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हिन्दू धर्म में तीन प्रकार के ऋण बताए गए हैं
जनता से रिश्ता वेबडेस्क| हिन्दू धर्म में तीन प्रकार के ऋण बताए गए हैं, जिसमे देव ऋण, पित्र ऋण और गुरु ऋण है। इन तीनों में पित्र ऋण को प्रमुख माना गया है। इसका कारण यह है कि एक संतान के लालन-पालन में उसके माता-पिता अपने पूरे जीवन को खपा देते हैं। वे स्वयं से पहले संतान के निरोगी और सुखी रहने के लिए कई प्रयास करते हैं। ऐसे में संतान का दायित्व बनता है कि वह अपने माता पिता की सेवा करे और पितृ पक्ष में उनकी श्राद्ध करें। ऐसा करने से उस संतान को पितृ दोष नहीं लगता है। इस समय पितृ पक्ष चल रहा है। आज हम आपको बता रहे हैं कि अपने पितर के श्राद्ध के लिए तिथि कैसे तय करते हैं और श्राद्ध करने का क्या लाभ होता है?
कैसे तय करें श्राद्ध की तिथि
ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट के अनुसार किसी भी माह की तिथि चाहे वह कृष्ण पक्ष की हो या फिर शुक्ल पक्ष की, उस दिन आपके पिता का निधन हुआ है, तो वह तिथि ही श्राद्ध की तिथि होगी। श्राद्ध की तिथि में शुक्ल पक्ष या कृष्ण पक्ष की गणना नहीं की जाती है।
उदाहरण के लिए यदि क के पिता का निधन श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को हुई है तो वह पितृ पक्ष में अपने पितर का श्राद्ध कर्म चतुर्थी श्राद्ध के दिन ही करेगा। ऐसे ही ख के पिता का निधन श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को हुई है तो वह भी अपने पितर का श्राद्ध पितृ पक्ष में चतुर्थी श्राद्ध को करेगा। जिस महिला की कोई संतान न हो, तो वह स्वयं अपने पति का श्राद्ध कर सकती है।
श्राद्ध में ध्यान देने वाली बात
पितृ पक्ष में श्राद्ध कर्म के लिए तिथि वाले दिन 11 बजे से दोपहर 02 बजकर 30 मिनट के मध्य ही श्राद्ध, तर्पण, ब्राह्मण भोजन आदि कराया जाना उचित माना गया है। श्राद्ध में उदया तिथि नहीं ली जाती है। तिथि जब से प्रारंभ हो रही है, तब से ही उसकी गणना होती है।
पितर की तिथि ज्ञात न होने पर ऐसे करें श्राद्ध
यदि आपको अपने माता-पिता के निधन की तिथि मालूम नहीं है, तो इसके लिए भी विधान है। पितृ पक्ष में नवमी श्राद्ध को मातृनवमी के नाम से जाना जाता है। इस दिन आप अपने उन पूर्वजों की श्राद्ध कर सकते हैं, जो स्त्री पक्ष से हैं। वहीं, जिन पुरुष पितरों की तिथि ज्ञात नहीं है, उनका श्राद्ध आप पितृ पक्ष में सर्वपितृ अमावस्या को कर सकते हैं। इसे अज्ञाततिथिपितृ श्राद्ध भी कहा जाता है। इस दिन पितृ पक्ष का समापन भी होता है।
श्राद्ध कर्म से होने वाले लाभ
पितृ पक्ष या किसी भी माह की अमावस्या को पितरों का श्राद्ध करने से पितरों की आत्मा तृप्त होती है। इससे प्रसन्न होकर पितर उस व्यक्ति को उत्तम, सुयोग्य, वीर, निरोगी, शतायु एवं श्रेय प्राप्त करने वाली संतान प्राप्ति का आशीर्वाद देते हैं। श्राद्ध से सौभाग्य भी बढ़ता है।
डिस्क्लेमर
''इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना में निहित सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्म ग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारी आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।''
Tara Tandi
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