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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। ऐसे वक्त में जब देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या और पीड़ितों की मौत के आंकड़ों में गिरावट दर्ज की जा रही थी, ब्रिटेन में कोरोना वायरस के रूप बदलने के घटनाक्रम ने हमारी चिंता बढ़ा दी है। चिंता की वजह यह है कि ब्रिटेन से आये तमाम लोग बिना कोरोना जांच के अपने गंतव्य स्थलों को निकल गये। अब सोया तंत्र उन लोगों की तलाश में लगा है जो ब्रिटेन से आने के बाद नहीं मिल रहे हैं। ये हर देशवासी की गहरी चिंता का विषय है क्योंकि ब्रिटेन में कोरोना वायरस के नये स्ट्रेन ने दुनिया को चौंकाया है। जो पहले वायरस के मुकाबले सत्तर फीसदी अधिक तेजी से फैलता है।
हालांकि अभी कोई वैज्ञानिक अध्ययन सामने नहीं आया है कि नया वायरस पहले की तुलना में कितना अधिक घातक है और इस पर वैक्सीन कितनी प्रभावी होगी। फिर भी हमारी चिंता का विषय यह है कि यदि ब्रिटेन से आये किसी व्यक्ति से यह संक्रमण भारत में फैलता है तो अब तक की सारी मेहनत पर पानी फिर जायेगा। भारत जैसे बड़ी आबादी वाले देश में इस संक्रमण को रोक पाना बड़ी चुनौती है।
भारत में जनसंख्या का घनत्व ब्रिटेन समेत अन्य देशों के मुकाबले बहुत ज्यादा है जो संक्रमण के तेजी से फैलने की जमीन तैयार करता है। इसके बावजूद प्रवासी भारतीयों के देश लौटने पर बरती गई लापरवाही हमारे तंत्र की कोताही को भी उजागर करती है, जो सांप निकलने के बाद लाठी पीटने की संस्कृति में रमा हुआ है। ब्रिटेन में कोरोना वायरस के नये स्ट्रेन के सामने आने की बात काफी समय से अंतर्राष्ट्रीय मीडिया में तैर रही थी। ब्रिटेन ने भी इस महामारी के विस्तार की बात को कुछ विलंब से स्वीकार किया। लेकिन हमारे नीति-नियंता बेसुध रहे। जब दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल समेत अन्य लोग ब्रिटेन से आने वाली फ्लाइटों पर रोक लगाने की मांग करने लगे, तब जाकर इस बाबत फैसला लिया गया। तब तक देर हो चुकी थी।