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जानें ज्येष्ठ अमावस्या के दिन स्नान और दान का धार्मिक महत्व...
ज्येष्ठ माह में आने वाली 15वीं तिथि ज्येष्ठ अमावस्या कहलाती है। इस वर्ष 10 जून, 2021 को गुरुवार के दिन ज्येष्ठ अमावस्या है। इस दिन तीर्थ स्नान, दान, व्रत और पूजा पाठ करने का विशेष महत्व बताया गया है। ऐसा करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं। सभी तरह के पाप और दोष दूर हो जाने के साथ ही साथ कई गुणा पुण्य मिलते हैं। ज्येष्ठ अमावस्या के मौके पर भगवान शिव-पार्वती, विष्णुजी और वट वृक्ष की पूजा की परंपरा है। इन्हीं कारणों की वजह से ज्येष्ठ महीने की अमावस्या को पुराणों में बहुत ही खास माना गया है। आइए जानते हैं कि ज्येष्ठ अमावस्या के दिन स्नान और दान का धार्मिक महत्व क्या है।
ज्येष्ठ अमावस्या पर स्नान का महत्व
ज्येष्ठ अमावस्या के दौरान पवित्र नदियों में स्नान करने को महत्वपूर्ण बताया गया है। यह परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। तीर्थ स्नान के बाद सूर्य को अर्घ्य देकर पितरों की शांति के लिए तर्पण करना चाहिए। इसके बाद ब्राह्मण भोजन और जल दान का संकल्प लेना चाहिए। इस दिन अन्न और जल दान करने से पितर संतुष्ट होते हैं, जिससे परिवार में समृद्धि आती है। इस दिन स्नान करने से नकारात्मक तत्व दूर होते हैं और मानसिक बल मिलता है। साथ ही साथ विचारों में शुद्धता भी आती है।
ज्येष्ठ अमावस्या पर क्या न करें
1. व्यक्ति को मांस या मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए।
2. किसी भी तरह से धन उधार नहीं लेना चाहिए।
3. ज्येष्ठ अमावस्या के दिन नई वस्तु नहीं खरीदनी चाहिए।
ज्येष्ठ अमावस्या को क्या करें
1. ज्येष्ठ अमावस्या पर गाय, कुत्ता और कौआ को खाना खिलाना चाहिए।
2. ज्येष्ठ अमावस्या के दिन पीपल और बड़ के वृक्ष का पूजन करना चाहिए।
3. पितरों के लिए तर्पण करना चाहिए।
4. पीपल पर सूत बांधना चाहिए, कच्चा दूध चढ़ाना चाहिये।
5. काले तिल का दान करना चाहिए।
6. दीपक भी जलाना चाहिये।