- Home
- /
- लाइफ स्टाइल
- /
- 4 तरीक़े पैरेंटिंग की...
सालभर के लॉकडाउन में केवल एक ही काम अच्छा हुआ है, पैरेंट्स ने अपने बच्चों को अपने सामने बड़ा होते देखा. बच्चों को दिनभर झेलना कैसा होता है, यह बात ज़्यादातर वर्किंग लोगों को समझ में आ गई. दोनों कामकाजी पैरेंट्स वाले केसेस में कपल्स ने साझी पैरेंटिंग के महत्व को समझा. पैरेंटिंग अपने आप में एक चुनौती और हर दिन का एक मज़ेदार अनुभव है. वैसे भले ही आजकल ज़्यादातार माता-पिता दोनों ही वर्किंग हो गए हों, पर अब भी पारंपरिक रूप से मांओं पर ही बच्चों की ज़िम्मेदारी आती रही है. लॉकडाउन में जब दोनों पैरेंट्स ने घर से ही ऑफ़िस के काम को संभाला, बच्चों की ज़िम्मेदारी साझा करने की एक अनकही समझ भी विकसित हुई है.
हालांकि अब ज़्यादातर ऑफ़िसेस खुल चुके हैं, ज़िंदगी पूरी तरह तो नहीं पर काफ़ी कुछ प्री-लॉकडाउन जैसी हो गई है. पर कुछ पैरेंट्स अब भी घर से काम करते हुए ऑफ़िस और पैरेंटिंग दोनों ही चुनौतियों से एक साथ निपटने में खीझ रहे हैं. अगर आप भी ऐसे ही पैरेंट्स में हों तो साझा पैरेंटिंग के ये 4 सुझाव आपका काम आसान कर सकते हैं.
पहला सुझाव: अपनी-अपनी ज़िम्मेदारियों पर स्पष्ट बात कर लें
जब आप मिलकर कोई काम करते हैं, तब सबसे ज़्यादा परेशानियां तब आती हैं, जब पहले से ही अपनी-अपनी ज़िम्मेदारियों के बारे में पता नहीं होता. कभी लगता है कि मुझे सामनेवाले के हिस्से का काम भी करना पड़ रहा है या मुझे ही कठिन काम दिए गए हैं. आपके साथ ऐसा न हो इसलिए बेहतर होगा कि पहले ही पार्टनर के साथ यह डिस्कस कर लें कि बच्चे का कौन-सा का काम आपको कराना है और किन कामों की ज़िम्मेदारी पार्टनर की है. आप बच्चे को संभालने की ज़िम्मेदारी दो तरीक़े से बांट सकते हैं, पहला घंटों में या काम की संख्या में. आप दोनों को जो भी तरीक़ा सुविधाजनक लगे उसे अपना सकते हैं.
दूसरा सुझाव: एक बार ज़िम्मेदारी तय होने के बाद बार-बार बदलाव न करें
जब आप दोनों ने सोच-समझकर एक बार अपनी ज़िम्मेदारी तय कर ली है तो बार-बार उसमें बदलाव करना सही नहीं होगा. ऐसा करने से पार्टनर के साथ-साथ बच्चा भी कन्फ़्यूज़ हो जाएगा. आपको जो समस्या हो वह ज़िम्मेदारी बांटते समय ही सुलझा लें, बजाय बाद में चिढ़ने के. और एक बात का ख़्याल रखें कि आपको अपने हिस्से की ज़िम्मेदारी को बोझ की तरह नहीं, ख़ुशी-ख़ुशी पूरा करना होगा. वरना साझा पैरेंटिंग करने का कोई मतलब नहीं रह जाएगा.
तीसरा सुझाव: अपना ख़ुद का टाइम टेबल बना लें
चूंकि आप को बच्चे को संभालने के साथ-साथ ऑफ़िस के काम भी करने हैं तो आपको काफ़ी स्मार्टली अपना टाइम टेबल बनाना होगा, ताकि आपके ऑफ़िस का कोई काम अधूरा न रह जाए. प्रोफ़ेशनल लाइफ़ में अंडर-परफ़ॉर्म करके अच्छा पिता या मां बनने से आपको वह आंतरिक ख़ुशी नहीं मिलेगी. बच्चा जो काम ख़ुद कर सकता हो, वह काम उसे ख़ुद पूरा करने की आदत डलवाएं. कई बार पैरेंट्स बच्चों को जल्दी फ्री करने के चक्कर में उनके होमवर्क्स ख़ुद करते हैं, पर यह सही तरीक़ा नहीं है. ऐसा करके आप ख़ुद पर एक्स्ट्रा बोझ ले रहे हैं और बच्चे को होमवर्क के माध्यम से कुछ सीखने से रोक रहे हैं. तो स्पष्ट रहें कि आपको होमवर्क में मदद करना है, ख़ुद नहीं करना है.
चौथा सुझाव: पार्टनर के लिए भी समय निकालें
आप घर से ऑफ़िस का काम करने के साथ-साथ बच्चा संभालने की अपनी ज़िम्मेदारी भी निभा रहे हैं, इसका यह मतलब नहीं है कि जैसे ही बच्चा संभालने का आपका टाइम पूरा हुआ, बच्चा पार्टनर पर फेंककर या कहें उसके हवाले करके आपको भाग जाना है. देखिए, बच्चा बेशक आपके लिए ज़रूरी है, पर आपकी प्रायॉरिटी में पार्टनर भी होना चाहिए. तो बेहतर यह होगा कि आप दोनों कुछ इस तरह अपना समय मैनेज करें कि एक-दूसरे के साथ भी क्वॉलिटी समय बिताने का मौक़ा मिले. आप दोनों को कुछ समय एक साथ बच्चे के साथ समय बिताना चाहिए. वीकएंड पर आप तीनों बाहर जा सकते हैं या घर में ही एक साथ कोई फ़िल्म देख सकते हैं. साथ मिलकर कुकिंग कर सकते हैं. यह तो कुछ उदाहरण मात्र हैं, आप अपने हिसाब से दूसरी गतिविधियां कर सकते हैं.