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लाइफ स्टाइल
कोरोना के अलग- अलग रूप से लड़ने में काम आएंगे आपके शरीर के 5 फैक्टर
Gulabi
1 Dec 2021 1:15 PM GMT
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वायरस के प्रति इंसानों के शरीर की प्रतिक्रिया अलग-अलग होती है
वायरस के प्रति इंसानों के शरीर की प्रतिक्रिया अलग-अलग होती है. अगर एक वायरस किसी के शरीर में प्रवेश करता है तो जरूरी नहीं किसी अन्य व्यक्ति के शरीर में वैसे ही लक्षण देखने को मिले जो पहले में दिखे. कोरोना वायरस का नया वैरिएंट ओमिक्रॉन (Omicron) जिस गति से फैल रहा है, उसे लेकर दुनियाभर के लोग, सरकारें, डॉक्टर और साइंटिस्ट परेशान हैं. हालांकि इस बीच मशहूर साइंस जर्नल सेल (Cell) में एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई है, जिसमें बताया गया है कि ओमिक्रॉन जैसे वायरसों से लड़ने में आपके शरीर के कौन से पांच फैक्टर काम आते हैं? आपके इन पांच बातों का पूरा ख्याल रखना होगा. अगर आपने इन्हें मजबूत रखा तो कोरोना महामारी के इस नए शैतानी चेहरे से डरने की जरूरत नहीं है.
साल 2019 से पूरी दुनिया में फैली कोरोना महामारी से अब तक 26.26 करोड़ लोग संक्रमित हो चुके हैं, जबकि 52.28 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. जो दुनिया छोड़ गए उनकी बातें क्या करनी लेकिन जो लोग संक्रमित हुए, उनमें भी अलग-अलग तरह के लक्षण देखने को मिले. ऐसा नहीं था कि हर किसी को एक जैसे लक्षण दिख रहे हों. इसके अलावा शरीर के ऊतक (Tissue) की सेहत कैसी है. वो वायरस से संघर्ष कर पाता है या नहीं. कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्ति की उम्र कितनी है. या फिर कोरोना पीड़ित का लिंग (Sex) क्या है. यानी कुल मिलाकर आपके शरीर में पांच फैक्टर ऐसे होते हैं जो आपको किसी भी तरह के कोरोना वायरस से लड़ने के काबिल बनाते हैं.
Heterogeneity of human anti-viral immunity shaped by virus, tissue, age, and sex https://t.co/7qMvKfg9Vf
— Cell Reports (@CellReports) November 30, 2021
आपके शरीर के अंदर हर बीमारी से लड़ने के लिए एक प्रतिरोधक क्षमता होती है. जिसे बोलचाल की भाषा में इम्यूनिटी (Immunity) कहते हैं. किसी भी बीमारी, बैक्टीरिया, वायरस से लड़ने के लिए आपके शरीर के इम्यून सिस्टम में सबसे ज्यादा जरूरी तत्व है टी-लिम्फोसाइट्स (T Lymphocytes). ये किसी भी प्रकार के वायरस से संघर्ष करने में सबसे ज्यादा मददगार होते हैं. T Cell का काम और उसका मेंटेनेंस शरीर के अलग-अलग हिस्सों में लोकल लेवल पर होता है. यानी जिस तरह का वायरस शरीर में आता है, उसे रोकने के लिए उसी तरह का T Cell शरीर के इम्यून सिस्टम से निकलता है. यह वायरस से संघर्ष करता है. शरीर के अलग-अलग हिस्सों में जाकर सैनिकों की तरह घुसपैठियों का सामना करता है. उन्हें हराने की कोशिश करता है. इसलिए शरीर में इनका मजबूत रहना बेहद जरूरी है. इसे मजबूत रखने के लिए जरूरी है कि आप कोरोना वैक्सीन लगवाएं ताकि आपके शरीर में कोरोना वायरस के वैरिएंट्स से लड़ने के लिए सही T Cells का निर्माण हो सके.
शरीर के ऊतकों की सेहत कैसी है?
अच्छे T Cells का निर्माण तब हो पाएगा जब आपके शरीर के ऊतक (Tissue) मजबूत और सेहतमंद हों. क्योंकि इनकी मजबूती की वजह से शरीर में वायरसों के खिलाफ प्रतिक्रिया शुरु होती है. जैसे शरीर में साइटोकाइन्स (Cytokines), एंटीबॉडीज (Antibodies) और T Cells का निर्माण होता है. ऊतकों के सक्रिय रहने की वजह से ही शरीर में मेमोरी टी सेल्स बनते हैं, जो ये याद रखते हैं कि पहले किस तरह के वायरसों का हमला हो चुका है. उनसे किस तरह से लड़ना है. आमतौर पर ये मेमोरी टी सेल्स खून के बाहरी परत में पाए जाते हैं. ये ऊतकों के अंदर घूमते रहते हैं. किसी एक हिस्से में नहीं बल्कि पूरे शरीर में. जैसे- कोरोना वायरस का हमला सबसे पहले फेफड़ों के ऊतकों पर होता है. वहां से तुरंत खून के साथ घूम रहे मेमोरी टी सेल्स शरीर के इम्यून सिस्टम को सूचना देते हैं कि घुसपैठ हो चुका है, हमला करो. अगर आपको वैक्सीन लग चुकी होगी तो मेमोरी टी सेल्स उन्हीं एंटीबॉडीज और टी सेल को सूचित करेंगे जो इस वायरस से लड़ने के लिए पहले से तैयार है.
किस तरह का वायरस शरीर में आया? (Which type of Virus Infects?)
कोरोना वायरस के 13 वैरिएंट्स पिछले दो साल में लोगों को परेशान कर चुके हैं. ओमिक्रॉन 13वां है. इससे पहले सबसे खतरनाक वैरिएंट था डेल्टा (Delta). इस वैरिएंट ने म्यूटेशन करके कोरोना की दूसरी लहर को भयावह बना दिया था. लाखों लोगों की मौत हुई और करोड़ों संक्रमित हुए. 13 वैरिएंट्स में से पांच वैरिएंट्स को VOC यानी वैरिएंट्स ऑफ कंसर्न का दर्जा दिया गया. यानी अगर आपके शरीर में इनमें से किसी वैरिएंट का संक्रमण है तो आपको ज्यादा चिंता करनी चाहिए. ये वैरिएंट्स हैं - अल्फा (Alpha), बीटा (Beta), गामा (Gamma), डेल्टा (Delta) और अब नया आया ओमिक्रॉन (Omicron). इसके बाद आते हैं वो वैरिएंट्स जिन्हें VOI यानी वैरिएंट्स ऑफ इंट्रेस्ट कहा जाता है. इनसे संक्रमित होने पर दिक्कत होती है लेकिन बचाव और सही समय पर इलाज से बचा जा सकता है. ये हैं- लैम्ब्डा (Lambda) और मू (MU). अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर ये तो सात ही हुए. बाकी के वैरिएंट्स पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) अभी विचार विमर्श कर रहा है. इन्हें वैरिएंट्स अंडर मॉनिटर (VOM) रखा गया है.
आपकी उम्र कितनी है? (What is your Age?)
आपने पूरे कोरोना काल में देखा होगा कि कोविड-19 की वजह से बच्चों को दिक्कत कम हुई. ज्यादातर बुजुर्ग और अधेड़ उम्र के लोगों की मौत हुई या गंभीर रूप से संक्रमित हुए. वेंटिलेटर या आईसीयू में भर्ती हुए. असल में मुद्दा ये है कि अगर आप अपनी उम्र में भी सेहतमंद हैं और आपको किसी तरह के अन्य बीमारी नहीं है तो शायद आप वायरस के खिलाफ ज्यादा बेहतर संघर्ष कर सकें. अगर आपको ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, दमा, सांस संबंधी बीमारियां या दिल संबंधी बीमारियां हैं तो आपके लिए इस वायरस के वैरिएंट्स बेहद खतरनाक साबित हो सकते हैं. बच्चों को ऐसी दिक्कतें यानी लाइफस्टाइल संबंधी बीमारियां कम होती हैं. उनका इम्यून सिस्टम मजबूत होता है. युवा भी अपनी सेहत का ख्याल रखते हैं. लेकिन अधेड़ और बुजुर्गों के साथ यह दिक्कत है कि या तो उनकी लाइफस्टाइल खराब होती है या फिर उनकी उम्र में की तरह की बीमारियां हो चुकी होती हैं. इसका फायदा कोरोना के वैरिएंट्स उठाते हैं.
आप महिला हैं या पुरुष (What is your Sex?)
दिसंबर 2019 से लेकर अब तक आपने देखा होगा कि कोरोना काल में कोविड-19 के वैरिएंट्स की चपेट में आने वाले लोगों में सबसे ज्यादा संक्रमित पुरुष हुए. मौतें भी इनकी ज्यादा हुईं. महिलाएं पुरुषों की तुलना में कम संक्रमित हुई और मौत से बच भी गईं. इसके पीछे बड़ी वजह ये है कि दुनियाभर के देशों में ज्यादातर महिलाएं आमतौर पर प्रदूषण, बीमारियों और लाइफस्टाइल संबंधी दिक्कतों से दूर रहती है. इसका सबसे ज्यादा नुकसान पुरुषों को होता है. वो प्रदूषण में बाहर घूमते हैं. सिगरेट-शराब जैसा नशा करते हैं. अलग-अलग स्थानों पर जाते हैं...ऐसे में उनके संक्रमित होने की आशंका बढ़ जाती है. दूसरी बात ये है कि महिलाओं का शरीर आमतौर पर पुरुषों की तुलना में आंतरिक रूप से ज्यादा मजबूत होता है.
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Gulabi
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