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- त्वचा से जुड़े 7 मिथक
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हज़ारों ब्यूटी वीडियोज़ के बीच यह समझ पाना काफ़ी मुश्क़िल हो गया है, ब्यूटी से जुड़ी किस बात को फ़ॉलो करें, किसे नहीं. क्या फ़ेस पैक लगाने के बाद त्वचा पर जलन महसूस होना सामान्य है, क्या स्क्रब से ब्लैकहेड्स निकाले जा सकते हैं, क्या ज़ोर-ज़ोर से स्क्रब करने से चेहरा चमकता है और क्या मेकअप लगाने से आप जल्दी बूढ़ी होंगी? इसी तरह के सवालों और ब्यूटी से जुड़े अन्य समस्याओं व मिथकों को तोड़ने में हमारी मदद कर रही हैं डॉ निरुपमा परवांडा, डर्मैटोलॉजिस्ट, फ़ाउंडर-ज़ोली स्किन क्लिनिक.
मिथकः जितना तेज़ी से आप एक्सफ़ॉलिएट करेंगी, उतनी बेहतर त्वचा मिलेगी.
सच्चाईः इसे आप उल्टा करके समझें. आप जितनी ज़ोर से एक्सफ़ॉलिएट करेंगी, आपकी त्वचा को उतनी ज़्यादा क्षति पहुंचेगी. आपके चेहरे की त्वचा आपके शरीर से ज़्यादा संवेदनशील होती है. यदि आप बेरहमी से रगड़-रगड़ कर एक्सफ़ॉलिएशन करेंगी, तो न केवल आपकी त्वचा के नैसर्गिक ऑयल्स नष्ट हो जाएंगे, बल्कि इससे आपकी त्वचा को गंभीर क्षति भी पहुंच सकती है.
सच्चाईः ब्लैकहेड्स त्वचा के गंदे रहने से नहीं, बल्कि आपके बदलते हार्मोन्स के नतीजे होते हैं. बाज़ार में भले ही कितने ही महंगे और बेहतरीन क्लेंज़र्स या स्क्रब इन्हें जड़ से हटाने का दावा करते हों, लेकिन सच्चाई यही है कि आप इनको क्लेंज़र या स्क्रब से नहीं निकाल सकते.
मिथकः महंगे स्किनकेयर प्रॉडक्ट्स बेहतर नतीजे देते हैं.
सच्चाईः केवल क़ीमत ज़्यादा होने से, क्वॉलिटी का अनुमान न लगाएं. क़ीमत कभी भी प्रॉडक्ट की गुणवत्ता और प्रभाव को परिभाषित नहीं करती. इसलिए प्राइस टैग के बजाय इन्ग्रीडिएंट्स की ओर देखें.
मिथकः हर दिन मेकअप लगाने से आप जल्दी उम्रदराज़ नज़र आएंगी.
सच्चाईः एक्स्पर्ट्स का कहना है कि यदि आप बेहतरीन स्किन केयर रूटीन फ़ॉलो करती हैं, तो दुनिया की कोई भी चीज़ आपको वक़्त से पहले उम्रदराज़ नहीं दिखा सकती. अपनी त्वचा के अनुरूप अच्छी गुणवत्ता वाले प्रॉडक्ट्स का इस्तेमाल करें और सोने से पहले मेकअप को अच्छी तरह साफ़ करें. यदि आप इन दो बुनियादी नियमों का पालन करती हैं, तो आपकी त्वचा लंबे समय तक झुर्रियों से दूर ही रहेगी.
मिथकः जितना ज़्यादा एसपीएफ़ होगा, उतनी अच्छी सुरक्षा.
सच्चाईः असल में तीन तरह के यूवी रेज़ होती हैं-यूवीए, यूवीबी और यूवीसी. ये सभी किरणें हमारी त्वचा के लिए हानिकारक होती हैं. वहीं जब बात एसपीएफ़ की आती है, तो यह हमारी त्वचा को केवल यूवीबी किरणों से बचाते हैं, जो त्वचा को जला सकती हैं और उम्रदराज़ दिखा सकती हैं. इसलिए जब आप सनस्क्रीन की बात करते हैं, तो आपको केवल एसपीएफ़ नहीं, बल्कि वह किन-किन चीज़ों से त्वचा की रक्षा करता है, यह जांचना चाहिए.
मिथकः बरसात के समय सनस्क्रीन की ज़रूरत नहीं होती.
सच्चाईः बरसात के दिनों में भी सूरज की किरणें हम तक पहुंचती हैं. इसलिए जब आसमान में बादल घिरे हों, तब भी सनस्क्रीन लगाना चाहिए. यह एक मिथक है कि केवल तेज़ धूप ही हमारी त्वचा के लिए हानिकारक होती है. सनस्क्रीन को हर तीन-चार घंटे में दोबारा लगाना चाहिए.
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Kajal Dubey
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