना है.
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