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5 प्रैक्टिकल तरीक़े, रिजेक्शन के दर्द को भुलाने के

Kajal Dubey
14 May 2023 12:28 PM GMT
5 प्रैक्टिकल तरीक़े, रिजेक्शन के दर्द को भुलाने के
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बेशक रिजेक्शन बहुत ही दर्द देता है. पर ज़िंदगी में हम सभी को कभी न कभी रिजेक्शन झेलना ही पड़ता है. पर दर्द को हम दिल से लगाकर लंबे समय तक तो नहीं बैठे रह सकते ना! दर्द भुलाकर हमें आगे बढ़ना होता है. वैसे हर तरह के दर्द समय के साथ कम हो ही जाते हैं. यहां हम बता रहे हैं, दिल टूटने के बाद होनेवाले दर्द से उबरने के 10 तरीक़े, क्योंकि टूटे दिल को जोड़कर आपको आगे जो बढ़ना है.
पहला तरीक़ा: अपने आपको दुख मनाने यानी दुखी होने का पर्याप्त समय दें
यह आपको भले ही बचकानी-सी सलाह लग रही हो, पर दुख को भगाने का सबसे अच्छा तरीक़ा है, ख़ुद को दुख मनाने का समय देना. रिसर्च में यह बात सामने आई है कि मानसिक दर्द से हमारे दिमाग़ का वही हिस्सा ऐक्टिवेट होता है, जो शारीरिक दर्द के दौरान होता है. यही कारण है कि दिल टूटने पर भी उसी तरह की तक़लीफ़ होती है, जैसी तक़लीफ़ कहीं चोट लगने पर होती है. जिस तरह शरीर की चोट को ठीक करने के लिए हमें समय देना होता है, उसी तरह दिल के दर्द से उबरने के लिए भी ख़ुद को समय दें. यह बात पूरी तरह सही है कि समय हर चोट को भर देता है. आपके दिल के भयानक से भयानक दर्द को समय मरहम लगाकर चंगा कर देगा.
दूसरा तरीक़ा: ख़ुद से बात करें, पर किसी दूसरे व्यक्ति की तरह
यह भी दुख को कम करने का अच्छा तरीक़ा है. कारण यह कि जब हम ख़ुद से, ख़ुद के बारे में अदर पर्सन यानी कोई दूसरा व्यक्ति बनकर बात करते हैं, तब अपनी भावनाओं को बेहतर ढंग से कंट्रोल कर पाते हैं. इस तरह की बातचीत समस्या के दूसरे पहलू को देखने का नज़रिया प्रदान करती है. आप ख़ुद को यह यक़ीन दिला पाते हैं कि क्यों जो हुआ, वह आपके बेहतर भविष्य की दृष्टि से अच्छा ही हुआ. आमतौर पर हमारी हर समस्या को ग़ौर पर देखने पर हम यही पाते हैं कि जो भी होता है अच्छे के लिए होता है. हालांकि ताज़ा-ताज़ा दिल टूटने के बाद यह कुछ ज़्यादा ही फ़िलासफ़िकल लग सकता है, पर कुछ सालों के बाद आपको रियलाइज़ होगा कि कुछ भी बुरा नहीं होता.
तीसरा तरीक़ा: सैड सॉन्ग सुनना और रोमैंटिक फ़िल्में देखना बंद कर दें
हालांकि सैड सॉन्ग यानी दुखभरे गाने सुनना दिल टूटने के बाद, अच्छे लगने लगते हैं. आप भी सुनें. पर लंबे समय तक दुखभरे गाने सुनना आपको दर्द से बाहर नहीं निकलने देंगे. इसके अलावा प्यार और वफ़ाई के बारे में आप ग़लत धारणा बना लेंगे. दिल टूटने के दर्द को भुलाने के लिए ख़ुद को नेगेटिविटी के इस चक्रव्यू में फंसने से बचाएं. इसी तरह का चक्रव्यू है रोमैंटिक फ़िल्में. दिल टूटने के बाद काउच पर पसरकर कुछ खाते हुए रोमैंटिक फ़िल्में देखने के प्रलोभन से बचें. इससे आपका दर्द और बढ़ेगा. आप पर्दे पर दूसरों का प्यार साकार होते देख अकेलेपन और ख़ालीपन से भर जाएंगे. अगर आपको दिल बहलाने के लिए फ़िल्में ही देखनीं हों तो नॉन रोमैंटिक फ़िल्में देखें. कॉमेडी, थ्रिलर और ड्रामा जैसे जॉनर की फ़िल्में आपके काम आ सकती हैं. उनमें बिज़ी होकर आप अपने हार्ट ब्रेक के दर्द को भूल जाएंगे.
चौथा तरीक़ा: चमत्कार की उम्मीद न करें, रिएलैस्टिक उम्मीदें पालें
हम सभी अपनी ज़िंदगी में चमत्कार की उम्मीद करते हैं. जैसे-अचानक हमारी लॉटरी निकल जाए, एक दिन सोकर उठें और पाएं कि हम दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति बन गए हैं या रातोंरात आप बेहद लोकप्रिय बन गए हैं. यही हमारी कपोल कल्पनाएं प्यार के मामले में भी जाग जाती हैं, ख़ासकर जब आपका दिल टूटा होता है. आप उम्मीद करने लगते हैं कि रिजेक्ट करने के बाद हो सकता है उसका हृदय परिवर्तन हो गया हो. उसे आपकी कमी और अहमियत महसूस हो रही हो. वह अचानक आपके सामने आकर आपसे माफ़ी मांग ले. मन बहलाने के लिहाज़ से इस तरह की कपोल कल्पनाएं ठीक हैं, पर ज़्यादा समय तक कल्पना लोक में फंसे रहने से आपको और ज़्यादा दर्द होगा. आप उसे भुलाकर आगे नहीं बढ़ पाएंगे. तो चमत्कार की उम्मीद मत करिए. वास्तविकता को स्वीकार करके आगे बढ़िए.
पांचवां तरीक़ा: अपनी खोल से बाहर निकलें और ख़ुद से प्यार करें
दुख हमें लोगों से काट देता है. हम दुखी होकर अपनी खोल में छुप जाते हैं. बेशक कुछ दिनों के लिए लोगों से दूर रहना फ़ायदेमंद साबित हो सकता है, पर लंबे समय का कटाव दुख को बढ़ाता है. आपके व्यक्तित्व में एक तरह की उदासीनता छा जाती है. इस उदासीनसता से निकल पाना बहुत मुश्क़िल होता. आपके साथ ऐसा न हो इसलिए ख़ुद से प्यार करें. ख़ुद को पैम्पर करें. उन सभी गतिविधियों में समय बिताएं, जो पिछले कुछ समय से प्यार के चक्कर में नेगलेक्ट हो गई थीं. दोस्तों से मिलें. उनके साथ घूमने-फिरने जाएं. पसंदीदा रेस्तरां में खाना खाने जाएं. अच्छे कपड़े ख़रीदें. कहीं बाहर जाना हो तो अच्छी तरह तैयार होकर जाएं. ख़ुद से प्यार करने के क्रम में अपनी हॉबीज़ के लिए भी समय निकालें. ऐसा करने से आपकी क्रिएटिविटी और एनर्जी का सही इस्तेमाल हो पाता है. और आप बेहतर व ख़ुश महसूस करते हैं. जब आप अंदर से ख़ुश होते हैं, तब बाक़ी लोग भी आपसे प्यार करने लगते हैं.
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