Jharkhand : मरीजों तक एम्बुलेंस पहुंचाने का सरकार का दावा खोखला साबित हो रहा, गर्भवती को खाट पर अस्पताल पहुंचा गया

रांची : झारखंड में स्वास्थ्य सेवाओं के अच्छे दावे लगातार विफल हो रहे हैं. अभी भी मरीजों तक एम्बुलेंस पहुंचाने का सरकार का दावा खोखला साबित हो रहा है. झारखंड के इस जिले में एक बार फिर स्वास्थ्य सेवाओं की पोल खुल गई. झारखंड में अभी भी कई ऐसे इलाके हैं, जहां स्वास्थ्य सेवा तो …
रांची : झारखंड में स्वास्थ्य सेवाओं के अच्छे दावे लगातार विफल हो रहे हैं. अभी भी मरीजों तक एम्बुलेंस पहुंचाने का सरकार का दावा खोखला साबित हो रहा है. झारखंड के इस जिले में एक बार फिर स्वास्थ्य सेवाओं की पोल खुल गई. झारखंड में अभी भी कई ऐसे इलाके हैं, जहां स्वास्थ्य सेवा तो दूर अस्पताल आने के लिए एंबुलेंस भी मरीजों को उपलब्ध नहीं हो पाती है. इसकी एक बानगी तब देखने को मिली जब हजारीबाग जिले में पहाड़ों के बीच बसा पुरनपनिया गांव में एक गर्भवती को खाट पर अस्पताल पहुंचा गया.
गर्भवती महिला रेणु देवी को प्रसव के लिए खाट पर लेटाकर तीन किमी पैदल चलकर अस्पताल पहुंचाया गया. इसके बाद भी गर्भवती महिला को ममता वाहन का लाभ नहीं मिला. निजी वाहन से परिजन सीएचसी इचाक लाए, जहां डॉक्टरों ने गर्भवती महिला को सदर अस्पताल रेफर कर दिया. महिला ने बच्चे को जन्म दिया. हालांकि जन्म के बाद बच्चे की स्थिति गंभीर बनी हुई है.
वहीं, दूसरी तरफ गिरिडीह में ऐसा ही कुछ देखने को मिला. जहां परिजन गर्भवती को खाट पर लिटाकर अस्पताल ले गए. जिले के जमुआ विधान सभा क्षेत्र के देवरी प्रखंड के आदिवासी बहुल हरियाडीह पंचायत के मदनाडीह गांव से ये मामला सामने आया है. पक्की सड़क के अभाव में ये हृदय विदारक दृश्य देखने को मिला. बता दें, मदनाडीह गांव में मंगलवार को आदिवासी गर्भवती महिला बसंती हेंब्रम को उसके परिजन एक खाट पर लेटा कर गांव से तीन किलोमीटर दूर कंधे पर टांग कर एंबुलेंस तक ले गए.
जानकारी के लिए आपको बता दें कि, देवरी के मदनादीह गांव में मिलीजुली आबादी है. यहां कभी आवागमन के लिए पक्की सड़क का निर्माण नहीं हुआ है. जिस वजह से बसंती हेंब्रम को उसके परिजन खाट पर सुला कर टांगते हुए नदी नाला पार किए. वहीं, सोशल मीडिया पर यह खबर खूब वायरल हो रही है.
