टाटानगर से खड़गपुर स्टेशन तक ऑटोमेटिक सिग्नल सिस्टम लागू होगा
धनबाद: टाटानगर से खड़गपुर स्टेशन तक ऑटोमेटिक सिग्नल सिस्टम लागू होगा. दक्षिण पूर्व रेलवे जोन से यह आदेश हुआ है. इसके साथ ऑटोमेटिक सिग्नल सिस्टम के लिए टेंडर निकला है. बताया जाता है कि इसके लिए रेलवे 11 करोड़ 49 लाख रुपये खर्च करेगा. इससे 4 किलोमीटर तक अप-डाउन लाइन के किनारे केबल बिछाने के …
धनबाद: टाटानगर से खड़गपुर स्टेशन तक ऑटोमेटिक सिग्नल सिस्टम लागू होगा. दक्षिण पूर्व रेलवे जोन से यह आदेश हुआ है. इसके साथ ऑटोमेटिक सिग्नल सिस्टम के लिए टेंडर निकला है. बताया जाता है कि इसके लिए रेलवे 11 करोड़ 49 लाख रुपये खर्च करेगा. इससे 4 किलोमीटर तक अप-डाउन लाइन के किनारे केबल बिछाने के साथ ही जंक्शन बॉक्स बनाए जाएंगे, जबकि रेलवे केबिन, गुमटी व आरआरआई से सिग्नल, प्वाइंट व पैनल ऑटोमेटिक काम करेंगे.
जानकारी के अनुसार, रेलवे जोन एक वर्ष के अंदर टाटानगर से खड़गपुर स्टेशन के बीच अत्यधिक सिग्नल सिस्टम लागू करने की तैयारी में है, ताकि हाई स्पीड ट्रेनों को चला सके, क्योंकि हावड़ा-मुंबई मार्ग में चक्रधरपुर मंडल का आधार क्षेत्र और बिलासपुर मंडल पूरी तरह ऑटोमेटिक सिग्नल सिस्टम युक्त है.
सुरक्षित ट्रेन परिचालन को लेकर तैयारी सुरक्षित ट्रेन परिचालन योजना के तहत रेलवे ऑटोमेटिक सिग्नल सिस्टम लागू कर रहा है. इससे रेलवे को ट्रेनों की स्पीड बढ़ाने में भी सहूलियत होगी. अभी खड़गपुर से टाटा तक एब्सलूट सिंगल सिस्टम लागू है, जिसकी मॉनिटरिंग आरआरआई से होती है. ऑटोमेटिक सिस्टम से जब तक
टाटा से राजखरसावां तक ऑटोमेटिक सुविधा
चक्रधरपुर मंडल के टाटानगर से राजखरसावां स्टेशन (42 किमी) तक ऑटोमेटिक सिग्नल सिस्टम से ट्रेनों का परिचालन होता है. इससे डेढ़-दो सौ मीटर पर ट्रेन चलाई जा सकती है, जबकि सीनी से चांडिल 29 किमी तक ऑटोमेटिक सिग्नल सिस्टम से यात्री ट्रेनों और मालगाड़ियों को चलाया जाता है. नई सिस्टम के कारण ही आपात स्थिति में टाटानगर के आसपास एक साथ लाइन पर दो-तीन ट्रेनों को खड़ी की जाती है. दूसरी ओर, राउरकेला की ओर भी ऑटोमेटिक सिग्नल सिस्टम का काम शुरू है.