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हम कितना भी कहें बच्चों का सही विकास स्कूल के बाद वाले घंटों में होता है, जब वे घर पर रहते हैं. हमारा यह कहने का मतलब नहीं है कि शिक्षा बहुत ज़रूरी नहीं है, पर जीवन के ज़्यादातर पाठ जो उन्हें आप सिखाते हैं, वे आगे चलकर उनके ज़्यादा काम आते हैं. घर पर हम सभी छोटे-मोटे रिपेयर वर्क करते रहते हैं. यहां हम पांच ऐसे ही छोटे-मोटे काम बता रहे हैं, जो बच्चों को आएं तो सोने पर सुहागा साबित होगा. उन्हें यह काम आप टीनएज की शुरुआत में ही सिखाएं.
प्लम्बिंग: ब्लॉक टॉयलेट या सिंक को ठीक करना, टपकते नल को दुरुस्त करना सीखकर वे न केवल घर के छोटे-मोटे कामों को ख़ुद करना शुरू करेंगे, बल्कि वे पानी जैसे महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधनक के संवर्धन के प्रति भी जागरूक बनेंगे.
5 होम रिपेयर स्किल्स, जो बच्चों को ज़रूर सिखाएं
इलेक्ट्रिक फ़िटिंग: घरों में बल्ब फ़्यूज़ होना या किसी सॉकेट में ख़राबी आना जैसी छोटी-मोटी समस्याएं आती रहती हैं. बच्चों को बेसिक इलेक्ट्रिकल फ़िटिंग की ट्रेनिंग ज़रूर दें. ताकि घर का फ़्यूज़ उड़ने पर आप लोग बेवजह परेशान न हों.
5 होम रिपेयर स्किल्स, जो बच्चों को ज़रूर सिखाएं
कारपेंटरी: बच्चों को छोटी उम्र में ही बेसिक बढ़ईगिरी का काम सिखाकर आप न केवल उनकी रचनात्मकता को बढ़ाते हैं, बल्कि घर के लकड़ी के छोटे-मोटे कामों को लेकर निश्चिंत हो सकते हैं. कारपेंटरी से हैंड आई कॉर्डिनेशन भी बढ़ता है. हथौड़ा, कील, आरी जैसे बेसिक औजार घर पर रखें. आपके कई काम आसान हो जाएंगे.
5 होम रिपेयर स्किल्स, जो बच्चों को ज़रूर सिखाएं
फ़र्स्ट-एड: अक्सर बच्चे थोड़ा-सा भी ख़ून देखकर घबरा जाते हैं. वे अगली बार ऐसी पैनिक सिचुएशन में न आएं इसके लिए उन्हें छोटे-मोटे घावों और चोटों की देखभाल करना सिखाएं. फ़र्स्ट-एड की ट्रेनिंग देने के साथ-साथ उन्हें आग लगने, भूकंप आने, बाढ़ में फंसने जैसी आपातकालीन स्थितियों में संयम बरतते हुए किस तरह अपनी व दूसरों की सुरक्षा की जाती है, यह भी बताएं.
5 होम रिपेयर स्किल्स, जो बच्चों को ज़रूर सिखाएं
घर को पेंट करना: ऐसी कोई भी गतिविधि जिसमें रंगों का समावेश हो, बच्चों को आकर्षित करती है. बच्चों को दीवारों पर उनकी रचनात्मकता का प्रदर्शन करने के लिए प्रोत्साहित करें. इससे न केवल घर में पर्सनल टच का अनुभव होगा, बल्कि आप ढेर
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