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कोरोना काल में 56 प्रतिशत बच्चे मानसिक तनाव से हुए ग्रसित, जानें इसका असर

Deepa Sahu
11 March 2022 1:37 AM GMT
कोरोना काल में 56 प्रतिशत बच्चे मानसिक तनाव से हुए ग्रसित, जानें इसका असर
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कोरोना काल में निजी स्कूल के 56 फीसदी बच्चे मानसिक तनाव में रहे।

कोरोना काल में निजी स्कूल के 56 फीसदी बच्चे मानसिक तनाव में रहे। इसका असर उनकी वर्तमान पढ़ाई पर पड़ रहा है। क्लासरूम की पढ़ाई अब उन्हें कठिन लग रही है। ये बातें शिक्षा मंत्रालय के मनोदर्पण के सर्वे में निकल कर आयी हैं। कोरोना काल के बाद नवंबर और दिसंबर 2021 में यह सर्वे किया गया। सूबे के दो हजार निजी स्कूलों के नौवीं से 12वीं तक के डेढ़ लाख बच्चों को इसमें शामिल किया गया। सर्वे ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह से किया गया।

सर्वे के अनुसार कोरोना संक्रमण के कारण स्कूल लंबे समय तक बंद रहे, इससे पढ़ाई पूरी नहीं हो पाई। ज्यादातर स्कूलों की ऑनलाइन क्लास खानापूर्ति वाली ही रही। लगातार दो साल की पढ़ाई में सिलेबस पूरा नहीं हो पाया। इसलिए अब अगली कक्षा की पढ़ाई भी कठिन लग रही है। विशेषज्ञ तनाव का एक बड़ा कारण इसे ही मान रहे हैं। इसी मानसिक तनाव का असर उनकी पढ़ाई पर हो रहा है।
लिखने की आदत और लिखावट दोनों ही खराब
स्कूल बंद रहने का असर यह हुआ है कि बच्चों में लिखने की आदत खत्म हो गयी है। इसके अलावा लिखावट बहुत ही खराब हो गयी है। सर्वे की मानें तो स्कूल के 20 से 25 फीसदी बच्चों की लिखावट खराब हुई है। अंग्रेजी के करसिव राइटिंग तो 50 फीसदी से अधिक बच्चे भूल गये। सेंट जेवियर्स हाई स्कूल के प्राचार्य फादर किस्ट्रू ने बताया कि ज्यादातर बच्चों की लिखावट खराब हो गयी है। बच्चे कक्षा में लिख नहीं पाते हैं।
40 फीसदी बच्चों की याददाश्त हो गयी कमजोर
कोरोना संक्रमण ने बच्चों में एक डर पैदा कर दिया है। यह डर उनके शैक्षणिक तनाव को लेकर है। सिलेबस पूरा नहीं हुआ, पढ़ाई नहीं होगी तो पास कैसे करेंगे। ये तमाम चीजें बच्चों के दिमाग में चलती रहती हैं। इससे याद करने की क्षमता भी कम हो गयी है। सर्वे की मानें तो नकारात्मक विचार अधिक आने से बच्चों की याददाश्त कमजोर हो गयी है। विषयवस्तु अधिक देर तक दिमाग में नहीं रहता है।

इस तरह के तनाव झेल रहे बच्चे
- सिलेबस पूरा नहीं हुआ और परीक्षा में शामिल हुए।
- पहले मोबाइल थमाया गया अब पेन पेपर दिया गया।
- पढ़ाई के प्रति गंभीरता खत्म हो गयी ।
- कठिन चैप्टर नहीं समझ पा रहे हैं।
- क्लासरूम में मोबाइल नहीं ले जाने का भी मलाल।प्रमोद कुमार( काउंसिलर, मनोदर्पण) के अनुसार, कोरोना काल का असर बच्चों की पढ़ाई पर अब दिखने लगा है। बच्चे कोरोना काल में मानसिक तनाव में रहे, इसका असर पढ़ाई पर भी है। कक्षा की पढ़ाई समझने में दिक्कत हो रही है। इस कारण स्कूल के रूटीन में बच्चे ढल नहीं पा रहे हैं। स्कूलों को लगातार काउंसिलिंग करानी होगी।

विशेषज्ञ की सलाह-
अभिभावक बच्चों को समय दें
उनके तनाव के कारण जानें
तनाव दूर करने की पहल करें
शिक्षक बच्चों की काउंसिलिंग करें
(डॉ. बिंदा सिंह, क्लीनिकल काउंसिलर)


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