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चावल दुनिया में सबसे ज्यादा खाया जाने वाला अनाज है, लेकिन एक बार किसी इंसान को डायबिटीज हो जाए तो उसे व्हाइट राइस खाने से परहेज करने की सलाह दी जाती है क्योंकि इसमें स्टार्ट और कार्बोहाइड्रेट भरपूर मात्रा में पाया जाता है जो ब्लड शुगर लेवल को स्पाइक कर देता है. सफेद चावल का ग्लाइसेमिक इंडेक्स भी ज्यादा होता है जो मधुमेह के रोगियों के लिए जरा भी अच्छा नहीं है. यही वजह है कि टाइप 2 डायबिटीज के पेशेंट को सफेद चावल कम से कम खाना चाहिए, लेकिन फिर इसके लिए क्या विकल्प मौजूद हैं?
सफेद चावल के नुकसान?
प्राकृतिक रूप से उगने वाले चावल सेहत के लिए इतने खतरनाक नहीं होते, लेकिन धान से चावल निकालने के लिए इसे मिल में जाया जाता है और फिर इसे पॉलिश किया जाता है, जिससे ये सफेद और शाइनी नजर आने लगते हैं, लेकिन इससे इसकी न्यूट्रीशनल वैल्यू काफई कम हो जाती है. इससे विटामिन बी निकलने लगते हैं औऱ इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स भी बढ़ जाता है. इसके कारण ग्लूकोज लेवल बढ़ जाता है. आजकल बाजार में मिलावटी चावल भी काफी ज्यादा आ गए हैं जो सेहत के लिए और भी ज्यादा खतरनाक हो सकते हैं.
डायबिटीज में कौन सा चावल खाएं?
टाइप-2 डायबिटीज के मरीज सफेद चावल नहीं खा सकते, लेकिन उनके पास ब्राउन राइस के तौर पर एक बेहतरीन विकल्प मौजूद है. भूरे चावल को इसलिए सेहत के लिए फायदेमंद माना जाता है क्योंकि इसमें ज्यादा न्यूट्रिएंट, ज्यादा फाइबर, ज्यादा विटामिन और कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स स्कोर होता है.
किस चावल में कम होता है जीआई स्कोर?
सफेद चावल का ग्लाइसेमिक इंडेक्स स्कोर 70 के करीब होता है, जिसका मतलब ये है कि ये टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों के लिए खतरे का सौदा है, बासमती चावल में जीआई स्कोर करीब 56 से 69 के बीच में होता है, यानी ये व्हाइट राइस से बेहतर है. वहीं ब्राउन राइस की बात करें तो इसका जीआई स्कोर 50 के करीब होता है, इसलिए ज्यादातर हेल्थ एक्सपर्ट इसे खाने की सलाह देते हैं.